अमरावती

दो वर्ष के ‘पेंडामिक’ पश्चात इस बार दीपावली का उत्साह

आकर्षक लक्ष्मी मूर्तियों से सजा बाजार

  • सभी दूकानों में दिख रही अच्छी-खासी ग्राहकी

अमरावती/दि.30 – दीपावली को आनंद, उत्साह व समृध्दी का पर्व माना जाता है. किंतु विगत दो वर्ष के दौरान दीपावली सहित सभी तरह के पर्व एवं त्यौहारों पर कोविड की संक्रामक महामारी का काला-घना साया मंडराता रहा और सभी त्यौहार सन्नाटे की भेंट चढ गये. किंतु अब संक्रमण का खतरा कम होने और प्रतिबंधात्मक नियमों के शिथिल होने के बाद दीपावली पर्व पर पहले की तरह चहल-पहल दिखाई दे रही है और बाजारों में दीपावली पर्व से पहले की जानेवाली खरीददारी की रौनक काफी हद तक लौट आयी है. हालांकि इस बार सभी वस्तुओं की कीमतों पर महंगाई का असर देखा जा रहा है. किंतु बावजूद इसके दो वर्ष बाद पूरे जोशो-खरोश के साथ दीपावली का पर्व मनाने को लेकर लोगों में काफी हद तक उत्साह भी है और कम से कम इस बार धन की देवी लक्ष्मी द्वारा कृपादृष्टि की जाये, इस आशा पर हर कोई दीपावली पर्व की तैयारी में व्यस्त है. वहीं लक्ष्मीपूजन हेतु आवश्यक देवी लक्ष्मी की मूर्तियां बनाने में सभी मूर्तिकार व्यस्त है. साथ ही शहर में जगह-जगह पर लक्ष्मी मूर्तियों की दूकाने भी सजनी शुरू हो गई है.
उल्लेखनीय है कि, शहर के बाजारों पर विगत एक सप्ताह से दीपावली का रंग चढने लगा है और इस समय कपडा, ज्वेलरी, मिठाई, खाद्यान्न तथा साज-सज्जा की वस्तुओं जैसी सभी दुकानों में अच्छीखासी ग्राहकी देखी जा रही है. पांच दिवसीय दीपावली के मुख्य पर्व लक्ष्मीपूजनवाली रात देवी लक्ष्मी की विधि-विधानपूर्वक पूजा कर देवी लक्ष्मी की कृपा व आशिर्वाद प्राप्त करने हेतु प्रत्येक व्यक्ति प्रयासरत रहता है. जिसके लिए धनतेरसवाले दिन माता लक्ष्मी की मिट्टी से बनी मूर्ति खरीदी कर उसका लक्ष्मीपूजनवाले दिन विधि-विधान पूर्वक पूजन किया जाता है. चूंकि इस वर्ष मंगलवार 2 नवंबर को धनतेरस का पर्व मनाया जाना है. ऐसे में इस समय शहर के सभी मूर्तिकार लक्ष्मी मूर्तियों को तैयार करने के अंतिम चरण में है. साथ ही इस समय शहर के विभिन्न चौक-चौराहों पर लक्ष्मी मूर्तियों की दूकाने भी सज गई है. जिसके तहत गांधी चौक, राजापेठ, विलास नगर, पंचवटी चौक, नवाथे चौक, दस्तुरनगर, साईनगर, गोपालनगर, प्रशांत नगर, कैम्प, नवसारी, कठोरा, इर्विन, इतवारा बाजार आदि क्षेत्रोें में लक्ष्मी मूर्ति की दुकाने सजी नजर आ रही है. जहां पर डेढ फीट से लेकर ढाई-तीन फीट उंची मूर्तियां बिक्री हेतु उपलब्ध है. इस बार बाजार में कमलदल पर विराजीत लक्ष्मी, बदक पर विराजीत लक्ष्मी, मयूर पर आरूढ लक्ष्मी और गजराज पर विराजमान लक्ष्मी की मूर्तियों की विशेष तौर पर मांग होती है. ऐसी मूर्तियों के साथ ही बाजार में सुरेख वस्त्रालंकार के साथ सजी लक्ष्मी मूर्तियोें को भी बिक्री हेतु उपलब्ध कराया गया है. जिससे शहर में चहुंओर लाल, हरे व पीले रंगों से सजी लक्ष्मी मूर्तियां बहुतायत में दिखाई दे रही है.

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पीओपी से बनी मूर्तियों को पहली पसंद

यद्यपि इस समय पर्यावरण की दृष्टि के मद्देनजर मिट्टी से बनी मूर्तियों की खरीदी का आग्रह किया जा रहा है. किंतु आकर्षक रहने की वजह से ग्राहकों द्वारा प्लैस्टर ऑफ पैरिस की मूर्तियों को ज्यादा पसंद किया जा रहा है. हालांकि इस बार पीओपी से बनी मूर्तियां बिक्री हेतु बेहद कम प्रमाण में उपलब्ध है और अधिकांश मूर्तियां शाडू मिट्टी से ही बनी हुई है. साथ ही इस बार अमरावती के मूर्तिकारों द्वारा बनाई गई मूर्तियों की मांग नागपुर जैसे महानगर में भी है और अन्य कई शहरों में भी यहां के मूर्तिकारों द्वारा बनाई गई मूर्तियों को भेजा जा रहा है.

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जगह-जगह रंग-बिरंगी रंगोली की दुकाने सजी

पर्व एवं त्यौहारों पर अपने घर-आंगन में आकर्षक रंगोली सजाना भी भारतीय परंपरा का हिस्सा है और दीपावली पर्व के निमित्त रंगोली की अच्छी-खासी मांग भी रहती है. ऐसे में इस समय शहर में जगह-जगह पर रास्तों के किनारे रंग-बिरंगी रंगोली की अनेकों दुकाने सज गई है. बता दें कि, प्रति वर्ष अमरावती शहर में पर्व एवं त्यौहारों के समय सैंकडों टन रंगोली की बिक्री होती है. सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि, जहां एक ओर हर तरह की वस्तुओं के दाम बढे हुए है, वहीं दूसरी ओर विगत तीन वर्षों से रंगोली के दाम स्थिर है और आज भी 300 ग्राम की रंगोली का पैकेट महज 10 रूपये में उपलब्ध है. साथ ही इस समय शहर में 16 से अधिक रंगोंवाली रंगोली बिक्री के लिए उपलब्ध है. इसके अलावा पहले जहां हाथों से रंगोली निकालते हुए दरवाजों के सामने व आंगन में आकर्षक चित्रकारी साकार की जाती थी, वहीं अब रंगोली निकालने के लिए रंगोली पेन उपलब्ध है. साथ ही साथ आकर्षक डिजाईनवाले साचे भी बाजार में बिक्री हेतु उपलब्ध करा दिये गये है.

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