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12 व 13 नवंबर दंगा मामले के सभी 27 आरोपी बरी

अदालत ने दोनों पक्ष के आरोपियों को किया दोषमुक्त

* कुल 9 गवाह हुए थे पेश, कई सबूत रखे गए थे
* अदालत ने अभियोजन पक्ष की दलीलों को किया खारिज
* हिंदुत्ववादी संगठनों के 16 तथा दूसरे पक्ष के 11 लोग थे नामजद
* सभी आरोपियों को अदालत में दोषमुक्त कर किया बाइज्जत बरी
अमरावती/दि.5- वर्ष 2021 में 12 व 13 नवंबर को अमरावती में घटित हिंसा व दंगे को लेकर दो अलग-अलग पक्षों से नामजद किए गए 27 आरोपियों को आज स्थानीय अदालत ने दोषमुक्त करार देते हुए बाइज्जत बरी कर दिया. इस मामले में अभियोजन पक्ष व्दारा 9 गवाह पेश करने के साथ ही कई सबूत भी रखे गए थे. परंतु बचाव पक्ष की ओर से दिए गए युक्तिवाद को ग्राह्य मानते हुए अदालत ने अभियोजन पक्ष की दलीलों को खारीज कर दिया. साथ ही दंगे में नामजद किए गए हिंदुत्ववादी संगठनों के 16 तथा दूसरे पक्ष के 11 आरोपियों को दोषमुक्त करार करते हुए इस मामले को बाइज्जत बरी कर दिया.
बता दें कि 12 नवंबर 2021 को रजा अकादमी नामक संगठन व्दारा त्रिपुरा की एक कथित घटना का आधार बनाते हुए, शहर में विशालकाय मोर्चा निकाला गया था. जिसमें करीब 35 हजार लोग शामिल हुए थे. इस मोर्चे में शामिल लोगों ने शहर की दीपक चौक व चित्रा चौक स्थित कुछ दुकानों को पत्थरबाजी करने के साथ ही तोडफोड भी की थी. जिसके जवाब में अगले दिन 13 नवंबर को हिंदुत्ववादी संगठनों व्दारा अमरावती बंद का आहवान किया गया था. परंतु इस बंद के दौरान अचानक ही संतप्त भीड ने राजकमल चौक उग्र नारेबाजी करनी शुरु कर दी. जिसके बाद दो समुदाय आमने-सामने आ गए. पश्चात कुछ स्थानों पर पत्थरबाजी, आगजनी, हिंसा व तोडफोड की घटनाएं घटित हुई. इसके चलते पुलिस ने दंगे व हिंसा के मामले में भादवी की धारा 143, 147, 148, 149, 153, 153 (अ), 269, 270, 336, 427, 435, 353, 332, मकोपा की धारा 135 व आर्म एक्ट की धारा 4/25 के तहत अपराध दर्ज किए. साथ ही इस मामले में हिंदुत्ववादी संगठनों की


मविआ सरकार ने सतत किया था हिंदूओं का दमन
सांसद डॉ. अनिल बोंडे ने सत्र न्यायालय के दोषमुक्त करने के फैसले के तुरंत बाद कहा कि महाविकास आघाड़ी सरकार ने सतत हिंदूओं पर अत्याचार और दमनकारी रवैया अपनाया था. यह बात आज कोर्ट के निर्णय से भी सिद्ध हुई है. कोर्ट ने माना कि 13 नवंबर की वह घटना तीव्र जनभावना के कारण हुई थी. उन्होंने तत्कालीन पालकमंत्री यशोमती ठाकुर का नामोल्लेख कर उन पर भी आरोप मढ़ा. डॉ. बोंडे ने कोर्ट निर्णय का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि 12 नवंबर को जिलाधीश कार्यालय पर निकाले गए मोर्चे से लौट रहे लोगों ने अनेक दूकानों पर पथराव किया, लूटपाट की, अनेक घरों में घुसकर तोड़फोड़ की. इस घटना का विरोध करने के लिए शहरवासियों ने 13 नवंबर को शांतिपूर्ण विरोध मार्च का आयोजन किया था. किन्तु उस समय की कांग्रेस, राकांपा, शिवसेना सरकार ने हिंदुत्ववादी संगठनों के लोगों पर जबरन पुलिस केस दाखिल करने लगाए. जिसमें सत्र न्यायाधीश काजी ने आज सभी को दोषमुक्त किया. डॉ. बोंडे ने अपने वकील एड. प्रशांत देशपांडे और एड. मोहित जैन का आभार व्यक्त किया.

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वह तीव्र जनभावना थी- देशपांडे
कोर्ट निर्णय पश्चात मीडिया से बातचीत में एड.प्रशांत देशपांडे ने कहा कि 12 नवंबर की घटना के विरोध में 13 नवंबर को बंद का आव्हान कर राजकमल चौक पर सभा में उकसाने वाले भाषण देने का आरोप डॉ. अनिल बोंडे, प्रवीण पोटे पाटील, जगदीश गुप्ता, निवेदिता चौधरी, तुषार भारतीय आदि पर लगाए गए थे. पुलिस ने इन लोगों के विरुद्ध अनेक धाराएं लगाकर उन्हें गिरफ्तार किया था. उसी प्रकार नमूना, अंबागेट, चित्रा चौक, जयस्तंभ परिसर में पथराव, आगजनी करने के आरोप लगाकर कोर्ट में दोषारोप पत्र दायर किया था. जिस पर अदालत में लगातार सुनवाई हुई. काफी एविडेंस दर्ज किए गए. आर्गुमेंट के बाद कोर्ट ने माना कि वह शहर के लोगों की तीव्र जनभावना थी. कोर्ट ने सभी को दोष मुक्त कर दिया.


गवाह, पुरावों के बाद छोड़ा कोर्ट ने
बचाव पक्ष के दूसरे वकील एड. मुर्तजा आजाद ने बताया कि 13 नवंबर 2021 को रायट का गुनाह दाखिल हुआ था. जिसमें पुलिस ने हिंदू-मुस्लिम दोनों पक्षों के आरोपियों को गिरफ्तार किया. मामले की जांच की. कोर्ट में दोषारोप पत्र प्रस्तुत किया. आरोपी जमानत पर रिहा किए गए थे. कोर्ट ने गवाहों के क्रॉस एक्जामिन के बाद सभी आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया.
ओर से विधायक प्रवीण पोटे, राज्यसभा सांसद अनिल बोंडे, पूर्व पालकमंत्री जगदीश गुप्ता, पूर्व पार्षद तुषार भारतीय व प्रणीत सोनी एवं भाजपा की एक महिला पदाधिकारी सहित शिवराय कुलकर्णी, कन्हैया राजेंद्र मित्तल, संगम गुप्ता, प्रवीण अग्रवाल, आशीष करवा, महेश खोडे, राहुल सायवान, सूर्या उर्फ महेश खोडे, राहुल उर्फ अंदू सायवान, सूर्या उर्फ सूरज डोगंरे, दुर्गेश सोलंके, चेतन सूर्यवंशी व विक्की सहारे नामजद किए गए थे. वहीं दूसरे पक्ष की ओर से मो. शहबाज मो. मुशताक, अब्दुल साबीर अब्दुल बशीर, शेख अफसर शेख अकबर, आकीब गनी उर्फ कलीम पेंटर, बबलू उर्फ शेख फैयाज शेख करीम, आमीर खान इस्माइल खान, छोटा रिचार्ज उर्फ सैयद फैजान सैयद शफीक, सनाउल्ला खान अताउल्ला खान, पप्पू मेंटल उर्फ अफरोज पठान नासीर पठान, रिजवान शाह इरफान शाह तथा भल्ला उर्फ मो. रेहान मो. यासीन को नामदज किया गया था.
पुलिस व्दारा अदालत में पेश की गई चार्जशीट के मुताबिक 12 नवंबर की घटना के जवाब में हिंदुत्ववादी संगठनों व्दारा 13 नवंबर को अमरावती बंद का आहवान किया गया था और कई हिंदुत्ववादी नेताओं ने राजकम चौराहे पर भीड के समक्ष बेहद भडकाउ भाषण दिए थे. पश्चात भीड में शामिल लोगों ने अलग-अलग गुट तैयार करते हुए शहर में समुदाय विशेष की दुकानों में तोडफोड करना शुरु किया. इसी समय नमूना गली से समुदाय विशेष के कुछ लोग हाथों में तलवार, लाठी व डंडे लेकर राजकमल चौक की ओर आए और उन्होंने भीड पर पत्थरबाजी करनी शुरु की. लगभग ऐसा ही नजारा चित्रा टॉकीज व इतवारा बाजार परिसर में भी दिखाई दिया. जहां पर दोनों ओर से चले पत्थरों की वजह से दोनों पक्ष के लोगों सहित कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे.
इस मामले मेें अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी अभियोक्ता एड. दिलीप तिवारी ने 9 गवाह पेश करने के साथ ही कई सबूत भी प्रस्तुत किए. वहीं हिंदुवादी संगठनों के नामजद आरोपियों की ओर से एड. प्रशांत देशपांडे ने पैरवी की. जिन्हें एड. प्रकाश चितलांगे, एड.मोहित जैन व एड. गणेश गंधे ने सहयोग किया. वहीं दूसरे पक्ष के आरोपियों की ओर से एड. मुर्तुजा आजाद ने पैरवी की, जिन्हें एड. नौसीफ शेख, एड. नदीम शहा, एड. तैबीश सैयद, एड. फैजान शेख, एड. साद खान ने सहयोग किया. बचाव पक्ष की ओर से किए गए युक्तिवाद को ग्राह्य मानते हुए अदालत ने दोनों पक्षों से नामजद रहने वाले सभी आरोपियों को दोषमुक्त करार देते हुए बाइज्जत बरी कर दिया.

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