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कल नहा-धोकर तैयार थे अडसूल, कोर्ट का फैसला आते ही नागपुर रवाना हो गए

अडसूल को उम्मीद थी उन्हें भाजपा टिकट देगी

अमरावती/दि. 5 – ‘उम्मीद पर दुनिया कायम है’ यह जुमला जिस किसी ने भी कहा होगा, बडा सोच-समझकर बोला गया जुमला है. अमरावती से दो बार सांसद रहे आनंदराव अडसूल पिछले 15 दिनों से इसी जुमले पर इस बार भी अमरावती से चुनाव लडने की सोच रहे थे. अडसूल को लग रहा था कि, आखरी वक्त तक उन्हें महायुति के उम्मीदवार के रुप में चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है. लेकिन उनकी स्थिति ‘न खुदा ही मिला न विसाले सनम… न इधर के रहे न उधर के हम’ जैसी हो गई. न भाजपा की टिकट मिली और न एकनाथ शिंदे ने घांस डाली. आखिरकार टका सा मुंह लेकर कल फिर अमरावती से लौट गए.
आनंदराव अडसूल और उनके पुत्र अभिजीत अडसूल पिछले एक महिने से फिर अमरावती के चक्कर लगाने लगे थे. वे चार साल से अमरावती से गायब थे. उन्हें उम्मीद थी कि, एकनाथ शिंदे की शिवसेना के कोटे में यह सीट आएगी और फिर एक बार मैदान में उतरेंगे आनंदराव अडसूल. लेकिन वे इस बात का अंदाजा नहीं लगा पाए कि, भाजपा या भाजपा के गठबंधन दलों में इन दिनों हर ताले की चाबी दिल्ली में खुलती है.
अडसूल पिता-पुत्र तीन महिनों से लगातार मीडिया में बने हुए थे. तरह-तरह की राजनीतिक धमकियां टीवी मीडिया के द्वारा अडसूल पिता-पुत्र दे रहे थे.
जब भारतीय जनता पार्टी ने नवनीत राणा को अपनी अधिकृत उम्मीदवारी घोषित कर दी, तो आनंदराव अडसूल उम्मीद लगभग छोड चुके थे. फिर परसों रात 11 बजे सुप्रीम कोर्ट की वेबसाईट पर नवनीत राणा की जात प्रमाणपत्र के मामले में कल यानी 4 अप्रैल को फैसला दिए जाने की सूचना अपलोड की गई. अडसूल के वकील ने उन्हें परसों रात 12 बजे इस बारे में सूचित किया. अडसूल की उम्मीद फिर जागी. वे कल सुबह की फ्लाईट से अमरावती आए. उन्हें लगा की सुप्रीम कोर्ट में फैसला राणा के खिलाफ आ सकता है और ऐसा हुआ तो उन्हें (अडसूल) को महायुति में मौका मिल सकता है.
लेकिन एक बार फिर अडसूल की सारी उम्मीदे धरी रह गई. फैसला आने के पूर्व सुबह 10 बजे वे अपने अमरावती निवासस्थान पर तैयार बैठे हुए थे. अपने कुछ खासमखास कार्यकर्ताओं को भी बुला लिया था. लगभग 12 बजे सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया. सुप्रीम कोर्ट नवनीत राणा का जात प्रमाणपत्र वैध करार दे दिया था. सुको का फैसला आते ही आनंदराव अडसूल कुछ ही मिनटो में नागपुर के लिए रवाना हो गए. फिलहाल कई बार फोन लगाने के बावजूद अडसूल पिता-पुत्र रेंज के बाहर है. इन दोनों ने पिछले दो महिने से दिल्ली, मुंबई और अमरावती में अलग-अलग मीडिया से बातचीत में कई बडे-बडे दावे किए थे. अभिजीत अडसूल तो ऐसी बयानबाजी कर रहे थे, मानो वे नवनीत को हराने चुनाव मैदान में हर हाल में उतरेंगे. लेकिन पिता-पुत्र दोनों में से किसी ने नामांकन नहीं भरा. शायद वे दोनों भूल गए थे कि, सीटी बैंक का मामला अभी जिंदा है.

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