वायूप्रदूषण से हेमरेजिक स्ट्रोक का खतरा बढ़ा
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अभिषेक वानकर ने किया आगाह

अमरावती /दि.28– वायूप्रदूषण अब केवल पर्यावरण की समस्या नहीं रही, बल्कि यह सीधे तौर पर हमारे ब्रेन के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है. वायूप्रदूषण के कारण ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है, यह बात आमतौर पर सब को पता है. लेकिन हेमरेजिक स्ट्रोक विशेष रूप से वायूप्रदूषण के कारण हो सकता है, यह जानकारी कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट और इंटरनल मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ. अभिषेक वानकर ने दी है.
डॉ. अभिषेक वानकर ने स्पष्ट किया कि हेमरेजिक स्ट्रोक एक न्यूरोलॉजिकल इमरजेंसी है, जो ब्रेन की रक्तवाहिनी फटने और उसमें रक्तस्राव होने के कारण होता है. इस तरह के स्ट्रोक से होने वाली मौतें और अपंगता का दर काफी अधिक होता है. हालांकि हाई ब्लड प्रेशर और आनुवंशिक कारण इसमें अहम भूमिका निभाते हैं, लेकिन हाल के शोध में यह सामने आया है कि वायूप्रदूषण ब्रेन की रक्तवाहिनियों को नुकसान पहुंचा सकता है जिससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. हवा में मौजूद बारीक कण (पीएम-2.5), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ-2) और कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ) जैसे प्रदूषक लंबे समय तक शरीर में प्रवेश करते हैं और रक्तवाहिनियों में सूजन उत्पन्न करते हैं. यह सूजन ब्लड क्लॉट्स बनने का कारण बनती है, जिससे हेमरेजिक स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है.
डॉ. वानकर ने आगे बताया कि यह प्रदूषक न केवल स्ट्रोक, बल्कि ब्रेन को लंबे समय तक नुकसान भी पहुंचा सकते हैं, जिससे न्यूरोडीजेनेरेटिव (ब्रेन की कार्यक्षमता कम होना) बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. उनके अनुसार, ये प्रदूषक ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सूजन उत्पन्न करते हैं, जो ब्रेन की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं और उनकी कार्यक्षमता को प्रभावित करते हैं. एक बार ये प्रदूषक रक्त प्रवाह में पहुंच जाएं, तो वे सीधे ब्रेन तक पहुंचते हैं और ब्रेन के रसायनों के संतुलन को बिगाड़ते हैं. कोशिकाओं के कार्य को कमजोर करते हैं और ब्रेन की क्षमता को तेजिसे कम करते हैं. डॉ. वानकर ने सुझाव दिया कि जिन दिनों हवा में प्रदूषण ज्यादा हो, उन दिनों बाहर जाकर व्यायाम या अनावश्यक प्रवास से बचें. घर की हवा को स्वच्छ रखने के लिए एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें. अपने क्षेत्र की वायु गुणवत्ता पर ध्यान दें और प्रदूषण संबंधित समाचारों पर नज़र बनाए रखें. साथ ही क्लीन एयर पॉलिसिज को बढ़ावा देना और प्रदूषण विरोधी अभियानों का समर्थन करना भी एक अच्छा उपाय हो सकता है. हवा में प्रदूषण से बचना केवल पर्यावरण के लिए नहीं, बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बेहद आवश्यक है. प्रदूषण से होने वाली ब्रेन की बीमारियाँ एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही हैं. इसलिये डॉ. अभिषेक वानकर का मानना है कि प्रदूषण से लड़ने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर जागरूकता और मजबूत सार्वजनिक नीतियों की सख्त आवश्यकता है.