अमरावती

विदर्भ में जलस्त्रोतों को लेकर अलर्ट

पानी में विष प्रयोग होने का डर

* नैसर्गिक व कृत्रिम जलस्त्रोतों पर वन कर्मचारी तैनात
* रखी जा रही कडी नजर, जबाबदारी भी हुई तय
अमरावती/दि.28 – जारी फरवरी माह से गर्मी की तीव्रता बढने लगी है और विदर्भ में इस बार सूरज के आग उगलने की पूरी संभावना है. साथ ही आशंका जताई जा रही है कि, इस बार अप्रैल व मई माह के दौरान जंगल में आग लगने की घटनाएं भी घटित हो सकती है. जिसके चलते विदर्भ क्षेत्र के व्याघ्र प्रकल्पों में स्थित नैसर्गिक व प्राकृतिक जलस्त्रोतों के लिए अभी से अलर्ट जारी कर दिया गया है और बीट निहाय जलस्त्रोतों की जवाबदारी वन कर्मचारियों पर निश्चित करते हुए उन्हें अपने-अपने कार्यक्षेत्र अंतर्गत स्थित जलस्त्रोतों पर नजर रखने हेतु तैनात कर दिया गया है.
उल्लेखनीय है कि, वन्यजीवों के शिकारी कई बार घने जंगलों में स्थित जलस्त्रोतों के पानी में विष प्रयोग कर देते है. ताकि वन्य प्राणियों का आसानी से शिकार किया जा सके. ऐसी घटनाओं को टालने के लिए बेहद जरुरी है कि, सभी जलस्त्रोतों पर कडी नजर रखी जाए. वहीं दूसरी ओर गर्मी के मौसम दौरान वन क्षेत्रों में स्थित प्राकृतिक जलस्त्रोतों का पानी बडी तेजी से सुखने लगता है. ऐसे में सभी वन्यजीवों को पानी के लिए इधर से उधर भटकना पडता है. इस बात के मद्देनजर वन विभाग द्बारा जंगलों में कई स्थानों पर कृत्रिम जलस्त्रोत बनाए गए है तथा प्राकृतिक व कृत्रिम जलस्त्रोतों में पानी की भरपूर उपलब्धता के लिए आवश्यक व्यवस्था करने के निर्देश भी जारी किए गए है. जिन पर कडाई से अमल किया जा रहा है.

* जांच के लिए लिटमस पेपर टेस्ट
कृत्रिम जलस्त्रोतों में विष प्रयोग करते हुए बाघों का शिकार करने की घटना इसके पहले घटित हो चुकी है. जिसके चलते कृत्रिम जलस्त्रोतों में 12 घंटे से अधिक समय तक पानी जमा ना रहे. साथ ही इन जलस्त्रोतों के पानी की जांच करने हेतु लिटमस पेपर टेस्ट की जाए. ऐसे निर्देश जारी किए गए है. बता दें कि, अगर पानी में किसी भी तरह का जहर या घातक रासायनिक पदार्थ मिलाया गया है, तो जांच के बाद लिटमस पेपर लाल हो जाता है. जिसके चलते पानी में किए गए विष प्रयोग की जानकारी तुरंत समझमें आती है.

* तो टैंकर से होगी जलापूर्ति
अप्रैल व मई माह के दौरान विदर्भ क्षेत्र में गर्मी काफी तीव्र रहेगी. ऐसे समय में व्याघ्र प्रकल्प में स्थित नैसर्गिक व कृत्रिम जलस्त्रोतों में पानी की समस्या पैदा होने पर टैंकर के जरिए जलापूर्ति की जाए. इस आशय का निर्देश वन्यजीव विभाग के वरिष्ठाधिकारियों द्बारा दिए गए है. साथ ही बाघों की प्यास बुझाने हेतु स्वतंत्र रुप से नियोजन करने के निर्देश भी दिए गए है.

* 5 से 10 फुट पर जलस्त्रोत तैयार करने के निर्देश
गर्मी के मौसम के दौरान मेलघाट तथा ताडोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प में भीषण जलकिल्लत पैदा होती है. जिसे ध्यान में रखते हुए बाघों सहित अन्य सभी वन्य प्राणियों की प्याज बुझाने हेतु अभी से विविध उपायों पर नियोजन किया जा रहा है. जिसके तहत पानी के लिए बाघों को जंगल में इधर से उधर न भटकना पडे, इस हेतु प्रत्येक 5 से 10 फुट की दूरी पर कृत्रिम जलस्त्रोत तैयार करने का नियोजन किया गया.

इस वर्ष पानी के लिए गर्मी के मौसम दौरान किसी भी वन्य प्राणी को जंगल में इधर से उधर न भटकना पडे. इसकी ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. इसके साथ ही प्राकृतिक व कृत्रिम जलस्त्रोतों पर नजर रखने हेतु जवाबदारियां भी तय कर दी गई है. इसके अलावा वरिष्ठाधिकारियों से मिले निर्देशानुसार व्याघ्र प्रकल्प के अधिकारियों व कर्मचारियों हेतु अलर्ट जारी किया गया है, ताकि जलस्त्रोतों में रहने वाले पानी के साथ किसी भी तरह की कोई छेडछाड न हो सके.
– जयोती बैनर्जी,
क्षेत्र संचालक, मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प

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