अमरावती/दि.06– जिले के भातकुली तहसील में गणोजादेवी में कोल्हापुर की महालक्ष्मी के साक्षात दर्शन होते है. यह महालक्ष्मी जागृत होने से हर मंगलवार तथा नवरात्रि में अमरावती जिले सहित आसपास के सभी जिलोें से कई भक्त अपनी मन्नते चुकाने और देवी के दर्शन करने आते है. गणोजा देवी मेंं नवरात्रोत्सव की तरहपीछ हर मंगलवार और पूर्णिमा के दिन भक्तों का तांता लगा रहता है. आगामी नवरात्रोत्सव की तैयारी भी यहां जोर शोर से शुरू हो गई है. पुजारी पदमाकर सत्रे के अनुसार यहां इस वर्ष भागवत कथा का भी आयोजन किया जा रहा है. उसी प्रकार घटस्थापना की भी तैयारी शुरू है.
* गण नामक भक्त के लिए आयी देवी
बहुत समय पहले गणोजा देवी क्षेत्र से सटे गणोरी गांव के गणु नामक महालक्ष्मी के भक्त हर साल देवी के दर्शन के लिए कोल्हापुर जाते थे. लेकिन वृध्दत्व के कारण गण महाराज ने महालक्ष्मी से कहा कि अब अब मैं इतनी दूर कोल्हापुर दर्शन के लिए नहीं आ सकूंगा. महालक्ष्मी ने गण महाराज से कहा कि मैं ही आपके गांव में आती हूॅ. महालक्ष्मी ने शर्त रखी थी. कि जब तब आप अपने गांव नहीं पहुंच जाए तब तक आप पीछे मुडकर ने देखे. यदि ऐसा किया तो जहां मुडकर देखोंगे वहीं स्थानीय हो जाउंगी. लेकिन गणोजा गांव के पास जब गणु महाराज ने यह देखने के लिए पीछे देखा कि महालक्ष्मी सचमुच उनके ै पीछे है या नहीं तो सचमुच महालक्ष्मी उनके पीछे थी. गणु महाराज ने जैसे ही पीछे मुडकर देखा तो महालक्ष्मी उसी स्थान पर विराजमान थी. आज कहा जाता है कि उसी स्थान पर महालक्ष्मी मंदिर बनाया गया. उसी भक्त के नाम पर गणेाजा नाम पडा. लेकिन वह भक्त देवी को गणोरी नहीं ला पाने के चलते गणोरी गांव मेें भी महालक्ष्मी का छोटा मंदिर बनाया गया.
* विदर्भ में आते है श्रध्दालु
गणोजा देवी की महालक्ष्मी को कोल्हापुर की साक्षात महालक्ष्मी माना जाता है.गणोजा देवी के गर्भगृह की महालक्ष्मी के रूप और कोल्हापुर के मंदिर में महालक्ष्मी के रूप में कोई अंतर नहीं है. विदर्भ के जो श्रध्दाुल कोल्हापुर की महालक्ष्मी के दर्शन करने या मन्नत मांगने में सक्षम नहीं है वे यदि गणोजा देवी में महालक्ष्मी के दर्शन करते है या इस स्थान पर मन्नत मांगते है तो यह कोल्हापुर की महालक्ष्मी के समक्ष ही होती है. गणोजा देवी स्थित जागृत महालक्ष्मी मंदिर में कई भक्त बडी श्रध्दा से आते है.
* मन्नते होती है पूरी
अमरावती सहित यवतमाल, वर्धा, नागपुर, अकोला जिले में महालक्ष्मी गणोजा देवी की कुल देवी है. कुलदेवता वाले परिवार के बच्चों के बाल महालक्ष्मी मंदिर में ही निकलना अधिक महत्वपूर्ण होता है. इसलिए भक्त छोटे बच्चों को मंदिर में लाते है. इसके साथ ही भक्तों का मानना है कि देवी से मन्नम मांगने से उनकी मन की मुरादे पुरी होती है. मंदिर में आनेवाले भक्त मंदिर के अंदर सात या नौ नारियल बांधते है और अपने मन की इच्छा पूरी करने की मन्नत मांगते है. एक वर्ष के भीतर यह मन्नत पूरी होने पर भक्त देवी को पूरण पोली चढाते है पूरणपोली का मान गणोजादेवी की महालक्ष्मी को है. कई भक्त अपनी मन्नत पूरी करने के लिए मंगलवार को मंदिर में पूरण पोली पकाते है. मंदिर में भक्तों के आवास की व्यवस्था है. खाना पकाने की पूरी सुविधा भी उपलब्ध है.