मोर्शी/प्रतिनिधि दि.१८ – विदर्भ के सबसे बडे बांध व पर्यटन क्षेत्र के रुप में गिने जाने वाले अपर वर्धा बांध की सुरक्षा राम भरोसे नजर आ रही है. यहां पर सुरक्षा कर्मियों सहित सीसीटीवी कैमरे की जरुरत होने की मांग जोर पकडते जा रही है.
यहां बता दें कि बांध के प्रवेश व्दारा से लेकर संपूर्ण बांध परिसर में 12 महिने भी सुरक्षाकर्मी, सिंचाई विभाग अथवा पुलिस विभाग के कर्मचारी दिखाई नहीं देते है. यहां पर सीसीटीवी कैमरे भी नहीं लगाए गए है. जिसके चलते बांध की सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठ रहे है. तहसील में साल 1993 में अपर वर्धा बांध बनाया गया. इस बांध का जलसंग्रह 678.27 दलघमी हैं. इस बांध से अमरावती शहर में जलापुर्ति की जाती है. इसके अलावा मोर्शी, वरुड, नांदगांव पेठ, बडनेरा और बडनेरा रेलवे स्टेशन पर भी जलापूर्ति की जाती है. इतना ही नहीं तो हिवरखेड सहित 11 ग्रामीण क्षेत्र, लोणी सहित 14 गांव, मोर्शी तहसील के 70 गांव को जलापूर्ति योजना, आष्टी, पेठ अहमदपुर व पांढुर्णा में जलापूर्ति 77.329 दलघमी के अलावा नांदगांव पेठ एमआईडीसी के लिए 24.735 दलघमी, सोफिया थर्मल पॉवर प्लाँट के लिए 123.52 दलघमी आरक्षित है. इस बांध पर 1 लाख 4 हजार 404 हेक्टेअर सिंचाई क्षेत्र निर्भर है. नहर के माध्यम से 82 हजार 300 हेक्टेअर क्षेत्र सिंचाई क्षेत्र में आते है. इसके अलावा छोटे, बडे प्रकल्पों की प्यास बुझाने का काम अपर वर्धा बांध कर रहा है, लेकिन यहां पर सुरक्षा के लिहाज से कोई भी उपाय नहीं किये गए है. बांध परिसर में आने पर प्रतिबंध लगाया गया है. बावजूद इसके बांध के प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रेमी युगल बिनधास्त आते-जाते रहते है. इतना ही नहीं तो सैलानी भी प्रतिबंधित क्षेत्र में सीधे बांध में उतरकर फोटोसेशन करते रहते है. जिससे उनकी जान का खतरा भी बढ रहा है. अपर वर्धा बांध परिसर में राज्यभर से लाखों पर्यटक बांध के सभी दरवाजों से छोडे जाने वाले पानी के फंवारों को देखने के लिए आते है, लेकिन सिंचाई विभाग की लापरवाह कार्यप्रणाली के चलते यहां पर बनाया गया गार्डन पूरी तरह से जंगली झाडियों से घिर गया है. यह गार्डन बंद रहने से सिंचाई विभाग का भी आर्थिक रुप से नुकसान हो रहा है.