तेंदूए के बाद अब सायल ने किया शहर का रुख, फरशी स्टॉप परिसर में देखा गया सायल
जंगलों में बढ रहा इंसानी हस्तक्षेप, वन्यजीव आ रहे रिहायशी बस्तियों मे
* शहर के कई इलाकों में तेंदूआ पहले से फैला रहा दहशत
अमरावती /दि.25– दिनोंदिन वन क्षेत्रों का आकार सिकुड रहा है तथा जंगलों में इंसानी हस्तक्षेप लगातार बढता जा रहा है. जिसके चलते वन्य प्राणियों का अधिवास क्षेत्र प्रभावित होने के साथ ही उनके भोजन-पानी के स्त्रोत घट रहे है. जिसके चलते अपने भक्ष्य की तलाश में वन्य प्राणियों ने अब इंसानों की रिहायशी बस्तियां यानि शहरी क्षेत्र की ओर रुख करना शुरु कर दिया है. जिसके तहत विगत कई दिनों से शहर के अलग-अलग इलाकोें में तेंदूए का मुक्त संचार देखा जा रहा था. वहीं अब फरशी स्टॉप परिसर में सायल नामक वन्यजीव को देखा गया है. अपने पूरे शरीर पर नोकिले काटे रहने वाले तथा किसी भी व्यक्ति से खुद के लिए खतरा दिखाई देते ही उस पर नोकिले काटे छोडने वाले सायल के फरशी स्टॉप परिसर के कई इलाकों में दिखाई देने की जानकारी मिलते ही वन विभाग के दल ने तुरंत ही इस परिसर में पहुंचकर सायल की खोजबीन करनी शुुरु की. जिसका फिलहाल तक कोई पता नहीं चल पाया है.
वहीं दूसरी ओर शहर के पाठ्यपुस्तक मंडल परिसर में विगत 15 दिनों से तेंदूए की दहशत व्याप्त है और उक्त तेंदूआ भी अब तक वन विभाग की पकड में नहीं आया है. जानकारी के मुताबिक 3 दिन पहले शनिवार की रात दस्तूर नगर परिसर के न्यू कालोनी, श्री कालोनी व साधना कालोनी परिसर में सायल दिखाई दिया. जिसकी जानकारी मिलते ही वाइल्ड लाइफ अवेयरनेस, रिसर्च एण्ड रेस्क्यू वेलफेअर सोसायटी के सदस्यों ने तुरंत इसकी सूचना वनविभाग को दी और सोसायटी के नीलेश कंचनपुरे अभिजीत दानी, सागर वर्हाडे व अजय ढवले ने वन विभाग के दल के साथ इस परिसर का दौरा किया. परंतु 2 दिनों तक पूरे परिसर की खाक छानने के बावजूद भी उक्त सायल दिखाई नहीं दिया. वहीं तीसरे दिन यानि सोमवार की शाम धनवंतरी नगर के पीछे स्थित हरिगंगा ऑईल मिल परिसर सहित अशोक स्टेट बैंक कालोनी व गणेश नगर के नाला परिसर में कुछ लोगों को सायल दिखाई दिया. जो काफी गुस्से में था और उसने अपने शरीर के कांटों को फैला रखा था, ताकि अगर कोई उसके पास आए, तो वह उस पर अपने कांटे छोडकर हमला कर सके. यह देखकर परिसरवासियों मेें अच्छा खासा डर व्याप्त हो गया.
उल्लेखनीय है कि, वडाली तालाब एवं छत्री तालाब परिसर में तेंदूए सहित अजगर, मोर, खवल्या मांजर, कालवीट, चिकारा, हिरण व नीलगाय सहित कई तरह के दुर्लभ व सुरक्षित वन्य प्राणियों का अधिवास है. परंतु इन दिनों हो रही जंगल कटाई की वजह से इन वन्य प्राणियों का अधिवास क्षेत्र घट रहा है. जिसके चलते यह सभी जंगली जानवर अब भोजन की तलाश में शहर की ओर आ रहे है. जिसकी वजह से इंसानों के लिए खतरा पैदा हो रहा है.
* पोहराबंदी व भानखेडा परिसर में तेंदूए की दहशत
उधर पोहराबंदी, भानखेडा, गोविंदपुर व कौंडेश्वर परिसर में विगत 8 दिनों से तेंदूए ने जमकर उत्पात मचा रखा है तथा इस परिसर में एक दर्जन से अधिक बकरियों का शिकार किया है. साथ ही इन तेंदूओं की वजह से खेत खलिहानों में काम करने वाले किसानों व मजदूरों तथा जंगलों मेंं जानवरों को चराई हेतु ले जाने वाले चरवाहों के लिए भी खतरा पैदा हो गया है. विशेष उल्लेखनीय है कि, जंगल में चराई के दौरान चरवाहों की नजर बचाकर झाडियों में छीपे तेंदूए द्वारा 12 बकरियों का शिकार किया गया. जिसमें से कुछ बकरिया जंगल क्षेत्र में मृत पडी मिली. परंतु अब तक जंगल में गश्त लगाने वाले वनरक्षकों द्बारा इन तेंदूओं का कोई बंदोबस्त नहीं किया जा सका है. इसके अलावा विद्यापीठ परिसर में भी विगत 15 दिनों के दौरान 2 बार तेंदूआ दिखाई दिया है. जिसके चलते विद्यापीठ परिसर के छात्रावासों में रहने वाले छात्र-छात्राओं सहित यहां के कर्मचारियों मेें तेंदूए को लेकर अच्छी खासी दहशत देखी जा रही है. परंतु विद्यापीठ परिसर में मुक्त संचार रहने वाले तेंदूए को भी अब तक पकडा नहीं जा सका है.