19 वर्ष पुराने आंदोलन के आरोपी बरी

जिला व सत्र न्यायालय का फैसला

* प्रवीण मोहोड का लंबा संघर्ष
* पुलिस नहीं दे सकी सबूत
अमरावती/ दि. 17- स्वाभिमान शेतकरी संगठन के प्रवीण मोहोड, सचिन भागवत और अन्य कार्यकर्ताओं को 19 बरस पहले 2006 में किए गये किसान हितैषी कुर्‍हाड आंदोलन की कडी धाराओं से शुक्रवार को जिला व सत्र न्यायाधीश सचिन पाटिल ने बरी कर दिया. जिससे कृषक वर्ग में संंतोष व्यक्त किया जा रहा. वहीं कोर्ट ने आदेश में कहा कि गाडगेनगर पुलिस और पीएसआई राठोड इस संबंध मेंं ठोस सबूत आरोपियों के विरूध्द प्रस्तुत नहीं कर सके. सबूतों के अभाव में अदालत ने आरोपियों को निर्दोष करार दिया. इस मामले में किसान कार्यकर्ताओं की ओर से एड. शशांक डबरासे और उनके सहयोगी एड संदीप विश्वकर्मा ने पैरवी की.
जानकारी के अनुसार भयंकर लोड शेडिंग से जिले में कृषक वर्ग परेशान हो गया था. यह वर्ष 2006 की 19 जनवरी की बात है. जब राज्य में कांग्रेस राकांपा की आघाडी सरकार थी. ग्रामीण में 12-12 घंटे की लोडशेडिंग की जा रही थी. उसी प्रकार किसानों को सिंचाई के लिए दिन में बिजली सप्लाई उपलब्ध करवाने की मांग को लेकर स्वाभिमानी शेतकरी संगठन ने अमरावती विद्युत भवन पर कुल्हाडी आंदोलन किया था.
विद्युत भवन में घुसकर किसान और खेतीहर मजदूरों ने बिजली के लिए जोरदार आंदोलन किया. कार्यालय की टेबल कुर्सिया और शीशे तोडफोड दिए. नांदगांव खंडेश्वर में भारी बिजली कटौती अर्थात लोड शेडिंग के खिलाफ यह आंदोलन रहने की जानकारी किसान कार्यकर्ताओं ने दी. उधर अभियंता मापारी ने पुलिस शिकायत में आरोप लगाया था कि कार्यकर्ताओं ने बिजली कर्मियों के साथ रूम में बंद कर मारपीट की थी. उन पर टेबल और कुर्सिया उछाली गई थी.
इस बारे में गाडगे नगर पुलिस ने अगले दिन 20 जनवरी 2006 को उप कार्यकारी अभियंता मापारी की शिकायत पर भादवि धारा 353, 506, 294, 326, 34, 186 आदि के तहत अपराध दर्ज कर प्रवीण मोहोड और अन्य को गिरफ्तार किया. अदालत में आरोप पत्र दायर किया गया. किसान आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने लगभग 19 वर्षो तक कोर्ट की लंबी लडाई लडी. अभियोजन पक्ष आरोपी आंदोलनकर्ताओं के विरूध्द ठोस पुरावे प्रस्तुत नहीं कर पाया. यह दावा बचाव पक्ष के वकील एड. डबरासे ने कोर्ट में किया. अदालत ने इसे मान्य किया.

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