हा ना हा ना के बाद आनंदराज आंबेडकर फिर उतरे मैदान में
पत्रकार परिषद में की घोषणा, कहा समर्थकों का दबाव है
अमरावती /दि.8– रिपब्लिकन सेना के मुखिया आनंदराज आंबेडकर ने अमरावती लोकसभा चुनाव में फिर एक बार मैदान में उतरने की घोषणा की है. आनंदराज आंबेडकर ने कल मुंबई से अमरावती आकर पत्रकार परिषद ली और उसमें घोषणा की कि, कार्यकर्ताओं, समर्थकों और आंबेडकरी जनता की मांग पर वे फिर एक बार चुनाव मैदान में उतरने का निर्णय ले रहे है.
गौरतलब है कि, आनंदराज आंबेडकर ने पिछले 6 महिने की तैयारी के बाद 2 अप्रैल को अपना नामांकन पर्चा दाखिल किया था. वे चाहते थे कि, वंचित बहुजन आघाडी का उन्हें समर्थन मिले. परंतु 3 तारीख की रात तक वंचित ने उन्हें सार्वजनिक रुप से समर्थन घोषित नहीं किया था. इसी से खीन्न होकर उन्होंने एक पत्र मीडिया के नाम जारी किया और कहा कि, वे अपनी उम्मीदवारी वापिस ले रहे है और किसी भी हाल में अमरावती लोकसभा चुनाव नहीं लडेंगे. उन्होंने अपने चुनाव न लडने के पीछे वंचित को जिम्मेदार ठहराया था. आनंदराज आंबेडकर के इस कदम के बाद वंचित बहुजन आघाडी की ओर से 4 अप्रैल की सुबह युवा प्रदेशाध्यक्ष नीलेश विश्वकर्मा ने एक पत्र जारी किया और कहा कि, वंचित बहुजन आघाडी आनंदराज आंबेडकर को समर्थन देने के लिए तैयार है. इसके लिए नीलेश विश्वकर्मा ने एक वीडियो संदेश भी जारी किया था.
वंचित के इस कदम के बाद आनंदराज आंबेडकर फिर सक्रिय हुए. वे वापस मुंबई लौट गये थे, वे मुंबई के ही रहने वाले है. वंचित के समर्थन के पश्चात रिपब्लिकन सेना के पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं ने मुंबई में बैठक ली. इस बैठक में आनंदराज आंबेडकर से फिर से चुनाव लडने की मांग की गई. आखिरकार कल आनंदराज आंबेडकर ने अमरावती में पत्रकार परिषद में घोषणा की कि, वे अमरावती लोकसभा चुनाव लड रहे है. उन्होंने वंचित बहुजन आघाडी एमआईएम और अन्य मित्र पार्टियों का उन्हें समर्थन होने की बात कही.
आनंदराज आंबेडकर ने कहा कि, फिलहाल देश में लोकतंत्र खतरे में है. कांग्रेस के अनेक नेता भारतीय जनता पार्टी में जा रहे है, लेकिन वे कभी भाजपा का दामन नहीं थामेंगे. अमरावती विभाग के प्रश्न प्रभावी तरीके से रखने के लिए और आंबेडकरी विचारों की जनता का प्रतिनिधित्व करने की दृष्टि से वे चुनाव लड रहे है.
* राहुल गांधी केरल से, तो मैं अमरावती से क्यों नहीं?
आनंदराज आंबेडकर ने कहा कि, उनका कार्यक्षेत्र मुंबई है, लेकिन उन्हें अमरावती और आसपास के प्रश्नों का अच्छा अभ्यास है. राहुल गांधी केरल से लड सकते है, तो वे अमरावती से क्यों नहीं. उन्होंने कहा कि, आंबेडकरी समाज को न्याय दिलाने, राजनीतिक क्षेत्र को कुछ लोगों द्वारा मक्तेदारी समझने के खिलाफ उनकी उम्मीदवारी है.