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जिले की सभी 14 तहसीलों को पानी पीने योग्य

जल नमूनों में कही भी क्लोराइड या फ्लोराइड नहीं

* क्षार का प्रमाण भी 500 पीपीएम के भीतर
* अमरावती की प्रयोगशाला में प्रतिमाह एक हजार नमूनों की होती है जांच
* रासायनिक और छोटे जीवाणुओं की जांच की जाती है
* निजी लोगों के यहां के भी जल नमूने आते है प्रयोगशाला में जांच के लिए
अमरावती/दि.12- अमरावती जिले के 14 तहसीलों का पानी पीने योग्य रहने की जानकारी प्रशासन के अधिकारी ने दी है. उन्होंने कहा है कि, जिले के किसी भी तहसील के जल नमूनों में क्लोराइड या फ्लोराइड नहीं है. क्षार का प्रमाण भी 500 पीपीएम के भीतर है. जिले की सभी तहसीलों से हर वर्ष प्रतिमाह एक हजार के हिसाब से पूरे वर्ष में औसतन 12 हजार जल नमूने अमरावती की प्रयोगशाला में रासायनिक व छोटे जीवाणुओं की जांच के लिए आते है. इनमें निजी नागरिकों के यहां बोअरवेल अथवा कुएं का निर्माण करने पर जल नमूने जांच के लिए लाये जाते है.
अमरावती शहर में पुलिस आयुक्त कार्यालय से सटकर शासकीय रासायन प्रयोगशाला है. जहां जिले की 14 तहसीलों की जल नमूनों की जांच वैज्ञानिक अधिकारी द्वारा की जाती है. इस प्रयोगशाला में बैक्टेरिया और रासायनिक जांच की जाती है. बैक्टेरिया यानि पानी में छोटे जीवाणु की जांच की जाती है. एक नमूने की इस जांच को करीबन 3 से 4 दिन लगते है. वहीं जहां हैंडपंप, बोअरवेल और कुएं का निर्माण हुआ है अथवा ऐसा भी कह सकते है कि, जहां नये जलस्त्रोत निर्माण किये गये है, उन जल नमूनों की रासायनिक जांच की जाती है. जल नमूनों की बैक्टेरिया जांच में गंदा पानी तो मिश्रीत नहीं है और उसमें छोटे जीवाणु तो नहीं है, यह देखा जाता है. इस जांच में एक भी जीवाणु पाये जाने पर वह पानी पीने के योग्य नहीं रहता. इसके अलावा नये जलस्त्रोत के जल नमूनों की रासायनिक जांच की जाती है. सूत्रों ने बताया कि, जिले की सभी तहसीलों का पानी पीने के योग्य है. बीआईएस (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड) स्पेशिफिकेशन के मुताबिक जिले के जल नमूनों में क्षार का प्रमाण 500 पीपीएम के भीतर होना चाहिए. साथ ही इसमें क्लोराइड या फ्लोराइड नहीं होने चाहिए. तब यह पानी पीने के योग्य रहता है. जिले की सभी तहसीलों में पानी पीने के योग्य है. जहां कुएं और बोअरवेल के लिए 300 फीट से अधिक की खुदाई की जाती है. वहां क्षार का प्रमाण अधिक रहने की संभावना रहती है. जल नमूनों की रासायनिक जांच को करीबन 12 से 15 दिन लगते है. अमरावती प्रयोगशाला में प्रतिमाह औसतन एक हजार जल नमूने जांच के लिए आते है. इस तरह पूरे वर्ष में औसतन 12 हजार नमूनों की जांच अमरावती की प्रयोगशाला में वैज्ञानिक अधिकारियों द्वारा की जाती है. जिसकी प्रतिमाह रिपोर्ट जिला प्रशासन को दी जाती है.

* बारिश के दिनों में बैक्टेरिया की संभावना
बारिश के दिनों में जिले के मेलघाट आदिवासी बहुल क्षेत्र में जलस्त्रोत में गंदा पानी मिश्रीत होने की संभावना रहती है. नाली अथवा पहाडी क्षेत्र से बहकर आने वाला पानी यदि कुएं अथवा बोअरवेल में मिश्रीत हुआ, तो यह पानी खराब होने की संभावना रहती है. इसमें छोटे जीवाणु पाये जा सकते है. बैक्टेरिया जांच में यदि एक भी जीवाणु जल नमूने में पाया गया, तो वह पानी पीने के योग्य नहीं रहता. वर्ष में ऐसे 9 से 10 फीसद औसतन जल नमूने खराब आने की संभावना बनी रहती है, ऐसा भी सूत्रों ने कहा.

* हर दिन 100 जल नमूनों की जांच
अमरावती की प्रयोगशाला में आने वाले जल नमूनों की संख्या अधिक है. फिर भी यहां की प्रयोगशाला में वैज्ञानिक अधिकारियों द्वारा हर दिन 100 जल नमूनों की जांच की जाती है और उसकी जांच रिपोर्ट नियमित रुप से जिला प्रशासन को पहुंचायी जाती है.

* निजी नागरिकों से शासकीय शुल्क लेकर जल नमूनों की जांच
अमरावती प्रयोगशाला की कनिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी वी. पी. गवली ने बताया कि, जिले के जल नमूनों के जांच के अलावा निजी व्यक्तियों के यहां नये जलस्त्रोत तैयार करने पर शासकीय शुल्क लेकर उनके जल नमूनों की जांच की जाती है. इसमें रासायनिक जांच के 600 रुपए और बैक्टेरिया जांच के 340 रुपए लिये जाते है. प्रतिमाह 4 से 5 नागरिकों द्वारा इस प्रयोगशाला में उनके यहां निर्मित किये गये नये जलस्त्रोत के मुताबिक जल नमूनों की जांच की जाती है.

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