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अडसुल लडेंगे लोस चुनाव, पर्चा खरीदा

मीडिया से कहा आर-पार की है लडाई

अमरावती/दि.29- भूतपूर्व सांसद आनंदराव अडसुल के पुत्र कैप्टन अभिजीत अडसुल ने गुरुवार शाम अमरावती पहुंच यहां से चुनाव लडने की घोषणा कर दी. दोपहर में ही उनके लिए जिलाधिकारी और चुनाव अधिकारी कार्यालय से नामांकन के तीन सेट खरीदे गए थे. उनके पिता और अमरावती के दो बार सांसद रह चुके शिवसेना शिंदे गट नेता आनंदराव अडसुल ने अमरावती मंडल से बातचीत में स्वयं या पुत्र अभिजीत के अमरावती की आरक्षित सीट से चुनाव लडने की बात कही थी. अभिजीत अडसुल ने सोमवार शाम अपने विष्णुनगर स्थित निवास पर मीडिया से बात की.
राणा का सभी कर रहे विरोध
अभिजीत अडसुल ने दावा किया कि जिले में सांसद और विधायक राणा दंपत्ती का भाजपा को छोडकर अधिकांश राजनीतिक दल विरोध कर रहे है. उन्होनें दावा किया कि बच्चू कडू , संजय खोडके और शिवसेना उबाठा के साथ साथ भाजपा के कई स्थानीय पदाधिकारी राणा के विरोध में है. अपने विरोध के बारे में उन्होनें भाजपा के शीर्ष नेताओं को अवगत करा देने का दावा कर कहा कि अब आर-पार की लडाई की घडी आ गई है. वे मैदान में उतरेंगे. किसी भी सूरत में पीछे नहीं हटेंगे.
कोर्ट के फैसले की घडी
अभिजीत अडसुल ने दावा किया कि नवनीत राणा के जाती प्रमाण पत्र पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय अगले सप्ताह आ सकता है. उन्होनें रामटेक में कॉग्रेस उम्मीदवार रश्मी बर्वे का उदाहरण दिया जिनका नामांकन गुरुवार को ही चुनाव अधिकारियों ने जाती प्रमाण पत्र बोगस होेने के कारण खारिज किया है. कैप्टन अडसुल ने दावा किया कि ऐसी स्थिती अमरावती की सांसद नवनीत पर भी आ सकती है.
क्लोज फॉर आर्डर, सुनाना होगा फैसला
महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य रह चुके अडसुल ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने जनप्रतिनिधियों के निर्णय 6 माह के भीतर निपटाने कहे है. ऐसे में नवनीत राणा प्रकरण में तीन वर्ष तक केवल तारीखे दी गई. ऐन वक्त पर क्लोजफॉर आर्डर किया गया. 14 दिनों का समय कोर्ट ने मांगा था. कोर्ट को फैसला सुनाना होगा.
शिवसेना उबाठा से संपर्क
अडसुल ने दावा कि शिवसेना उबाठा गुट के अलावा कॉग्रेस और राकांपा के तमाम स्थानीय पदाधिकारियों का उनसे लगातार संपर्क बना हुआ है. दो दिनों के भीतर इन सभी से चर्चा कर हजारों की संख्या में कलेक्ट्रेट जाकर वे उत्साह से पर्चा दाखिल करेगें. अडसुल के अनुसार महागबंधन की चर्चा हो रही है. उन्होने दावा कि भाजपा की ओर से विश्वास में नहीं लिया गया. स्वयं मुख्यमंत्री चकित है.

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