अपने मूल उद्देश्य से भटक चुकी अकोला एमआईडीसी
अधिकारियों की अतिरिक्त कमाई का बन गई अड्डा
* एमआईडीसी एसो. ने पत्रवार्ता में लगाया आरोप
अमरावती/दि.6– महाराष्ट्र सरकार द्वारा राज्य के उद्योजकों को सभी सूख सुविधाओं सहित भूखंड उपलब्ध कराने हेतु महाराष्ट्र राज्य औद्योगिक विकास महामंडल की स्थापना की गई थी. ताकि राज्य में अधिकाधिक उद्योग लगाते हुए बडे पैमाने पर उद्योग निर्मिति की जा सके. परंतु एमआईडीसी अपने मूल उद्देश्यों से भटक चुकी है और कुछ अधिकारियों के लिए अतिरिक्त कमाई करने का अड्डा बन चुकी है. जिसके खिलाफ उद्योजकों के विभिन्न संगठनों द्वारा कई बार आवाज उठाते हुए अखबारों के जरिए खबरे भी प्रकाशित की गई है. लेकिन इसके बावजूद भी समस्या जस की तस बनी हुई है. इस आशय का आरोप अकोला एमआईडीसी प्लॉट ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश काबरा द्वारा गत रोज यहां बुलाई गई पत्रकार परिषद में लगाया गया.
इस पत्रवार्ता में कहा गया कि, राज्य सरकार ने अकोला में प्रादेशिक अधिकारी कार्यालय मंजूर किया है. परंतु मुख्यालय के उच्चाधिकारियों द्वारा क्षेत्र व्यवस्थापक स्तर के अधिकारी को प्रादेशिक अधिकारी पद का अतिरिक्त कार्यभार दिया जा रहा है. जिसके साथ ही अमरावती प्रादेशिक अधिकारी कार्यालय को लेकर अनियमितता व भ्रष्टाचार की अनेकों शिकायत भी सामने आती है, जहां पर मनमाना कामकाज चल रहा है और उन अधिकारियों का उद्योजकों की समस्याओं के साथ कोई लेना-देना नहीं है. इस पत्रवार्ता में यह भी कहा गया कि, महाराष्ट्र में जलदगति से औद्योगिक विकास होने हेतु महामंडल द्वारा प्राधान्य भूखंड वितरण शीर्ष तले एक परिपत्रक जारी करते हुए कई नियमों व शर्तों को लागू किया गया है. परंतु इस परिपत्रक का भी एमआईडीसी के अधिकारियों द्वारा पालन नहीं किया जा रहा. इसके चलते एमआईडीसी में उद्योग लगाने हेतु नया भूखंड प्राप्त करना उद्योजकों के लिए सबसे कठीन काम हो गया है और उद्योजकों को कई-कई वर्षों तक केवल भूखंड मिलने की ही प्रतिक्षा करनी पडती है. वहीं दूसरी ओर उद्योजकों के लिए एमआईडीसी द्वारा विभिन्न तरह के शुल्क व दंड का प्रावधान किया गया है. जिसकी दरें काफी उंची है. जिससे बचने के लिए उद्योजक भी अधिकारियों के साथ आपसी लेन-देन करते हुए बीच का रास्ता निकालने पर जोर देते है. ऐसे में शुल्क और दंड की रकम को भी कम किया जाना चाहिए.
इस पत्रवार्ता में संगठन के अध्यक्ष सुरेश काबरा सहित उपाध्यक्ष तपस्सु मानकीकर, सचिव संजयसिंह ठाकुर तथा आनंद लोखंडे, द्वारका चांडक व दिनेश फाटे आदि उपस्थित थे.