अमरावती

आखिर कब खत्म होगी बेलोरा विमानतल की साढे साती

केवल कई-कई करोड रुपयों की घोषणाएं भर रही उडान

* विमानों के टेकऑफ की अमरावती वासी कर रहे प्रतीक्षा
अमरावती/दि.3– विगत लंबे समय से बेलोरा विमानतल के विकास और विस्तार की चर्चाएं चल रही है और इस काम के लिए बीच-बीच में कई बार कुछ करोड रुपयों की निधि प्राप्त होने की घोषणाएं करते हुए दावा किया जाता है कि, बेलोरा विमानतल से विमानों की नियमित उडानें अब शुरु होंगी या कब शुरु होंगी. लेकिन विगत कई वर्षो के इंतजार के बावजूद ऐसा अब तक हकिकत में हुआ नहीं हैं. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि आखिर बेलोरा विमानतल विमानतल से नियमित हवाई सेवा कब शुरु होगी और इस विमानतल के पीछे लगी महादशा व साढे साती आखिर कब खत्म होगी.
उल्लेखनीय है कि अमरावती शहर में पुराना बायपास रोड पर स्थित एमआयडीसी के साथ ही अब नांदगांवपेठ में नई पंचतारांकित एमआयडीसी भी साकार हो गई हैं. जहां पर टेक्टाइल जोन भी बनाया गया हैं किंतु अमरावती में सीधी हवाई सेवा उपलब्ध नहीं रहने के चलते कई बडे उद्योग व मल्टिनेशनल कंपनियों के संचालक यहां आकर अपनी औद्योगिक ईकाईयां नहीं लगाना चाहते. जिसके चलते विमानतल का अभाव रहने की वजह से अमरावती का औद्योगिक व आर्थिक विकास अधर में लटका पडा है ऐसा कहा जा सकता हैं.
बता दें कि पूर्व मंत्री डॉ. सुनील देशमुख के जिला पालकमंत्री रहते समय बेलोरा विमानतल के विस्तार व विकास के लिए 26 फरवरी 2009 को सरकारी निर्णय व आदेश निर्गमित करते हुए इस काम को मान्यता दी गई थी. पश्चात 28 फरवरी 2014 को एक अन्य सरकारी निर्णय के जरिए यह विमानतल विस्तारिकरण व विकास संबंधी कामों हेतु भारतीय विमानतल प्राधिकरण (एएओआय) को हस्तांतरित करने का फैसला किया गया था. साथ ही बडनेरा-यवतमाल जोड रास्ते के साथ ही फोरलेन रास्ते विद्युत वाहिनी व जलापूर्ति के कामों हेतु 34 करोड रुपयों के खर्च को मान्यता दी गई थी. लेकिन वर्ष 2014 तक कोई भी काम हकिकत में शुरु नहीं हुए. कुल मिलाकर वर्ष 2009 से 2014 के दौरान सरकारी स्तर पर बार-बार हुए नीतिगत बदलाव का परिणाम इस काम पर पडा और बेलोरा विमानतल का विकास करने में एयरपोर्ट अर्थाटी ऑफ इंडिया एक तरफ से नकाम रहा. जिसके बाद बेलोरा विमानतल के विस्तार और विकास हेतु मुंंबई की महाराष्ट्र एयरपोर्ट डेवपमेंट कार्पोरेशन नामक कंपनी की निुयक्ति करने का आदेश राज्य सरकार व्दारा 5 जनवरी 2017 को जारी किया गया. जिसमें इस विमानतल के विकास हेतु 75 करोड रुपए के विकास कार्य प्रस्तावित किए गए. इसके तहत विमानतल व रनवे प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट, ओएलएस सर्वे विमानतल का विस्तृत प्रारुप, फिलहाल अस्तित्व में रहने वाली टर्मिनल बिल्डिंग व रनवे, एटीएस टॉवर बिल्डिंग व पार्किंग आदि के संशोधित नक्शे तैयार करने के साथ ही एएआय व्दारा दिए गए सुझाव के अनुसार एटीआर-72 प्रकार वाले यात्री विमानों की लैंडिंग व टेकऑफ के लिए रनवे की लंबाई को 1372 मीटर से बढाकर 1850 मीटर किया गया. लेकिन इसके बावजूद भी अब तक बेलोरा विमानतल से विमानों के टेकऑफ और लैंडिंग का सिलसिला प्रत्यक्ष में शुरु नहीं हो पाया हैं. यानि अब तक किए गए करोडों रुपए के कामों का अमरावती वासियों को काई लाभ नहीं मिला हैं.

* प्रकल्प की कुल किमत 279.31 करोड रुपए
– जोड मार्ग व भूसंपादन 64.33 करोड
– 64.87 हेक्टेयर जमीन पहले की गई अधिग्रहित
– 287 हेक्टेयर जमीन का नए सिरे से अधिग्रहण
– 3,000 चौरस फुट की प्रशासकीय ईमारत
– 72 आसनी क्षमता वाले एटीआर-72 यात्री विमानों की सेवा शुरु करने का निर्णय
– 1850 मीटर तक बढाई गई रनवे की लंबाई.

* रनवे के अभाव में एयर एम्बुलेंस सेवा भी लटकी
उल्लेखनीय है कि मरणोपरांत अवयव दान के क्षेत्र में अमरावती शहर सहित जिले का सक्रिय सहभाग हैं. साथ ही यहां बडे पैमाने पर किडनी प्रत्यारोपण भी होते हैं. परंतु अन्य राज्य के डॉक्टरों हेतु मरीजों को सेवा देने के लिए विमानसेवा के अभाव में सीधे अमरावती आना संभव नहीं हो पाता. साथ ही यहां पर विमानतल हेतु आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाने के चलते अब तक एयर एम्बुलेंस की सेवा भी शुरु नहीं हो पाई हैं.
– विमानसेवा नहीं रहने के चलते बडे-बडे सेलेब्रिटी व क्रिकेटर भी अमरावती को पीठ दिखा देते हैं. साथ ही कई बडे उद्योजक व मल्टिनेशनल कंपनियों के संचालक भी विमानसेवा नहीं रहने के चलते अमरावती नहीं आना चाहते. क्योंकि यहां आनेज-जाने में सडक मार्ग का प्रयोग करना पर उनका काफी समय खर्च होता हैं. साथ ही चार्टर फ्लाइट या विशेष हेलिकॉप्टर की विशेष सेवा लेने पर उन्हें काफी पैसा खर्च करना पडता हैं. ऐसे में इस तरह के लोगों को अमरावती की ओर आकर्षित करने हेतु बेलोरा विमानतल से नियमित हवाई सेवा का शुरु होना बेहद जरुरी हैं.

* विमानसेवा नहीं रहने से लटका विकास
कई बार अलग-अलग जनप्रतिनिधियों व्दारा बेलोरा विमानतल के विकास हेतु कुछ करोड रुपयों की निधि लाए जाने की बडे जोरशोर से घोषणा की जाती हैं. लेकिन विगत 10 वर्षो से लगातार हो रही घोषणाओं के बावजूद भी बेलोरा विमानतल का मामला जहां के तहां ही अटका हुआ हैं और इस विमातल के पीछे लगी साढे साती व महादशा भी अब तक दूर नहीं हुई हैं. जिसका सीधा असर जिले के आर्थिक, व्यापारिक, औद्योगिक व शैक्षणिक विकास पर पड रहा हैं. अमरावती के दो-दो औद्योगिक विकास क्षेत्र में अब भी बडे पैमाने पर जगह रिक्त पडी हैं. क्योंकि यहां पर बडे उद्योग आने के लिए तैयार नहीं है और उद्योजक यहां पर निवेश करने में रुचि नहीं दिखा रहे. इसी तरह अमरावती में मेलघाट व चिखलदरा जैसे प्राकृतिक सौंदर्य वाले स्थान हैं जहां पर फिल्मों की शूटिंग हो सकती हैं. लेकिन विमानसेवा उपलब्ध नहीं रहने के चलते फिल्म निर्माता तथा अभिनेता व अभिनेत्री भी यहां आने के इच्छूक नहीं हैं. यदि बेलोरा विमानतल से सीधी हवाई सेवा शुरु हो जाती है तो यह सभी काम भी अपने आप गति पकड लेंगे. जिससे अमरावती जिले का विकास नई उडान भरेगा यह तय हैं.

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