* एचजी इंफ्रा कंपनी की एक और अडियल नीति
चांदूर बाजार/दि.29-विगत वर्ष 5 जुलाई को तहसील में मूसलाधार बारिश के कारण काफी नुकसान हुआ था. शहर के कई इलाकों में नाले के बाढ़ का पानी सैकडों नागरिकों के आशियानो में घुसा था, जिसके कारण कइयों के घर धराशाही हुए थे, तो कईयों का भारी आर्थिक नुकसान हुआ था.नुकसानग्रस्त परिवारों को आर्थिक सहायता दी गई थी लेकिन अधिक प्रभावित करीब 50 परिवारोें को आर्थिक सहायता मिले इसकी गुहार संबंधित निर्माण कार्य कंपनी के नुमाइंदों से की गई थी. जिसकी दखल लेकर एचजी इंफ्रा कंपनी ने 3 लाख रुपए का धनादेश तत्कालीन तहसीलदार धीरज स्थूल को सौंपा था. लेकिन पीड़ित परिवारो का कहना था की प्रति परिवार कम से कम 10 हजार रुपए मुआवजा मिलना चाहिए. इसी तरह यही मांग स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा भी की गई और वह धनादेश लौटाया गया था और रकम बढ़ा कर 5 लाख रुपए की मांग की गई थी. लेकिन उसके बाद यह मामले की प्रक्रिया जारी थी की तहसीलदार धीरज स्थूल का तबादला हुआ जिसके कारण यह मामला पूरी तरह बंद हो गया. अब पीड़ित नागरिक मुआवजे के इंतजार में है साथ ही विद्यमान तहसीलदार गीतांजली गरड से लिखित रूप से मांग भी कर चुके है. कल कई पीड़ित तहसीलदार कक्ष में पहुंचे और गीतांजली गरड से इस मामले पर बातचीत की. गीतांजली गरड ने तुरंत ही संबंधितों से बातचीत की और तुरंत ही कोई उपाययोजना निकालने की बात कही.
नागरिकों ने बताया कि, बारिश के कारण हुए नुकसान का मुख्य कारण राष्ट्रीय महामार्ग के निर्माण कार्य को अंजाम दे रही एच-जी इंफ्रा कंपनी की गैर जिम्मेदाराना कार्यप्रणाली है. बता दें की शहर में करीब पिछले 4 वर्षो से राष्ट्रीय महामार्ग क्रमांक 353-जे का निर्माण कार्य जारी है. इसी के चलते परतवाडा रोड स्थित नाले के पुल के निर्माण कार्य हेतु पुल को तोडा गया था. पुल का निकलने वाला मलबा और मिट्टी नाले में ही डाली गई थी. लेकिन लगातार बारिश के कारण नाले में बाढ आई और पानी को निकालने की जगह ना मिलने के कारण पानी जगह जगह से नाले से सटकर रहने वाले नागरिकों के घरों मे घुस गया जिसके चलते शहर में काफी तबाही मची थी. नुकसानग्रस्त लोगों को अब तक मुआवजा नहीं मिलने से उन्होंने तहसीलदार को इस बारे में अवगत कराया.