अमरावती दि.15 – साढे सात वर्षीय नाबालिग लडकी के साथ दुराचार करने के मामले में नामजद महेेंद्र कालोनी निवासी विष्णुपंत गांजरे को आज स्थानीय अदालत द्वारा दोषमुक्त करार देते हुए बाइज्जत बरी कर दिया गया.
इस मामले में मिली जानकारी के मुताबिक 22 अप्रैल 2017 को शिकायतकर्ता की साढे सात वर्षीय नाबालिग बेटी घर के पास ही स्थित दुकान में कुछ सामान लेने हेतु गई थी. किंतु काफी समय बीत जाने के बाद भी वह वापिस नहीं लौटी. तब शिकायतकर्ता खुद उस दुकान के पास पहुंची. जहां पर उन्होंने अपनी बेटी को आवाज दी. किंतु दुकान मालिक विष्णुपंत गांजरे ने बताया कि, उसकी दुकान में कोई लडकी नहीं आयी. परंतू संदेह होने के चलते शिकायतकर्ता ने वहीं पर छूपकर देखा, तब उसे उसकी बेटी दुकान के भीतरी हिस्से में जमीन पर लेटी दिखाई दी और विष्णुपंत गांजरे उसकी बेटी के उपर बैठा दिखाई दिया. साथ ही जब उसकी बेटी दुकान से बाहर आयी, तो उसने अपनी बेटी से पूछताछ की, तब उसकी बेटी ने बताया कि, उसे दुकानवाले अंकल ने भीतर बुलाकर चॉकलेट दिया था और अंदर के कमरे में जाने हेतु कहा था. बाद में उसके साथ दुकानवाले गंदी हरकत की. पश्चात शिकायतकर्ता ने गाडगेनगर थाने में अपनी शिकायत दर्ज करायी थी. जिसके आधार पर विष्णुपंत गांजरे के खिलाफ भादंवि की धारा 376 (2) (आय), 376 (2) (जे) सहित पाक्सो अधिनियम की धारा 4, 6, 8, 10 व 12 के तहत अपराध दर्ज किया गया था. साथ ही विशेष पाक्सो कोर्ट के समक्ष मामले की चार्जशीट पेश की गई थी. जहां पर हुई सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष द्वारा दलील दी गई कि, ऐसी कोई घटना घटित ही नहीं हुई. बल्कि विष्णुपंत गांजरे को झूठे मामले में फंसाया गया है. बचाव पक्ष की ओर से एड. शिरीष जाखड व एड. सपना जाधव ने प्रभावी युक्तिवाद किया. जिसमें एड. श्रेया केतकर ने सहयोग किया. बचाव पक्ष की दलीलों को ग्राह्य मानते हुए गत रोज न्यायालय में विष्णुपंत गांजरे को नाबालिग के साथ बलात्कार के आरोप से दोषमुक्त करार देते हुए बाइज्जत बरी कर दिया.