लोकसभा के बाद अब विधानसभा में शिक्षकों की इलेक्शन ड्यूटी
अमरावती/दि.4– शिक्षकों का प्रमुख कार्य विद्यार्थियों को पढाना होता है. परंतु यह काम करने के साथ ही सरकारी शिक्षकों को कई प्रकार के अशैक्षणिक काम भी करने पडते है. कुछ माह पूर्व ही लोकसभा चुनाव का मतदान निपटा. वहीं आगामी दो-तीन माह बाद विधानसभा के चुनाव होने है और प्रत्येक चुनाव में शिक्षकों को इलेक्शन ड्यूटी पर लगाया जाता है. जिसके चलते विगत अप्रैल माह में लोकसभा चुनाव की ड्यूटी से फारिग हुए शिक्षकों को अब विधानसभा चुनाव से संबंधित कामों में लगाया जाएगा. जिससे स्वाभाविक तौर पर विद्यार्थियों की पढाई-लिखाई का काम प्रभावित होगा.
* कुल शालाएं
जिला परिषद प्राथमिक शिक्षा विभाग के अख्तियार में 14 पंचायत समिति अंतर्गत 1583 शालाएं है. इसके अलावा माध्यमिक हाईस्कूल शालाओं की संख्या 50 के आसपास है.
* कुल शिक्षक
जिला परिषद शिक्षा विभाग के अख्तियार में जुलाई माह की रिपोर्ट के अनुसार 5085 पद मंजूर है. जिसमें से इस समय 4199 शिक्षक कार्यरत है. वहीं 938 पद रिक्त है.
* 2682 शिक्षक बनेंगे बीएलओ
लोकसभा चुनाव के बाद अब प्रशासकीय तौर पर विधानसभा चुनाव की तैयारी चल रही है. इसके मद्देनजर जिले के 8 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रो में करीब 2682 शिक्षकों पर बीएलओ यानी मतदान केंद्र प्रमुख के रुप में जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. जिला परिषद व महानगर पालिका सहित अन्य कर्मचारियों को भी बीएलओ के तौर पर नियुक्त किया जाता है. लेकिन बीएलओ की जिम्मेदारी ज्यादातर शिक्षकों को ही दी जाती है.
* सप्ताह में तीन दिन चुनाव संबंधी कार्य
विधानसभा के चुनाव दिपावली के बाद होने की संभावना है. जिसके लिए निर्वाचन विभाग द्वारा अभी से तैयारियां करनी शुरु कर दी गई है. ऐसे में बीएलओ के तौर पर जिम्मेदारी रखनेवाले शिक्षकों को सप्ताह में तीन दिन चुनाव संबंधी काम करना होगा.
* पढाएगा कौण?
चुनाव संबंधी कामों के साथ ही सरकार की विविध योजनाओं की जानकारी व लाभ भी आम जनता तक पहुंचाने का काम शिक्षकों को दिया जाता है. ऐसे में इस तरह अशैक्षणिक कामों में व्यस्त रहनेवाले शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को कब पढाया जाए यह अपनेआप में बडा सवाल है. क्योंकि, शिक्षकों पर अशैक्षणिक कामों का बोझ लगातार बढता ही जा रहा है.