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‘उन’ चारों तहसीलों में जारी सभी 5611 जन्म प्रमाणपत्र होंगे रद्द

नए सिरे से आवेदकों के दस्तावेजों की होगी पडताल

* चारों तहसीलों के नायब तहसीलदारों ने जारी किए थे प्रमाणपत्र
* अब तहसीलदार द्वारा प्रमाणपत्र होंगे नए सिरे से जारी
अमरावती/दि.19 – दो दिन पूर्व राज्य के वन एवं राजस्व मंत्रालय द्वारा जारी निर्देश के पश्चात अमरावती जिले के चार तहसीलदार कार्यालयों के नायब तहसीलदारों द्वारा जारी जन्म प्रमाणपत्रों को रद्द किए जाने का आदेश अमरावती के जिलाधीश कार्यालय द्वारा गत रोज ही जारी किया गया था. जिसके चलते यह स्पष्ट हो गया है कि, अमरावती, नांदगांव खंडेश्वर, अचलपुर व चिखलदरा इन चार तहसील कार्यालयों में नायब तहसीलदारों के हस्ताक्षर से जारी 5611 जन्म प्रमाणपत्रों को रद्द करार दे दिया गया है. वहीं अब संबंधितों को अपने आवेदनों व दस्तावेजों की नए सिरे से संबंधित तहसील कार्यालय के तहसीलदारों या उपविभागीय अधिकारी के जरिए जांच-पडताल करवानी होगी और इस जांच-पडताल में सभी दस्तावेज वैध पाए जानेवाले आवेदकों को नए सिरे से विलंबित जन्म प्रमाणपत्र जारी किए जाएंगे, ऐसी जानकारी आज स्थानीय जिलाधीश कार्यालय के सूत्रों के जरिए सामने आई है.
बता दें कि, गत रोज ही राज्य के राजस्व एवं वन मंत्रालय द्वारा द्वारा सभी विभागीय आयुक्तों व जिलाधीशों को अगले आदेश तक विलंबित जन्म प्रमाणपत्र एवं मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने की कार्रवाई को स्थगित रखने के संदर्भ में निर्देशित किया गया था. क्योंकि विलंबित जन्म एवं मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किए जाने में बडे पैमाने पर गडबडियां होने की शिकायते सरकार को प्राप्त हो रही थी. इस निर्देश के साथ ही राज्य सरकार द्वारा यह भी कहा गया कि, तहसीलदार एवं तहसील दंडाधिकारी के पद की तुलना में कम दर्जेवाले अधिकारियों द्वारा जारी किए गए प्रमाणपत्रों को रद्द किया जाए और ऐसे प्रमाणपत्रों की सक्षम अधिकारियों द्वारा दुबारा जांच करते हुए यथाशिघ्र निर्णय लिया जाए. जिसके चलते अमरावती के जिलाधीश सौरभ कटियार ने जिले की 4 तहसीलो में नायब तहसीलदारों द्वारा जारी किए गए सभी विलंबित जन्म प्रमाणपत्रों को रद्द करने का आदेश जारी किया था. जिसके तहत अमरावती जिले के अमरावती, नांदगांव खंडेश्वर, अचलपुर व चिखलदरा तहसील कार्यालयों के नायब तहसीलदारों द्वारा जारी विलंबित जन्म प्रमाणपत्रों को खारिज करने का निर्णय अमरावती के जिलाधीश सौरभ कटियार द्वारा लिया गया.
ज्ञात रहे कि, जन्म-मृत्यु पंजीयन प्रमाणपत्र संशोधित अधिनियम के तहत 1 नवंबर 2023 से उपविभागीय अधिकारी व तहसीलदार स्तर के अधिकारियों को विलंबित जन्म-मृत्यु पंजीयन प्रमाणपत्र जारी करने का अधिकार दिया गया था. परंतु कुछ स्थानों पर पाया गया कि, तहसीलदारों ने खुद पर काम का बोझ अधिक रहने के चलते अपने अधिनस्त रहनेवाले नायब तहसीलदारों को इस काम का जिम्मा सौंप दिया और ऐसे स्थानों पर तहसीलदार की बजाए नायब तहसीलदार स्तर के अधिकारियों द्वारा जन्म-मृत्यु पंजीयन प्रमाणपत्र हेतु प्राप्त दस्तावेजों की पडताल करते हुए ऐसे प्रमाणपत्र जारी भी किए गए. जिसपर भाजपा नेता व पूर्व सांसद किरीट सोमैया द्वारा आपत्ति व आक्षेप उठाते हुए कहा गया कि, नायब तहसीलदारों को विलंबित जन्म प्रमाणपत्र जारी करने का अधिकार ही नहीं है. ऐसे में नायब तहसीलदार स्तर के अधिकारियों द्वारा जारी प्रमाणपत्रों को अवैध माना जाना चाहिए. साथ ही सोमैया ने यह आरोप भी लगाया था कि, कई नायब तहसीलदारों द्वारा आवेदनों की सही तरीके से पडताल ही नहीं की गई और कांटछांट वाले फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जन्म प्रमाणपत्र जारी किए गए. हैरतवाली बात यह भी रही कि, सोमैया द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद शुरु की गई पडताल के बाद कुछ शिकायतों व मामलो में तथ्य भी पाया गया और ऐसे मामले अमरावती व अंजनगांव सहित राज्य के कुछ अन्य जिलों में भी सामने आए. जिसके चलते अब राज्य सरकार ने नायब तहसीलदार स्तर के अधिकारियों द्वारा जारी सभी जन्म प्रमाणपत्रों को खारिज करने का निर्णय लिया है. साथ ही अगले आदेश तक नए प्रमाणपत्र वितरित करने की प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए रद्द किए गए प्रमाणपत्रों की नए सिरे से जांच करने का आदेश भी जारी किया है.
इस संदर्भ में स्थानीय जिलाधीश कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक 1 नवंबर 2024 से लेकर जनवरी 2025 तक अमरावती जिले के 14 तहसीलदार कार्यालयों द्वारा कुल 8308 विलंबित जन्म प्रमाणपत्र जारी किए गए. जिसमें से अमरावती तहसील कार्यालय से 2823, नांदगांव खंडेश्वर तहसील कार्यालय से 271, अचलपुर तहसील कार्यालय से 2527 व चिखलदरा तहसील कार्यालय से 1 विलंबित जन्म प्रमाणपत्र नायब तहसीलदार स्तर के अधिकारी द्वारा जारी किए गए है. ऐसे में इन 4 तहसीलदार कार्यालयों से नायब तहसीलदारों द्वारा जारी 5611 जन्म प्रमाणपत्रों को रद्द कर दिया गया है. साथ ही अब इन सभी 5611 प्रमाणपत्रों तथा इस हेतु पेश किए गए आवेदनों व दस्तावेजों की दुबारा जांच-पडताल की जाएगी तथा ऐसे मामलो में जल्द ही यथायोग्य निर्णय लिए जाएंगे, ऐसी जानकारी जिला प्रशासन द्वारा जारी की गई है.

‘उन’ लोगों को दुबारा काटने होंगे तहसील कार्यालयों के चक्कर
विशेष उल्लेखनीय है कि, अमरावती, अचलपुर, नांदगांव खंडेश्वर एवं चिखलदरा तहसीलदार कार्यालय द्वारा जारी 5611 जन्म प्रमाणपत्रों को एक झटके साथ सीधे तौर पर खारिज कर दिया गया है. ऐसे में अब उन 5611 आवेदकों को एक बार फिर अपने जन्म प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए संबंधित तहसील कार्यालयों के चक्कर काटने पडेंगे. हालांकि, जिला प्रशासन की मुताबिक उन लोगों को दुबारा नए सिरे से आवेदन नहीं करना होगा. लेकिन अपने खारिज जन्म प्रमाणपत्र के साथ तहसीलदार के सामने उपस्थित होकर अपने दस्तावेजों के पूरी तरह से सही रहने के संदर्भ में दावा कर सकते है. जिसके बाद तहसीलदार व उपविभागीय अधिकारी द्वारा ऐसे आवेदकों के आवेदन एवं दस्तावेजों की दुबारा पडताल की जाएगी और इस पडताल के दौरान आवेदन एवं दस्तावेजों के पूरी तरह सही पाए जाने पर संबंधितों के नाम जन्म प्रमाणपत्र जारी किए जाएंगे.

* मनमानी अधिकारियों की, ‘हेलपाटे’ नागरिकों को
ज्ञात रहे कि, राज्य सरकार द्वारा जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र पंजीयन प्रमाणपत्र को लेकर संशोधित अधिनियम में स्पष्ट तौर पर उल्लेखित था कि, ऐसे प्रमाणपत्र उपविभागीय दंडाधिकारी व तहसीलदार स्तर के अधिकारियों द्वारा जारी किए जाने चाहिए. लेकिन कुछ स्थानों पर तहसीलदारों ने खुद पर काम का ज्यादा बोझ रहने की बात कहते हुए खुद ही अपने मनमाने ढंग से अपने अधिनस्त रहनेवाले नायब तहसीलदारों को इस काम का जिम्मा सौंपा. परंतु तहसीलदारों द्वारा अपने स्तर पर मनमाने ढंग से लिए गए इस फैसले का खामियाजा अब आम नागरिकों को भुगतना पड रहा है. क्योंकि नायब तहसीलदारों द्वारा जारी सभी विलंबित जन्म प्रमाणपत्रों को सरकार एवं प्रशासन ने खारिज कर देने का निर्णय लिया है. इसके चलते जिन लोगों के आवेदन व दस्तावेज पूरी तरह से वैध एवं सही भी थे, उनके भी जन्म प्रमाणपत्र खारिज हो गए है और उन्हें अब बेवजह तहसील कार्यालयों के चक्कर काटते हुए तकलीफों का सामना करना पडेगा तथा नए सिरे से अपने जन्म प्रमाणपत्र बनवाने पडेंगे. जबकि उनका इस बात से कोई लेना-देना ही नहीं था कि, विलंबित जन्म प्रमाणपत्र किस स्तर के अधिकारी द्वारा जारी किए जा रहे हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि, खुद पर पडनेवाले काम के बोझ से बचने हेतु 4 तहसीलों के तहसीलदारों द्वारा मनमाने ढंग से लिए गए निर्णय के चलते उन 4 तहसीलों के 5611 नागरिकों को विना वजह ‘हेलपाटे’ झेलने पडेंगे.

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