ग्राहक आयोग को रिक्त पदों का ग्रहण

अध्यक्ष व सदस्य से लेकर कर्मचारियों की कमी

अमरावती /दि.28– ग्राहकों को न्याय देने हेतु समूचे राज्य में कार्यरत रहनेवाले ग्राहक आयोग को रिक्त पदों का ग्रहण लगा हुआ है. कई स्थानों पर अध्यक्ष ही नहीं है और कुछ स्थानों पर सदस्यों का कोरम पूरा नहीं है. इसके अलावा राज्य एवं जिला ग्राहक आयोग में कर्मचारियों की भी किल्लत है. जिसका सीधा परिणाम प्रलंबित मामलों की सुनवाई पर पड रहा है. कई स्थानों पर तो ग्राहकों को न्याय मिलने हेतु 5 से 7 वर्ष तक प्रतीक्षा भी करनी पड रही है.
उल्लेखनीय है कि, न्याय मिलने में विलंब होना भी एकतरह का अन्याय ही है और ऐसा अन्याय इस समय राज्य में ग्राहकों के साथ हो रहा है. समूचे राज्य में 40 जिला ग्राहक आयोग है. इसके अलावा तीन राज्य आयोग व चार परिक्रमा खंडपीठ है, परंतु इन सभी आयोगों का कामकाज चलाने हेतु लगनेवाला आवश्यक मनुष्यबल नहीं है, बल्कि प्रत्येक जिला आयोग में विविध प्रकार के पद रिक्त है.

* कम से कम दो की नियुक्ति जरुरी
जिला ग्राहक आयोग में दाखिल होनेवाली शिकायतों पर न्याय देने हेतु कम से कम अध्यक्ष व एक सदस्य अथवा दो सदस्यों का होना जरुरी होता है. परंतु कई ग्राहक आयोगों में यह कोरम पूरा नहीं है. कर्मचारियों की किल्लत वाली स्थिति नागपुर, मुंबई व छत्रपति संभाजी नगर के राज्य आयोग में भी बनी हुई है.

* अमरावती व यवतमाल में 11 पद रिक्त
जिला आयोग के अमरावती विभाग में प्रबंधक, शिरस्तेदार, लिपीक, रिकॉर्ड किपर, उच्च श्रेणी लघुलेखक के 5 तथा यवतमाल जिला ग्राहक आयोग में प्रबंधक, सहायक अधीक्षक, शिरस्तेदार, लिपीक, अभिलेखापाल व उच्च श्रेणी लघुलेखक के 6 पद रिक्त है. खास बात यह भी है कि, यवतमाल में विगत अनेक वर्षों से पूर्णकालिन प्रबंधक की नियुक्ति नहीं हुई है.

* प्रबंधक से लेकर चपरासी तक पद रिक्त
ग्राहक आयोग में प्रबंधक, सहायक अधीक्षक, शिरस्तेदार, लिपीक, अभिलेखापाल, उच्च श्रेणी लघुलेखक, रिकॉर्ड किपर व चपरासी जैसे विभिन्न पद रिक्त है. कई स्थानों पर ठेका नियुक्त कर्मचारियों के जरिए कामकाज चलाया जा रहा है और अधिकांश आयोगो में चपरासीयों के पद ठेका पद्धति से ही भरे गए है. इसके अलावा कुछ स्थानों पर सदस्यों को एक से अधिक जिला आयोग का जिम्मा सौंपा गया है.

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