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जन्म प्रमाणपत्र मामले को लेकर हाईकोर्ट में चुनौती देंगे एड. शोएब खान

भाजपा नेता किरीट सोमैया के आरोपों को बताया बेतुका

* तहसील प्रशासन पर राजनीतिक दबाव में काम करने का लगाया आरोप
* समुदाय विशेष को जानबुझकर टारगेट करना बंद करने की दी चेतावनी
अमरावती/दि. 20- किसी व्यक्ति के नाम में स्पेलिंग को लेकर कोई छोटा-मोटा फर्क या बदलाव रहने के चलते सीधे उस व्यक्ति के अस्तित्व पर सवालियां निशान खडा करते हुए उसके जन्म प्रमाणपत्र को ही फर्जी करार दिया जा रहा है. जिससे संबंधित व्यक्ति की भारतीय नागरिकता की वैधता ही खतरे में पड रही है. साथ ही ऐसा करते हुए समुदाय विशेष के लोगों को जानबुझकर निशाना बनाया जा रहा है. जिससे दो समुदायों के बीच आपसी विश्वास व सौहार्द वाला माहौल बिगड रहा है और समुदाय विशेष के लोगों को लेकर अविश्वास वाली भावना बन रही है. जिसे रोकने हेतु अब सीधे हाईकोर्ट में अपील दायर करते हुए तहसील एवं जिला प्रशासन को ही सवालों के कटघरे में खडा किया जाएगा, इस आशय का प्रतिपादन शहर के वरिष्ठ विधिज्ञ एड. शोएब खान द्वारा किया गया.
अमरावती में बडे पैमाने पर बांग्लादेशीयों व रोहिंग्याओं के आकर बस जाने संदर्भ में भाजपा नेता किरीट सोमैया द्वारा लगाए गए आरोपों को पूरी तरह से बेतुका व तथ्यहीन बताते हुए एड. शोएब खान ने कहा कि, सत्ता पक्ष से वास्ता रखनेवाले पूर्व सांसद किरीट सोमैया द्वारा लगाए गए आरोपों के दबाव में आकर अमरावती तहसील प्रशासन द्वारा आनन-फानन में समुदाय विशेष से वास्ता रखनेवाले 6 लोगों के जन्म प्रमाणपत्र खारिज कर दिए गए. जिसे साफ तौर पर संबंधित प्रमाणपत्र धारकों को प्रताडित किए जाने का मामला कहा जा सकता है. क्योंकि प्रशासन द्वारा की गई प्राथमिक जांच में अब तक अमरावती में कोई भी बांग्लादेशी या रोहिंग्या नहीं मिला है और जिन लोगों के प्रमाणपत्रों को फर्जी बताकर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है वे लोग विगत कई पीढीयों से अमरावती में ही रह रहे है. साथ ही उनके नामों में थोडा बदलाव पाया गया था.
इस संदर्भ में अपनी दलील देते हुए एड. शोएब खान ने कहा कि, मुस्लिमों में ज्यादातर लोगों के सर्नेम खान, पठान, शेख व सैयद होते है. इसमें से शेख सर्नेम वाले लोग अपने नाम के आगे या पीछे अहमद, मोहम्मद, अब्दुल या अली भी लिखते है. इसी तरह मुस्लिम महिलाओं के नाम के आगे बेगम, बानो, बी, परवीन व अंजूम लिखा जाता है. जिन लोगों के जन्म प्रमाणपत्रों को प्रशासन द्वारा फर्जी करार दिया गया है, उन लोगों के आवेदन व दस्तावेज में नामों का यह क्रम थोडाबहुत आगे-पीछे दिखाई दिया, मसलन अहमद की जगह अब्दुल लिखा हुआ था और बानो या बी की जगह बेगम या परवीन लिखा हुआ था. जबकि दोनों शब्द आपस में पर्यायवाची है और मुस्लिमों में एक ही व्यक्ति के ऐसे दो नाम हो सकते है. इसके साथ ही एड. शोएब खान का यह भी कहना रहा कि, कायदे के मुताबिक अगर किसी के नाम में कोई गलती है और यदि उसने दुरुस्ती करने की जरुरत है तो किसी गैझेटेड ऑफीसर या अदालत के समक्ष आवेदन करते हुए ऐसी दुरुस्ती करने का प्रावधान भी है. परंतु यह पर्याय उपलब्ध कराने की बजाए प्रशासन ने नाम में गलती और दुरुस्ती रहनेवाले लोगों के खिलाफ राजनीतिक दबाव में आकर सीधे फौजदारी मामला ही दर्ज करा दिया. जो पूरी तरह से गैरमुनासीब काम है.
उपरोक्त जानकारी देने के साथ ही एड. शोएब खान ने साफ चेतावनी दी है कि, अगर तहसील प्रशासन द्वारा केवल नाम में गलती रहने की वजह से आम नागरिकों के खिलाफ ऐसे झूठे मामले दर्ज कराना बंद नहीं किया गया तो उन्हें मजबुरन अदालत की शरण में जाना पडेगा. जहां पर वे दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग भी उठाएंगे. साथ ही अभी जिन 6 लोगों के जन्म प्रमाणपत्रों को फर्जी बताते हुए अपराधिक मामले दर्ज किए गए, इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की जाएगी और एफआईआर को रद्द करने की मांग उठाई जाएगी.

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