* 7 वर्ष पहले की घटना अमरावती/ दि. 2- जिला व सत्र न्यायालय ने दत्तापुर थाना अंतर्गत 7 वर्ष पूर्व के पत्नी हत्या के प्रकरण में आरोपी रूपेश शेलोकार को सबूतों के अभाव साक्षीदार के संदिग्ध बयान के आधार पर बरी कर दिया. इस प्रकरण में 13 साक्षीदार कोर्ट में पेश किए गये थे. बचाव पक्ष ने सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के कई निर्णयों की मिसाल अदालत में रखी. आरोपी का सफल बचाव एड. परवेज खान ने किया.
दोषारोपपत्रानुसार 15 अक्तूबर 2017 को पुलिस स्टेशन दत्तापुर को जानकारी मिली कि ग्रामीण अस्पताल में एक महिला मृतावस्था में लायी गई है. पुलिस ने पंचनामा किया. तब एक टाकी और पंखे से लटकी रस्सी एवं एक चिट्ठी मिली. चिट्ठी में मृतका का नाम लिखा था. जिसमें ऐसा भी लिखा था कि मेरे पैसे बेटे को दिए जाए. प्राथमिक जांच में आत्महत्या का मामला दर्शाने की कोशिश की गई थी. डॉक्टर्स ने पीएम रिपोर्ट में आत्महत्या न होकर हत्या का केस होने का निर्णय दिया. पुलिस जांच में पता चला कि आरोपी रूपेश शेलोकार और उसकी पत्नी व दो छोटे बच्चे घर में रहते थे. इसलिए कोई दूसरा आधी रात को यह कृत्य नहीं कर सकता. पुलिस जांच में पता चला कि आरोपी रूपेश शेलोकार ने झूठी चिट्ठी साक्षीदार और उसके मित्र से लिखवाई है. जांच दौरान साक्षीदार का बयान दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया गया.
कोर्ट में सरकारी पक्ष ने चिट्ठी लिखनेवाले साक्षीदार, आरोपी के पडोस के दोस्त, डॉक्टर, हस्ताक्षर विशेषज्ञ और पुलिस जांच अधिकारी की गवाही दर्ज कराई. बचाव पक्ष ने जांच दौरान कई महत्वपूर्ण सबूत कोर्ट के सामने पेश नहीं करने की बात कहीं. उसी प्रकार प्रति जांच में साक्षीदार के बयान संदिग्ध होने की ओर बचाव पक्ष ने अदालत का ध्यान दिलाया. एड. परवेज एम. खान को एड. अनिल जायस्वाल, एड. वसीम शेख, एड. सचिन बाखडे, एड. शहजाद शेख, एड. रियाज रूलानी, एड. अजहर नवाज, एड. संदीप कथलकर ने सहयोग किया.