अमरावती

निरोगी जीवन के आनंद हेतु आयुर्वेद को स्वीकारे

आचार्य जीतेंद्रनाथ महाराज का प्रतिपादन

  • जोग चिकित्सालय का हुआ लोकार्पण

अमरावती/दि.15 – भारतीय संस्कृति व परंपरा का दुनिया में अपना एकमेव स्थान है. जिसमें ज्ञान-विज्ञान व अध्यात्म का एक हिस्सा आयुर्वेद भी है, जो मानवी जीवन के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं. आयुर्वेद चिकित्सा पध्दति से जीवन को निरोगी व आनंददायी रखा जा सकता है. अत: निरोगी जीवन का आनंद लेने हेतु आयुर्वेद का स्वीकार किया जाना चाहिए. इस माध्यम से हमारी अपनी संस्कृति व वैदिक परंपरा का भी जतन होगा. इस आशय का प्रतिपादन अंजनगांवसूर्जी स्थित श्री देवनाथ पीठ के पीठाधिश्वर आचार्य स्वामी जीतेंद्रनाथ महाराज द्वारा किया गया.
गत रोज जोग चैरिटेबल मेडिकल रिलीफ फंड तथा आयुर्वेद व्यासपीठ सेवा प्रकल्प के संयुक्त तत्वावधान में शुरू किये गये प्रभात चौक स्थित जोग आयुर्वेद अस्पताल का लोकार्पण आचार्य स्वामी जीतेंद्रनाथ महाराज के हाथों हुआ. इस अवसर पर वे अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. जोग चैरिटेबल मेडिकल रिलीफ फंड के अध्यक्ष डॉ. सुरेश सावदेकर की अध्यक्षता में आयोजीत इस लोकार्पण समारोह में बतौर प्रमुख अतिथी आयुर्वेद व्यासपीठ सेवा प्रकल्प के वैद्य विनय वेलनकर, जोग चैरिटेबल ट्रस्ट के सचिव विलास मराठे, संगीता रिठे, विलास जाधव तथा विश्वस्त डॉ. अतुल आलसी व डॉ. विजय वैद्य उपस्थित थे.
कार्यक्रम में प्रास्ताविक जोग चैरिटेबल ट्रस्ट के सचिव विलास मराठे तथा संचालन व आभार प्रदर्शन वैद्य मंजिरी चेपे (शास्त्री) ने किया. इस समय जोग अस्पताल को प्रदीर्घ सेवा प्रदान करनेवाले मारोतराव कडू व राजू फुकटे का आचार्य स्वामी जीतेंद्रनाथ महाराज के हाथों सत्कार किया गया. इस लोकार्पण समारोह में केंद्रीय सेवा विभाग प्रमुख शिरीष पेंडसे, चारूस्मिता शाह, जयश्री शिंगवेकर, कल्पना महाजन, निलीमा अतकरे, पंकज कावरे, रूपाली कावरे, सुनयना बोरगांवकर, आकाश चांगोले, राधिका पुंड, बिपीन टोंगले, स्वाती टोंगले, पल्लवी मोहोड, रश्मी दंडे व सुनयना बोरगांवकर आदि उपस्थित थे.

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