पिता हाजी यूसुफ के बाद बेटे रहीम ने उठायी लावारिस शवों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी
पिता की विरासत को आगे कायम रखेंगे- रहीम खान
अमरावती -/दि.3 शहर के रतनगंज निवासी हाजी यूसुफ खान की मूल पहचान ही लावारिस शव के अंतिम विधि को लेकर उभरी थी. बीते 35 वर्ष पहले उन्होंने इस पुण्य काम की शुरुआत की थी. पुलिस को अंतिम संस्कार के लिए निधि न मिलने से वह स्वयं आगे बढ-चढकर सर्वधर्मिय लोगों के शव का अंतिम संस्कार करते रहे. 35 साल के गुजरे सफर में उन्होंने स्वयं अपने पैसों से लगभग 1700 से अधिक लावारिस शव का अंतिम संस्कार किया है. जिसे लेकर भी कई पुरस्कार से सम्मानित हुए हैं. 2019 में उनका निधन हुआ, लेकिन व्यवसायी उनके बेटे रहीम ने अपने पिता की इस परंपरा को बरकरार रखा है. बेटे रहीम ने भी पिछले ढाई वर्षों में अब तक 57 लावारिस शव का अंतिम संस्कार किया है. यहीं कुछ समाजसेवी हैं जो सामाजिक कार्य में भी अपनी अलग छाप बनाए हुए हैं.
पिता हाजी यूसुफ खान की विरासत आगे कायम रखने का विश्वास रहीम खान ने व्यक्त किया. रहीम खान द्बारा उत्सव मेला का आयोजन किया जाता है. उत्सव मेले की नींव भी हाजी यूसुफ खान ने ही रखी थी. अब उनके बेटे रहीम खान उत्सव मेेले का आयोजन कर सभी को आनंदीत रखने का प्रयास करते है. उसी प्रकार कई सामाजिक कार्यों में भी बढ-चढकर योगदान देते है. आज उनके जन्मदिन पर उन्हें सर्वस्तर से बधाईयां दी जा रही है.