कहीं मानसून ट्रिप न साबित हो प्रशासन का मेलघाट दौरा
गांव-गांव पहुंचकर अधिकारी कर रहे फोटो सेशन
* दशकों से मेलघाट की समस्याएं जस की तस
* आज भी मूलभूत सुविधाओं से कोसो दूर है मेलघाट
अमरावती/दि.18 – जिले के ग्रामीण इलाकों विशेषकर आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र के दुर्गम गांवों में रहने वाले लोगों की समस्याओं को देखने-सुनने व समझने हेतु जिलाधीश सौरभ कटियार की संकल्पना के तहत जिला प्रशासन के विभिन्न विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों के दौरे ग्रामीण इलाकों में आयोजित किये गये है. जिसके तहत विभिन्न महकमों के 100 अधिकारियों व उनके साथ कर्मचारियों की टीमों को गत रोज मेलघाट के 100 गांवों के दौरे पर रवाना किया गया है. साथ ही खुद जिलाधीश सौरभ कटियार ने चिखलदरा तहसील अंतर्गत कोहना गांव पहुंचते हुए गांव में चल रहे विकास कामों का मुआयना किया और अंगणवाडी केंद्रों को भेंट देकर पोषाहार योजना व स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी दी. इस उपक्रम से संबंधित सचित्र जानकारी प्रकाशित करने हेतु सभी अखबारों को कई सारी तस्वीरें भी भेजी गई. जिसे देखकर एक बार भी मन में यह सवाल कौंधा कि, कहीं जिला प्रशासन का यह उपक्रम अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए मेलघाट की मानसूनी ट्रिप और वहां की हरी भरी वादियों में फोटो सेशन का अवसर साबित होकर न रह जाये.
उल्लेखनीय है कि, विगत कई दशकों से आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है. जिसे दूर करने हेतु सरकार एवं प्रशासन द्वारा बडे-बडे वादें करने के साथ ही करोडों रुपयों की निधि भी उपलब्ध कराई जाती है. साथ ही साथ अब तक दर्जनों बार नागपुर में होने वाले शीतसत्र दौरान कई मंत्रियों द्वारा सप्ताहांत में मेलघाट के दौरे किये जा चुके है. लेकिन इन तमाम बातों का नतीजा एक तरह से शुन्य ही है. वहीं दूसरी ओर मेलघाट क्षेत्र के आदिवासी बहुल गांवों में जब भी किसी मंत्री या अधिकारी का दौरा आयोजित होता है, तो स्थानीय प्रशासन द्वारा लिपापोती करते हुए अपने वरिष्ठों के समक्ष सबकुछ ऑल वेल दिखाने का प्रयास किया जाता है और मंत्री व अधिकारी भी ‘ऑल इज वेल’ समझते हुए फोटो सेशन कराने के बाद मेलघाट से रवाना हो जाते है. जिसके बाद मेलघाट के दुर्गम व अतिदुर्गम आदिवासी गांवों में हालात एक बार फिर पुराने ढर्रे पर आ जाते है.
ऐसे में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि, इस बार भी बारिश का सीजन शुरु हो जाने के बाद प्रशासन द्वारा हरे भरे हो चुके मेलघाट का दौरा निकालना किसी मानसूनी ट्रिप से कम नहीं है. जिसके दौरान जमकर फोटो सेशन कराते हुए दर्शाया जा रहा है कि, अधिकारियों द्वारा मेलघाट के आदिवासी गांवों की समस्याओं का जायजा लिया जा रहा है. यदि वाकई ऐसा करना होता, तो प्रशासन को चाहिए था कि, बारिश का सीजन शुरु होने से पहले ही मेलघाट में अधिकारियों व कर्मचारियों के दौरे आयोजित करते हुए वहां पर बारिश के दौरान उपजने वाली स्थितियों से निपटने के लिए आवश्यक उपाय किये जाते. क्योंकि मेलघाट में प्रतिवर्ष ही बारिश के सीजन दौरान संक्रामक बीमारियां पांव पसारती है. साथ ही इससे पहले कोयलारी गांव में दूषित पानी की वजह से विषबाधा होकर ग्रामीणों की मौत होने व तबीयत बिगडने जैसी घटनाएं भी घटित हो चुकी है. इन सबके साथ ही विगत करीब तीन दशकों से मेलघाट क्षेत्र में कुपोषण तथा माता मृत्यु व बाल मृत्यु की समस्या भी बनी हुई है. जिसकी जानकारी से खुद जिला प्रशासन भी अनजान नहीं है. ऐसे में मेलघाट क्षेत्र की समस्याओं को जानने व सुलझाने हेतु इतने सारे अधिकारियों का मेलघाट के दौरे पर जाना जरुरी नहीं है, बल्कि इन अधिकारियों को चाहिए कि, वे अपने-अपने कार्यालयों में मेलघाट को लेकर अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन करें, अन्यथा ऐसे दौरों को मानसूनी ट्रिप व फोटो सेशन ही माना जाएगा.