महिला आरक्षण के बाद अब बिछने लगी राजनीतिक बिसातें
इच्छुकों सहित पार्टियों में गहमागहमी हुई तेज
* सभी का ध्यान तीन में से दो महिला आरक्षित सीटोेंवाले प्रभागों पर
* जीत के साथ ही सशक्त पैनल देने को लेकर सभी के अपने-अपने दावे
अमरावती/दि.1- गत रोज मनपा के आगामी चुनाव हेतु मनपा क्षेत्र के 33 प्रभागों के लिए महिला आरक्षण का ड्रॉ निकाला गया. जिसकी विगत लंबे समय से प्रतीक्षा की जा रही थी. साथ ही साथ इस बार महिला आरक्षण के ड्रॉ को लेकर विशेष उत्सूकता भी थी, क्योंकि महानगरपालिका का चुनाव तीन सदस्यीय प्रभाग पध्दति के जरिये करवाया जाना है और विषम संख्यावाली प्रभाग पध्दति में 50 फीसद महिला आरक्षण के तहत महिलाओं व पुरूषों के बीच सीटों का बंटवारा सम-समान पध्दति से किया जाना था. ऐसे में 16 प्रभाग ऐसे रहे, जहां तीन में से दो सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हुई और 16 प्रभाग ऐसे रहे जहां तीन में से केवल एक सीट महिलाओं के हिस्से में आयी तथा शेष दो सीटें पुरूषों केे लिए छूटी. हालांकि इन पर भी महिलाओं द्वारा चुनाव लडा जा सकता है. वहीं प्रभाग क्रमांक 33 दो सदस्यीय प्रभाग रहने के चलते वहां पर सीटों का बंटवारा सम-समान पध्दति से हुआ. जिसके तहत एक सीट महिला आरक्षित हुई है और दूसरी सीट सर्वसाधारण संवर्ग के लिए छूटी है.
यद्यपि मनपा की नई सदस्य संख्या 98 निश्चित किये जाते ही यह तय हो गया था कि, 50 फीसद महिला आरक्षण के चलते 49 सीटें महिलाओें के लिए आरक्षित रहेगी. जिनमें सर्वसाधारण, एससी व एसटी संवर्ग की महिलाओं का आरक्षण होगा. लेकिन विषम संख्यावाली प्रभाग पध्दति से सम-समान तरीके से सीटों का बंटवारा करना अपने आप में काफी टेढी खीर था. चूंकि इससे पहले अमरावती मनपा के चुनाव दो सदस्यीय व चार सदस्यीय प्रभाग पध्दति के जरिये हुए थे. ऐसे में महिला व पुरूषों के बीच सीटों का बंटवारा काफी आसान था. परंतू इस बार विषम संख्या और सम-समान बंटवारे को लेकर काफी बुरा पेंच फंसा और गत रोज महिला आरक्षण का ड्रॉ निकालते हुए इसे यद्यपि बैलेन्स करने का प्रयास किया गया, लेकिन इस चक्कर में भी एक विषमता पैदा हो गई है. क्योेंकि अब शहर के आधे प्रभाग ऐसे है, जहां पर महिलाओं के लिए दो-दो और पुरूषों के लिए एक-एक सीट उपलब्ध है. वहीं शेष प्रभागों महिलाओं के लिए केवल एक और पुरूषों के लिए दो-दो सीटें छूटी है. यानी शहर के आधे प्रभागों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व दो-तिहाई रहेगा और आधे प्रभागों में एक-तिहाई, जिसे पूरे शहर के स्तर पर सम-समान माना जायेगा. जबकि हकीकत में इसे सम-समान नहीं कहा जा सकता.
वहीं दूसरी ओर महिला आरक्षण का ड्रॉ निकलते ही अब इसे लेकर तमाम तरह के राजनीतिक कयास लगाये जा रहे और संभावित स्थितियों का आकलन किया जा रहा है. जिसके तहत माना जा रहा है कि, जिन-जिन प्रभागों में महिलाओं के लिए दो-दो सीटें आरक्षित हुई है, उनमें ज्यादा तर प्रभाग भाजपा के प्रभुत्ववाले है और कांग्रेस व राकांपा सहित अन्य दलों का प्रभाव रहनेवाले प्रभागों में महिलाओं के लिए एक तथा पुरूषों के लिए दो-दो सीटें उपलब्ध है. ऐसे में यह स्थिति इस बार कांग्रेस व राकांपा के हक में जायेगी और भाजपा सहित शिवसेना को इस बार महिला आरक्षण के इस विषम बंटवारे की वजह से काफी हद तक नुकसान का सामना करना पड सकता है. जिसे लेकर अब सभी राजनीतिक दलों द्वारा अपने-अपने हिसाब से दावे किये जा रहे है. साथ ही सभी प्रभागों में आरक्षण की स्थिति को ध्यान में रखते हुए तीन-तीन प्रत्याशियों का मजबूत पैनल उतारने हेतु दमदार प्रत्याशियों के नामों को भी टटोला जा रहा है.
* महिला आरक्षण को कांग्रेस व राकांपा ने अपने लिए माना मुफीद
गत रोज महिला आरक्षण के ड्रॉ की स्थिति स्पष्ट होते ही कांग्रेस व राकांपा के खेमे में हसे लेकर काफी उत्साहवाला वातावरण देखा गया. क्योेंकि कांग्रेस का प्रभाव रहनेवाली ज्यादातर सीटों पर महिलाओं के लिए केवल एक सीट ही आरक्षित हुई और दो सीटें पुरूषों के लिए छूटी है. साथ ही भाजपा का प्रभाव रहनेवाली कई सीटों पर पुरूषों के लिए केवल एक सीट उपलब्ध रहने और वहां पर कांग्रेस के पुरूष प्रत्याशियों की स्थिति मजबूत रहने के चलते कांग्र्रेस ने महिला आरक्षण के ड्रॉ को अपने लिए काफी सुविधाजनक माना है. गत रोज कांग्रेस के शहराध्यक्ष बबलू शेखावत तथा पूर्व महापौर मिलींद चिमोटे ने महिला आरक्षण को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए प्रभागनिहाय सीटों का आकलन किया और कहा कि, इस बार कांग्रेस की स्थिति पहले से ही काफी अच्छी थी और महिला आरक्षण की वजह से कांग्रेस की स्थिति और भी मजबूत हो जायेगी. क्योंकि जिन-जिन सीटों पर कांग्रेस का अच्छा-खासा प्रभुत्व है और कांग्रेस के पास प्रत्याशियों की अच्छी-खासी संख्या है, उन सभी सीटों पर पुरूष प्रत्याशियों क ेलिए दो-दो सीटें उपलब्ध है. साथ ही जिन-जिन प्रभागों में महिलाओं के लिए दो-दो सीटें आरक्षित हुई है. वहां पर पुरूषों हेतु उपलब्ध एकमात्र सीट के लिए भी कांग्र्रेस के पास सशक्त दावेदार है. जिनका विपक्षी दलों के पास कोई तोड नहीं है. ऐसे में इस बार कांग्रेस की ओर से चुने जानेवाले पार्षदों की संख्या अच्छी-खासी रहेगी.
वहीं दूसरी ओर गत रोज राकांपा के प्रदेश उपाध्यक्ष व विभाग समन्वयक संजय खोडके ने भी बताया कि, महिला आरक्षण के ड्रॉ का राकांपा सहित कांग्रेस को अच्छा-खासा फायदा मिल सकता है और यदि यह चुनाव कांग्रेस, राकांपा व शिवसेना द्वारा साथ मिलकर महाविकास आघाडी के तौर पर लडा जाता है, तो आघाडी को मनपा में स्पष्ट बहुमत मिलने से कोई नहीं रोक सकता.
* भाजपा के लिए तो बेहद शानदार रहा महिला आरक्षण का ड्रॉ
वहीं दूसरी ओर भाजपा शहराध्यक्ष किरण पातुरकर तथा मनपा के पूर्व सभागृह नेता तुषार भारतीय ने महिला आरक्षण के ड्रॉ को भाजपा के लिए बेहद शानदार बताते हुए कहा कि, केवल भाजपा ही एकमात्र ऐसा राजनीतिक दल है, जिसके पास सुसंस्कृत व सक्षम महिला पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं की कोई कमी नहीं है. पिछली बार भी भाजपा के जो 45 पार्षद चुने गये थे, उनमें महिला पार्षदों की संख्या 26 थी, यानी पुरूषों की तुलना में महिला पार्षदों की संख्या आधे से भी अधिक थी और सभी महिला पार्षदों ने पांच वर्ष के दौरान बडी जिम्मेदारी के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया. ऐसे में यदि भाजपा के प्रभाव क्षेत्रवाले प्रभागों में महिलाओं के लिए दो-दो सीटें आरक्षित हुई है, तो यह भाजपा के लिए बेहद प्लस पॉइंटवाली बात है. इस जरिये समाज के विभिन्न वर्गों से वास्ता रखनेवाली महिलाओं को सदन में जाकर काम करने का मौका मिलेगा और हम महिला सक्षमीकरण के संदर्भ में कही जाती अपनी बात को यथार्थ में साकार करके दिखायेंगे. साथ ही जो राजनीतिक दल अपने प्रभाव क्षेत्रवाले प्रभागों में महिलाओं हेतु केवल एक सीट छूटने को लेेकर खुश हो रहे है, वे कहीं न कहीं अपनी इस खुशी के जरिये महिलाओं के प्रति रहनेवाली अपनी सोच को प्रदर्शित कर रहे है.
* केवल सडकों पर नहीं, अब महिलाओं को सदन में काम करने का भी मौका मिलेगा
उधर शिवसेना का अच्छा-खासा प्रभाव रहनेवाले कुछ प्रभागों में भी महिलाओं के लिए दो-दो सीटें आरक्षित रहने को लेकर प्रतिक्रिया हेतु संपर्क किये जाने पर शिवसेना के महानगर प्रमुख पराग गुडधे ने कहा कि, शिवसेना की महिला आघाडी बेहद मजबूत है और हमारे पास सडक पर उतरकर आंदोलन व संघर्ष करनेवाली कई सशक्त व जुझारू महिलाएं है. जिन्हें अब सडक की बजाय मनपा के सदन में जाकर काम करने का अवसर मिलेगा. अत: कहां महिलाओं के लिए दो सीटें आरक्षित हुई और कहां एक सीट आरक्षित हुई है. इससे शिवसेना को कोई फर्क नहीं पडनेवाला. बल्कि हम महिला-पुरूष का भेद किये बिना सभी 98 सीटों पर कर्मठ व समर्पित शिवसैनिकों को अपना प्रत्याशी बनायेंगे तथा हमारे पास हर सीट के लिए अच्छे प्रत्याशियों की कोई कमी नहीं है. विशेष तौर पर इस बार शिवसेना द्वारा मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी महिला व पुरूष प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे जायेंगे.