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आखिर ‘उन’ 37 लॉकरों से 2,700 ग्राम असली सोना कहां गया?

लॉकर में रखे-रखे असली सोना कैसे बन गया नकली

* यूनियन बैंक के अधिकारी ही संदेह के घेरे में
* पुलिस द्वारा कभी भी किया जा सकता है गिरफ्तार
* लगातार संदिग्ध हो रही है बैंक के प्रबंधन की भूमिका
* एक-दो सराफा व्यवसायी भी हैं संदेह के घेरे में
अमरावती/दि.23-विगत कुछ दिनों से युनियन बैंक ऑफ इंडिया की राजापेठ शाखा लगातार सवालों और संदेहों के घेरे में और बैंक के लॉकरों में से निकले नकली सोने के मामले को लेकर अब शहर पुलिस आयुक्तालय की अपराध शाखा द्बारा जांच की जा रही है. जिसके तहत पता चला है कि, यूनियन बैंक के 37 लॉकरों में करीब 2 किलो 700 ग्राम असली सोने को बदलकर उसके स्थान पर नकली सोना रखा गया. ऐसे में अब यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों व कर्मचारी ही आरोपी के कठघरे में खडे दिखाई दे रहे है, क्योंकि बैंक के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत के बिना यह करोडों रूपयों का फ्रॉड करना संभव ही नहीं है और इस मामले में बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों का स्पष्ट रूप से हाथ रहने की बात खुद जांच अधिकारियों द्वारा मानी जा रही है. जिसके चलते यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के स्थानीय अधिकारियों व कर्मचारियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है.
बता दे कि यह पूरा मामला उस समय सामने आया जब अकोली परिसर के आंचल बिहार में रहनेवाले उज्वल मलसने नामक व्यक्ति ने राजापेठ पुलिस थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई थी कि, उसके द्बारा बैंक में रखे गये 100 ग्राम असली सोने को बदलकर नकली सोना कर दिया गया है और उसके साथ करीब साढे पांच लाख रूपये की जालसाजी की जा रही है. पश्चात इससे ही मिलती जुलती कुछ और शिकायतें भी सामने आयी. जिसके बाद पुलिस ने युृनियन बैंक ऑफ इंडिया की राजापेठ शाखा के अधिकारियों के नाम नोटिस जारी की. जिसके जवाब में बैेंक की ओर से बताया गया कि इस मामले में बैंक द्बारा किए गये ऑडिट में पता चला है कि बैेंक के 92 में से 59 लॉकरों में नकली सोने के आभूषण जबकि वहां पर लॉकर धारको व कर्जधारक ग्राहको के असली सोने के आभूषण रखे गये थे. खुद बैंक द्बारा अपनी ऑडिट रिपोर्ट में इस बात को स्वीकार कर लिए जाने के चलते बैंक के खाताधारको और कर्ज धारको में अच्छा खासा हडकंप व्याप्त हो गया. इसी दौरान बैंक द्बारा अपने लॉकरों में करीब तीन करोड रूपये मूल्य के 5 किलो 800 ग्राम होने के आभूषणों की हेराफेरी होने की बात स्वीकार कर लिए जाने के चलते इस मामले की जांच राजापेठ पुलिस के पास से हटाकर आर्थिक अपराध शाखा पुलिस को दी गई. जिसके बाद बैंक के कुछ प्रमुख अधिकारियों के साथ आर्थिक अपराध शाखा पुलिस ने पूछताछ की. इस समय बैंक अधिकारियों द्बारा बताया गया कि फिलहाल बैंक के सभी खातों का ऑडिट चल रहा है. जिसकी रिपोर्ट तय होने में 2 से 3 दिन का समय लगेगा और इसके बाद ही पूरा मामला सामने आयेगा.
वही इस दौरान आर्थिक अपराध शाखा ने बैंक से गोल्ड लोन उठानेवाले सभी ग्राहको के नामों को खंगालना शुरू किया तो एक सनसनीखेज जानकारी सामने आयी. जिसके मुताबिक 22 ऐसे कर्जधारको का भी पता चला. जिन्होंने युनियन बैंक ऑफ इंडिया की राजापेठ शाखा से कोई कर्ज ही नहीं लिया है. तब उन्होंने अपना कोई सोना बैंक के पास गिरवी भी नहीं रखा है. इसमें से कुछ ग्राहको के नाम पर चार-चार खाते दिखाते हुए उनके द्बारा गोल्ड लोन लिए जाने की बात दर्शायी गई है. एक खाते में तो एक सराफा व्यवसायी के नाम पर 6.75 लाख रूपये क्रेडिट किए गये है. इसके अलावा जिस सोने के भरोसे 20 लाख रूपये का गोल्ड लोन दिए जाने की बात कही गई है वह सोना दिखाने में भी बैंक व्यवस्थापन नाकाम रहा. जिन 63 मामलो में नकली सोना पाया गया है. उनमें से कुछ गिने चुने ग्राहको ने युनियन बैंक ऑफ इंडिया के शाखा कार्यालय में पहुंचकर अपने सोने और खाते की रकम के बारे में आवश्यक जांच पडताल की ऐसे में अब पुलिस द्बारा इस बात की जांच की जा रही है कि कही ऐसा तो नहीं कुछ बैेंक के अधिकारियों व कर्मचारियों ने आपसी मिलीभगत के तहत फर्जी ग्राहकों के नाम पर गोल्ड लोन मंजूर करते हुए बैंक के लॉकर में नकली सोने के आभूषण लाकर रखे. वही 59 में से 22 फर्जी खाताधारकों के नाम सामने आते ही यह साफ हो गया कि, शेष 37 ग्राहक वाकई अस्तित्व में है. जिन्होंने अपना असली सोना बैंक के पास लाकर गिरवी रखा था और कर्ज हासिल किया था. साथ ही अपना गिरवी रखा सोना छूडाने हेतु वे नियमित रूप से कर्ज की किश्तें भी भर रहे थे. लेकिन दूसरी ओर बैंक के लॉकर में रखे गये सोने पर ही एक तरह से हाथ साफ कर दिया गया.

* 22 लोगों ने गोल्डन लेने की बात से किया इनकार
– एक-एक व्यक्ति के नाम पर खोले गये है चार-चार खाते
इस जांच के दौरान पता चला है कि जिन-जिन लोगों को बैंक का गोल्ड लोन कर्जधारक दर्शाया गया है और जिनके द्बारा तर्ज की ऐवज में बैंक के पास सोना गिरवी रखने की बात कही गई है. उनमें से 22 लोग ऐसे है. जिन्होंने पुलिस के सामने आकर बताया कि उन्होंने तो बैंक से कोई गोल्ड लोन लिया ही नहीं. ऐसे में उनके द्बारा बैंक में सोना गिरवी रखने का सवाल ही नहीं उठता. इसके चलते अब सबसे बडा सवाल यह है कि जब संबधित खाताधारक द्बारा सोना गिरवी रखते हुए गोल्ड लोन निकाला ही गया तो उसके नाम पर कर्ज किसे दिया गया और किसने बैंक के पास सोना गिरवी लाकर रखा. इस सवाल के साथ ही अब इस मामले में बैंक के अधिकारी और कर्मचारी की भूमिका और भी अधिक संदिग्ध हो चली है. क्योंकि बैंक के लॉकर तक खाताधारक ग्राहक के अलावा केवल बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों की ही पहुंच होती है. चूकि 22 खाताधारको के मामले में कोई ग्राहक भी नहीं था तो जाहीर तौर पर गोल्ड लोन की फाईल बनाकर कर्ज की राशि आवंटित करने और इसके लिए नकली सोने के आभूषण लाकर बैंक के लॉकर ने रखने वाले मामले में निश्चित तौर पर बैंक के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत शामिल थी. ऐसा कहा जा सकता है.

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की राजापेठ शाखा में गोल्ड लोन के नाम पर फ्रॉड हुआ पाया गया है. हमने अगले आठ दिनों के भीतर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों सें उनकी ऑडिट रिपोर्ट मांगी है. जिसके बाद आरोपियों के चेहरे सामने आयेंगे.

 

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