मतदाता सूची को लेकर प्रशासन के दावे हुए फेल
मतदान का प्रतिशत कम रहने के लिए पूरी तरह से प्रशासन जिम्मेदार
* तमाम तरह की गडबडियां पायी गई मतदाता सुचियों में
* मतदाता सूची पुनर्रिक्षण और सर्वे की खुल गई पोल
* कई मतदाताओं के मतदाता सूची में नाम ही नहीं दिखे
* कई जगहों पर मृतक मतदाताओं के नाम भी सूची में मिले
* एक ही परिवार के कई सदस्यों के नाम अलग-अलग मतदान केंद्रों पर
* कालाराम मंदिर के मतदान केंद्र में बोगस वोटींग का मामला भी आया सामने
अमरावती /दि.26- जहां एक ओर केंद्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा मतदान का प्रतिशत बढाने को लेकर तमाम तरह के प्रयास किये जा रहे है. जिसके लिए मतदाता सूचियों को अद्यावत करने हेतु मतदाता सूची पुनर्रीक्षण कार्यक्रम चलाने और मतदाता सर्वे करने के साथ ही मतदाता जनजागृति को लेकर नई-नई संकल्पनाओं पर अमल करने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर स्थानीय स्तर पर जिला प्रशासन व जिला निर्वाचन विभाग द्वारा ‘ढाक के तीन पात’ वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए ‘चल ढकल’ वाली नीति पर चलकर पुराने ढर्रे को ही कायम रखा जा रहा है. जिसकी वजह से मतदाता सूचियों में रहने वाली खामियां दूर ही नहीं हो पा रही. जिसका सीधा परिणाम मतदान का प्रतिशत कम रहने के तौर पर सामने आ रहा है. ऐसे में मतदान का प्रतिशत कम रहने के लिए पूरी तरह से स्थानीय प्रशासन को ही जिम्मेदार कहा जा सकता है.
बता दें कि, मतदाता सूचियों में रहने वाली तमाम तरह की त्रुटियों व खामियों की वजह से ही लोकसभा चुनाव के पहले चरण के तहत मतदान का प्रतिशत काफी कम रहा था. जिसके लिए संबंधित संसदीय क्षेत्रों के निर्वाचन विभागों में भीषण गर्मी व तेज धूप जिम्मेदार रहने की वजह आगे कर ली थी. वहीं आज लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के तहत अमरावती संसदीय क्षेत्र में मतदान की प्रक्रिया पूर्ण कराई गई. लेकिन अमरावती ससंदीय क्षेत्र में भी मतदाता सुचियों में रहने वाली गडबडियां जमकर उजागर हुई. जिसकी वजह से मतदाता सूची पुनर्रीक्षण अभियान व मतदाता सर्वेक्षण अभियान जैसे उपक्रमों की असलियत उजागर होकर सामने आ गई. यदि इन दोनों अभियानों को वाकई गंभीरतापूर्वक अमल में लाया जाता, तो मतदाता सूचियों में रहने वाली गडबडियों को भी वाकई दूर कर लिया गया होता और आज जिस तरह की तकलीफें अमरावती संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं को हुई है. उस तरह की तकलीफ आज आम मतदाताओं को नहीं हुई होती.
बता दें कि, स्थानीय अंबापेठ परिसर स्थित मनपा स्कूल नंबर-7 में बनाये गये मतदान केंद्र पर जब इस क्षेत्र के मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करने हेतु पहुंचे, तो वहां पर मतदाता सूची में कई मतदाताओं के नाम ही शामिल नहीं थे. वहीं हैरत तो तब हुई, जब इसी परिसर में रहने वाले और कुछ वर्ष पहले ही दिवंगत हो चुके मतदाताओं के नाम अब भी मतदाता सूची में दिखाई दे रहे थे. यानि जीवित मतदाताओं के नाम नदारद थे और दिवंगत मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज थे, जो अपने आप में वाकई हैरान करने वाली बात थी.
इसके अलावा शहर के कई क्षेत्रों से यह शिकायत भी सामने आयी कि, एक ही परिवार से वास्ता रखने वाले सदस्यों के नाम अलग-अलग मतदाता सुचियों में दर्ज रहने के साथ ही उन्हें अलग-अलग मतदान केंद्र दिये जाने की जानकारी भी सामने आयी. जिसके चलते एक ही परिवार के अलग-अलग सदस्यों को एक ही मतदान केंद्र पर जाकर मतदान करने की बजाय अलग-अलग मतदान केंद्रों पर जाकर मतदान करना पडा. जिसकी वजह से कई परिवारों के सदस्यों को काफी तकलीफों का सामना करना पडा.
* बोगस वोटींग के तीन मामले आये सामने
इसके साथ ही आज अमरावती शहर में बोगस वोटींग के भी कुछ मामले उजागर हुए. जिसमें से सबसे खास मामला तो यह रहा कि, दैनिक अमरावती मंडल के प्रबंध संचालक राजेश अग्रवाल के बेटे अमन अग्रवाल आज जब अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए कालाराम मंदिर स्थित मतदान केंद्र पर पहुंचे, तो पता चला कि, उनके नाम से तो पहले ही वोट पड चुका है. यह बात सुनकर अमन अग्रवाल को काफी हैरत हुई कि, जब उन्होंने अपना वोट डाली ही नहीं, तो उनके नाम पर वोटींग कैसे हो गई. इसके साथ ही रुख्मिणी नगर स्थित मतदान केंद्र में जब धनंजय चिखलीकर नामक व्यक्ति अपने मताधिकार का प्रयोग के लिए पहुंचे, तो उन्हें भी यह जानकर धक्का लगा कि, उनके नाम पर पहले ही किसी अन्य व्यक्ति द्वारा वोट डाल दिया गया है. यह जानने के बाद धनंजय चिखलीकर अपनी पत्नी के साथ मतदान केंद्र के सामने ही धरना वाली भूमिका अपनाकर बैठ गये और उन्होंने साफ तौर पर कहा कि, जब तक उन्हें उनके मताधिकार का प्रयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, तब तक वे मतदान केंद्र से बाहर नहीं जाएंगे. इसी तरह का एक मामला नमूना स्थित मतदान केंद्र पर भी सामने आया. जहां पर मतदान हेतु पहुंचे एक मतदाता के नाम पर पहले ही किसी अन्य व्यक्ति द्वारा वोट डाला जा चुका था. ये तो अपनी तरह के केवल तीन मामले है. इस तरह के और भी कुछ मामले घटित होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता.
* अंतिम समय तक नहीं चल पाया मतदाता पंजीयन अभियान
विशेष उल्लेखनीय है कि, मतदान का प्रतिशत बढाने के लिए निर्वाचन आयोग ने नामांकन की प्रक्रिया खत्म होने तक मतदाता पंजीयन अभियान चलाने की बात कही थी. जिसके मुताबिक 4 अप्रैल तक मतदाताओं विशेषकर पहली बार मताधिकार का प्रयोग करने जा रहे नवमतदाताओं के नामों का पंजीयन होना चाहिए था. परंतु कई स्थानों से यह शिकायत भी अब सामने आ रही है कि, निर्वाचन विभाग ने 24 अप्रैल के बाद से ही मतदाता पंजीयन के काम को पूरी तरह से रोक दिया था. इन तमाम मामलों व शिकायतों को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि, चुनाव एवं मतदान को लेकर जिला प्रशासन द्वारा किये गये तमाम तरह के दावे पूरी तरह से हवा-हवाई थे तथा आज उन दावों की असलियत उजागर हो गई है.
* सुस्त रफ्तार के साथ नियोजनरहित मतदान
आज दिनभर शहर सहित जिले में कई स्थानों पर किये गये प्रत्यक्ष मुआयने में यह भी पता चला कि, जहां एक ओर कताररहित मतदान का कही कोई अस्तित्व नहीं था और लगभग सभी मतदान केंद्रों में मतदाता की लंबी-लंबी कतारे लगी हुई थी. वहीं दूसरी ओर कई मतदान केंद्रों में सेवा निवृत्ति की कगार पर पहुंच चुके बुजुर्ग कर्मचारियों को लगाया गया था. जिनके काम की रफ्तार काफी हद तक सुस्त थी. इस वजह से भी मतदान की रफ्तार काफी धीमी रही और सुस्त रफ्तार से काम चलने की वजह से मतदान का प्रतिशत काफी कम रहा.