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आघाडी के निशाने पर फडणवीस, मांगा इस्तीफा

अमरावती मंडल से बोले नेतागण

* कोर्ट का करते आदर
* बदलापुर घटना के विरोध में निषेध प्रदर्शन
अमरावती/दि. 24- ठाणे के बदलापुर में बच्चियों के साथ अत्याचार के विरोध में महाविकास आघाडी ने कोर्ट का आदर करते हुए आज का राज्यव्यापी बंद पीछे ले लिया. तथापि आघाडी के नेताओं ने प्रदेश के गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस पर अपना रोष कायम रखा. प्रत्येक नेता ने फडणवीस को गृह मंत्री पद से त्यागपत्र देने की मांग की. यह भी कहा कि, वें खुद नहीं हटते हैं तो मुख्यमंत्री को उन्हें हटा देना चाहिए. सांसद वानखडे हो या विधायक यशोमति ठाकुर, राकांपा की संगीता ठाकरे ने भी फडणवीस को मंत्री पद से हटाए जाने की मांग की. बदलापुर घटना को राज्य के लिए कलंक निरुपित किया.

* प्रतीकात्मक मूक धरना – वानखडे
सांसद बलवंत वानखडे ने कहा कि, कोर्ट ने महाविकास आघाडी के बंद को इजाजत नहीं दी. ऐसे में पार्टी आदेश और आघाडी के आदेश के अनुसार यहां मूक प्रतीकात्मक धरना प्रदर्शन किया जा रहा है. जिसमें सभी घटक दल भी शामिल है. ऐसे में उनकी राज्य शासन से मांग है कि, दोषियों को कडी से कडी सजा और जल्द से जल्द दी जानी चाहिए. सरकार को यह मामला फास्टट्रैक कोर्ट में चलाना चाहिए. वानखडे ने राज्य सरकार पर महिलाओं पर अत्याचार रोकने में विफलता का आरोप किया.

* फडणवीस को हट जाना चाहिए
विधायक यशोमति ठाकुर ने कहा कि, राज्य में महिला वर्ग पर सभी ओर अत्याचार बढ रहे हैं. ऐसे में कानून और व्यवस्था की स्थिति बेकाबू हो रही है. राज्य में महिलाएं सुरक्षित नहीं है, यह अनेक घटनाओं से साबित हो गया है. बदलापुर हो या अकोला, अमरावती, नाशिक. बच्चियों पर अत्याचार की घटनाओं का हम तीव्र निषेध करते है. महाविकास आघाडी द्वारा आयोजित हडताल को सरकार ने कोर्ट के हस्तक्षेप से रद्द करवा दिया. कोर्ट का आदेश रहने से हमने आज का बंद पीछे लिया है. मगर यह जरुर है कि, प्रदेश में महिलाएं असुरक्षित हो गई है. इसके लिए गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस जवाबदार है. उन्हें हट जाना चाहिए. यशोमति ने कहा कि, मविआ ने शक्ति कानून बनाया था. जिसे वर्तमान डीसीएम को केंद्र से मंजूरी दिलवानी चाहिए. फडणवीस को इस कायदे को मंजूर करवाने पर ध्यान देने की नसीहत विधायक यशोमति ठाकुर ने मंडल न्यूज से बात करते हुए दी.

* मविआ से घबराई सरकार
शिवसेना उबाठा नेता अनंत गुढे ने कहा कि, महाविकास आघाडी के प्रदर्शन की घोषणा मात्र से महायुति सरकार डर गई. इसलिए कोर्ट में किसी सदावर्ते को खडा किया गया. जबकि न्याय व्यवस्था से हमारा और लोगों का भरोसा उसी समय उठ गया था. जब कोर्ट में अचानक सर्टीफिकेट का निर्णय दिया. कितना विश्वास कोर्ट पर रखना, यह भी प्रश्न है. पूर्व सांसद गुढे ने कहा कि, बदलापुर, कोल्हापुर, अकोला, अमरावती सभी जगह महिलाएं अत्याचार की शिकार हो रही है. कानून और व्यवस्था का प्रश्न बना है. गृह मंत्री का ध्यान नहीं है. गृह मंत्री का एक भी स्टेटमेंट बदलापुर की घटना को लेकर नहीं आया, जिससे साफ है कि, वें कितनी संवेदना रखते हैं. गुढे ने कहा कि, वें घटना के साथ-साथ गृह मंत्री का भी धिक्कार करते हैं.
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* सरकार ऑटो पायलट मोड पर
पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख ने कहा कि, महायुति सरकार ऑटो पायलट मोड पर चल रही है. अर्थात रामभरोसे चल रही है. ऐसी सरकार के शासन में घटनाएं होगी ही. यह अत्यंत ज्वलंत मुद्दा रहने पर भी भाजपा के करीबी उज्वल निकम को सरकारी वकील नियुक्त किया गया है. डॉ. देशमुख ने आरोप लगाया कि, बदलापुर की वह शाला भाजपा की करीबी संस्था से संबंधित है. इसलिए महायुति सरकार ने मामले को दबाने का पूरा प्रयत्न किया. 15 घंटे तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई. अब तो सरकार का निषेध जगह-जगह हो रहा है. महाविकास आघाडी ने कोर्ट का आदेश मानकर आज का बंद पीछे लिया. भाजपा सरकार का आघाडी तीव्र धिक्कार करती है. सरकार के गिनती के दिन बचे हैं.

* सरकार ने हमें मदद करनी चाहिए थी
कांग्रेस महिला अध्यक्ष जयश्री वानखडे ने कहा कि, बदलापुर की अत्यंत निंदनीय घटना के विरोध में यह प्रदर्शन आयोजित है. जिससे सरकार को हमारी मदद करनी चाहिए थी. कोई भी व्यक्ति ऐसी घटना का समर्थन नहीं कर सकता. वानखडे ने कहा कि, आंदोलन आयोजित करने हाईकोर्ट ने अनुमति नहीं दी. जबकि होना तो यह चाहिए था कि, सभी दल ऐसे विरोध-प्रदर्शन में साथ आते, मदद करते. वानखडे ने कहा कि, व्यापारी और समाज के अन्य वर्गों से भी हमें मदद की अपेक्षा थी. वानखडे के साथ सैकडों महिलाएं आज के आंदोलन में सहभागी हुई.


* सभी समितियों की जांच हो
कांग्रेस नेता सुजाता झाडे ने कहा कि, न्यायालय ने आघाडी के आज के प्रदर्शन पर निर्बंध लगा दिए. फिर भी हम मूक प्रदर्शन कर रहे हैं. राज्य शासन को बदलापुर और अन्य घटनाओं की जांच एवं सुनवाई फास्टट्रैक कोर्ट में चलानी चाहिए. दोषियों को जल्द से जल्द फांसी की सजा दी जानी चाहिए. सरकार अत्याचार की घटनाएं कंट्रोल करने में विफल सिद्ध हो रही है. उसी प्रकार महायुति ने अपराधियों को बचाने का भी प्रयास किया है. झाडे ने मांग रखी कि, सभी शालाओं, कॉलेज, होस्टल की विशाखा समिति की जांच होनी चाहिए. महिलाओं की सुरक्षा अत्यंत जरुरी है.


* आरक्षण दे रहे, सुरक्षा दें
शिवसेना उठाबा नेत्री प्रीति बंड ने कहा कि, एक तरफ राजनीति में भी महिलाओं को आरक्षण दिए जाने की मांग उठाई जा रही है. संसद और विधानसभाओं में आरक्षण व्यवस्था शीघ्र लागू होनेवाली है. अर्थात महिला वर्ग को आप चार दीवारी से बाहर ला रहे हैं. ऐसे में उसकी सुरक्षा का विचार सर्वप्रथम होना चाहिए. घटना बदलापुर की हो या कोलकाता की महिला पर अत्याचार निंदनीय है. यह हमारी संस्कृति के बिलकुल विपरीत हो रहा है. हमारी संस्कृति कहां चली गई? यह प्रश्न उपस्थित करते हुए प्रीति बंड ने कहा कि, जाति और धर्म एवं राजनीति को इस संवेदनशील विषय से अलग रखा जाना चाहिए. महिला पर अत्याचार बहुत ही गंभीर मामला है. दोषियों को कडी सजा और वह भी जितनी शीघ्र हो सके, मिलनी चाहिए.


* गृह मंत्री को एक ही जवाबदारी
शिवसेना उबाठा जिला प्रमुख सुनील खराटे ने घटना और सरकार की लीपापोती का कडा निषेध करते हुए कहा कि, छत्रपति शिवाजी महाराज के दौर में महिलाओं को बडा सम्मान दिया जाता था. मां की दृष्टि से देखा जाता था. उसी के हिमायती और समर्थक बनने का दावा करनेवाले आज सत्ता में है और उनके ही दौर में महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं बढ रही है. महिला सुरक्षा की बडी समस्या खडी हो गई है. सर्वत्र महिलाओं और युवतियों में भय का वातावरण है. इसके लिए जिम्मेदार गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस है. उन्हें तत्काल गृह मंत्रालय का जिम्मा छोड देना चाहिए. शिवसेना नेता ने कहा कि, डीसीएम पद संभाल रहे व्यक्ति के पास गृह जैसा महत्वपूर्ण विभाग होना ही नहीं चाहिए. वें चाहते हैं कि, गृह विभाग विशेष रुप से दिया जाए. जिसका पूरा ध्यान कानून व्यवस्था व प्रशासन पर रहें.


* फडणवीस राज में बढे अत्याचार
राकांपा शरद पवार गुट की महिला नेत्री संगीता ठाकरे ने आरोप लगाया कि, महायुति के हस्तक्षेप के कारण ही महाविकास आघाडी को आज प्रदर्शन की अनुमति नहीं मिली. कोर्ट ने आघाडी को आदेश दिया. कोर्ट का आदेश का पालन हम कर रहे हैं. काली पट्टी बांधकर महायुति सरकार के अपयश का निषेध कर रहे हैं. महिलाओं की सुरक्षा इस सरकार के राज में ताक पर रख दी गई है. जिसके लिए गृह मंत्री जवाबदार है. गृह मंत्री को अपना त्यागपत्र दे देना चाहिए था. वें महिलाओं की सुरक्षा में नाकाम रहे है. प्रदेश में महायुति के राज में अन्याय, अत्याचार बढे है.

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