अप्पर वर्धा बांध के सभी 13 दरवाजे 170 सेमी खोले गये
पहली दफा एक सीझन में 9 बार खोलने पडे सभी दरवाजे
लबालब होने से चंद कदम दूर है अप्पर वर्धा बांध
अमरावती-/दि.14 अमरावती शहर को पीने के लिए शुध्द पानी की आपूर्ति करनेवाले जिले के सबसे बडे जल प्रकल्प अप्पर वर्धा बांध के सभी 13 दरवाजों को एक बार फिर 170 सेमी तक खोल दिया गया है और बांध से प्रति सेकंड 3219 घनमीटर पानी वर्धा नदी में छोडा जा रहा है. जिसके चलते इस समय वर्धा नदी में अच्छा-खासा उफान आया हुआ है. विशेष उल्लेखनीय है कि, विगत कई वर्षों के दौरान यह पहला मौका है, जब बारिश के एक ही सीझन में अप्पर वर्धा बांध के सभी 13 दरवाजों को 9 वी बार जलनिकासी के लिए खोलना पडा.
बता दें कि, विगत सप्ताह अमरावती शहर व जिले सहित महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित सातपुडा के पर्वतीय क्षेत्र में भी अच्छी-खासी बारिश हुई और पहाडों से उतरनेवाले पानी की वजह से पहाडों से निकलनेवाली वर्धा सहित अन्य नदियों में बाढ आ गयी. जिससे अप्पर वर्धा बांध के जलसंग्रहण क्षेत्र में पानी की आवक बढ गई और बांध में जलस्तर लगातार उंचा उठने लगा. इस समय बांध में 98.7 फीसद जलसंग्रहण हो चुका है और बांध का जलस्तर 342.35 मीटर तक पहुंच चुका है. साथ ही बांध में पानी की आवक लगातार जारी है. ऐसे में बांध कभी भी ओवरफ्लो हो सकता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए बांध प्रशासन द्वारा बांध के सभी 13 दरवाजों को 170 सेमी तक खोलते हुए बांध से जलविसर्ग शुरू करने का निर्णय लिया गया. जिसके चलते इस समय अप्पर वर्धा बांध से नदी में प्रति सेकंड 3219 घनमीटर पानी छोडा जा रहा है. अप्पर वर्धा बांध प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक इस बार बारिश के मौसम में शुरूआत से ही अच्छी-खासी वर्षा हुई. जिसके चलते जुलाई माह में ही सबसे पहली बार अप्पर वर्धा बांध के 9 दरवाजों को खोलने की नौबत आयी. वही तब से लेकर अब तक इस बांध के सभी 13 दरवाजों को खोलकर करीब 9 बार जलविसर्ग शुरू करने की स्थिति बनी और इस समय इस बांध में निर्धारित संग्रहण क्षमता की तुलना में 98.7 फीसद जलसंग्रहण हो चुका है. यानी बांध में 100 फीसद जलसंग्रहण होने में बस एक कदम की दूरी बची हुई है. वही अब भी बारिश होने की संभावना बाकी है. साथ ही विगत दिनों हुई बारिश के चलते नदियों का पानी बांध में पहुंच रहा है. ऐसे में जारी सीझन के दौरान लगातार 9 वीं बार बांध के सभी 13 दरवाजों को खोलकर जलविसर्ग किया जा रहा है.
संभाग के 28 प्रकल्प लबालब भरे
– शानदार बारिश के चलते औसत 90 फीसद जलसंग्रहण
विगत जुलाई माह से लगातार हो रही बारिश और कुछ स्थानों पर हुई अतिवृष्टि के चलते पश्चिम विदर्भ क्षेत्र में औसत की तुलना में 121.4 फीसद बारिश दर्ज की गई है. जिसके चलते क्षेत्र के सभी छोटे-बडे व मध्यम जलप्रकल्पों में जलसंग्रहण की स्थिति बडी शानदार है. इसके तहत संभाग के 9 बडे, 27 मध्यम तथा 275 लघु प्रकल्पों में इस समय औसत 90 फीसद जलसंग्रहण हो चुका है. इसमें से भी 28 बांधों में शत-प्रतिशत जलसंग्रहण होने के चलते इन बांधों से जलविसर्ग शुरू किया गया है.
बता दें कि, सितंबर माह के दौरान ही पश्चिम विदर्भ क्षेत्र में अपेक्षा की तुलना में 248.5 फीसद बारिश हुई है. वही 1 जून से 13 सितंबर तक 676 मिमी बारिश होने की उम्मीद रहती है. किंतु इस वर्ष प्रत्यक्ष में 821 मिमी बारिश हुई. इसमें अकोला जिले को छोडकर अमरावती, यवतमाल, बुलडाणा तथा वाशिम जिले में औसत से अधिक बारिश हुई है. जिसके चलते संभाग के सभी छोटे-बडे व मध्यम प्रकल्पों में जलसंग्रहण की स्थिति बडी शानदार व समाधानकारक है.
इस समय जहां अप्पर वर्धा बांध के सभी 13 दरवाजों को 170 सेमी खोलते हुए जलविसर्ग किया जा रहा है, वही घुस प्रकल्प के सभी दरवाजों को 23 सेमी, अरूणावती प्रकल्प के तीन दरवाजोें को 20 सेमी, बेंबला प्रकल्प के दो दरवाजों को 25 सेमी, काटेपूर्णा प्रकल्प के दो दरवाजों को 15 सेमी, पेनटाकली प्रकल्प के दो दरवाजों को 10 सेमी तथा खडकपूर्णा प्रकल्प के तीन दरवाजों को 30 सेमी खुला रखते हुए जलविसर्ग किया जा रहा है.
रबी की फसलों को होगा फायदा, जलकिल्लत की संभावना घटी
बता दें कि, इस वर्ष समाधानकारक बारिश होने और बांधों में अच्छा-खासा जलसंग्रहण रहने के चलते रबी की फसलों की सिंचाई हेतु पानी की कमी नहीं रहेगी और पूरे सीझन के दौरान प्रशासन द्वारा रबी फसलों की सिंचाई हेतु पर्याप्त पानी उपलब्ध कराया जा सकेगा. वहीं इस वर्ष जिले के ग्रामीण इलाकोें में गरमी के मौसम दौरान जलकिल्लत को लेकर भी कोई समस्या नहीं रहेगी. उल्लेखनीय है कि, प्रतिवर्ष गरमी के मौसम दौरान जिले के 200 से अधिक गांवोें में मार्च माह से ही पानी की किल्लत दिखाई देने लगती है. किंतु इस वर्ष लगातार हो रही बारिश की वजह से भूगर्भिय जल का पुनर्भरण अच्छे तरीके से हुआ है. जिसके चलते इस बार जिले में गरमी के मौसम दौरान पानी की किल्लत महसूस नहीं होगी. हालांकि उंचे पहाडी क्षेत्रों में स्थित कुछ गांवों में मई माह के दौरान जलकिल्लत हो सकती है.