अमरावती

पेयजल के लिए तरस रहे मेलघाट के आदिवासी

लाखेवाडा पानी की टंकी तीन साल से बंद

चिखलदरा /दि. २०-तहसील के लाखेवाडा गांव में आदिवासियों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है. यहां पर जलापूर्ति योजना तीन साल से बंद रहने से गांव के पुरूष और महिलाओं को पेयजल के लिए तरसना पड़ रहा है. दूरदराज से पानी लाने यहां के नागरिक विवश हो रहे है. लाखेवाडा यह गांव चिखलदरा शहर से ११० किलोमीटर दूरी पर घने जंगल में बसा है. यहां के लोगों को पानी के साथ साथ अनेक समस्याओं का सामना हमेशा करना पडता है. सरकार ने इस गांव के नागरिकों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करने तथा गांव में बंद पड़ी पानी टंकी व जलापूर्ति योजना शुरु करने की मांग जोर पकड़ रही है. तीन साल से लाखेवाडा में जलापूर्ति योजना बंद है तथा गांव में एक बोरवले है, वह भी बंद है. इसलिए यहां के लोगों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है. जल्द से जल्द से यह समस्या हल करने की मांग लाखेवडा के भुरा सावलकर व रुपी, पतिराम सावलकर, सुगाय सावलकर, प्रियंका सावलकर, आमला मोंग्या धिकार, अनिता अनिल अखंडे, अनिता सचिन चिलाटी, मीरा नानू चिलाटी, फुलवंती राजेश धिकार, समाय गुन्ना चिलाटी, संगीता हिरामन चिलाटी, फुलय प्रवीण धिकार, बुदीया कैलास सावलकर सहित अन्य ग्रामीणों ने की है.
वन्यजीवों का खतरा
गांव से कुछ दूरी पर तीन हैंडपंप है. इस हैंडपंप से सुबह अथवा शाम के समय पानी भरना कठिन होता है. क्योंकि, यहां पर वन्यजीवों का खतरा होता है. जिसकी वजह से गांव के नागरिकों की जान को खतरा निर्माण हो गया है.

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