अमरावती

संगई शिक्षा संस्था पर लगाए गए सभी आरोप झूठे व बेबुनियाद

संस्था को वर्ष 1999 में ही मिला था अल्पसंख्यक दर्जा

* संस्थाध्यक्ष व संचालकों ने पत्रवार्ता में प्रस्तूत किए दस्तावेज
* आरोप लगाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की बात भी कहीं
अमरावती/दि.18 – विगत दिनों खुद को पत्रकार बताने वाले एक व्यक्ति ने अमरावती में पत्रकार परिषद बुलाते हुए अंजनगांव सुर्जी स्थित सीताबाई संगई एज्युकेशन सोसायटी तथा संस्था द्बारा संचालित शिक्षा संस्थाओं को लेकर कई तरह के झूठे आरोप लगाए थे. जिन्हें लेकर स्थानीय अखबारों में खबरे भी प्रकाशित हुई थी. परंतु हकीकत यह है कि, संस्था को लेकर लगाए गए तमाम आरोप पूरी तरह से झूठे है. जिनका हकीकत से कोई वास्ता नहीं है. इस आशय का प्रतिपादन सीताबाई संगर्ठ शिक्षा संस्था की ओर से आज यहां बुलाई गई पत्रवार्ता में किया गया. साथ ही कहा गया कि, संस्था पर लगे आरोपों पर स्पष्टीकरण देने हेतु तमाम दस्तावेज भी प्रस्तूत किए गए.
इस पत्रकार परिषद में सीताबाई संगई एज्युकेशन सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. अशोक संगई ने बताया कि, इस शिक्षा संस्था की स्थापना हुए 108 वर्ष हो चुके है तथा यह जिले की बेहद नामांकित शिक्षा संस्था है. यद्यपि भारत सरकार द्बारा वर्ष 2014 में जारी राजपत्र के अनुसार भारत सरकार ने जैन समूदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया था. लेकिन उससे काफी पहले महाराष्ट्र, राजस्थान व कर्नाटक सहित 11 राज्यों में केंद्र सरकार के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के परिपत्रक के अनुसार जैन समूदाय सहित 6 समूदायों के अल्पसंख्यक समूदाय के तौर पर घोषित किया गया था. जिसके अनुसार महाराष्ट्र सरकार द्बारा मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यांक शैक्षणिक शिक्षा संस्थाओं में सीताबाई संगई एज्युकेशन सोसायटी को भी शामिल किया गया था. जिससे संबंधित पत्र अमरावती के शिक्षा उपसंचालक कार्यालय द्बारा 12 फरवरी 1999 को संस्था को प्राप्त हुआ था. इसके साथ ही राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्बारा 7 मई 2004 को जारी शासन निर्णयानुसार सरकार ने राज्य की सभी जैन शिक्षा संस्थाओं को अल्पसंख्यक शिक्षा संस्था के रुप में घोषित किया. साथ ही अब नये सिरे से अल्पसंख्यक प्रमाणपत्र लेने की जरुरत नहीं रहने की बात भी कहीं. ऐसे में अल्पसंख्यक दर्जा रहने के संदर्भ में सीताबाई संगई एज्युकेशन सोसायटी पर लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद साबित होते है.
इसके साथ ही इस पत्रवार्ता में यह भी बताया गया कि, संस्था को 100 वर्ष पहले तत्कालीन प्रचलित कानूनों के मुताबिक शालाएं संचालित करने के लिए जगह उपलब्ध कराई गई है. जिस पर सभी तरह के निर्माणकार्य अलग-अलग समय पर आवश्यक अनुमति लेकर किए गए है. इसके अलावा शैक्षणिक कामों के लिए ही जगह का उपयोग किया गया है. इसी तरह वर्ष 1963 में संस्था को होस्टल शुरु करने के लिए जगह लीज पर दी गई है. जिस पर वर्ष 1967 में इमारत बनाकर होस्टल शुरु किया गया था. जो वर्ष 1971 तक शुरु था. लेकिन इसे बेहद कम प्रतिसाद मिलने की वजह से सभी सरकारी अनुमतियां प्राप्त करते हुए इस जगह पर सीताबाई संगई कन्या शाला शुरु की गई थी. जिसके पास से होकर गुजरने वाले रास्ते से संबंधित विवाद इस समय अदालत के समक्ष विचाराधीन है.
संस्था पर लगे आरोपों के संदर्भ में पूछे गए सवालों पर जवाब देते हुए संस्थाध्यक्ष डॉ. अशोक संगई ने कहा कि, शिकायतकर्ता द्बारा अपने आर्थिक व राजनीतिक लाभ के लिए तमाम बेबुनियाद आरोप लगाए है. आरोप लगाने वाले तथाकथित पत्रकार ने विगत 6 माह में सूचना के अधिकार के तहत 160 से अधिक बार पत्र भेजकर बार-बार लगभग एक ही तरह की जानकारी मांगते हुए संस्था प्रबंधन को मानसिक तौर पर प्रताडित करने का पूरा प्रयास किया और यदि शिकायतकर्ता को लगता है कि, उसके पास संस्था के खिलाफ काफी सबूत जमा हो गए है, तो शिकायतकर्ता ने उन सबूतों को लेकर कोर्ट में जाकर संस्था के खिलाफ जाकर मामला दर्ज करवाते हुए कार्रवाई करवानी चाहिए. साथ ही पत्रवार्ता में यह भी कहा गया कि, चूंकि शिकायतकर्ता व्यक्ति ने पत्रवार्ता लेकर संस्था के खिलाफ गलत जानकारी प्रसारित करते हुए संस्था की बदनामी करने का काम किया है. ऐसे में उक्त व्यक्ति के खिलाफ सीताबाई संगई एज्युकेशन सोसायटी द्बारा आवश्यक कानूनी कदम उठाए जाएंगे.
इस पत्रवार्ता में संस्था के उपाध्यक्ष डॉ. उल्हास संगई व अविनाश संगई, सहसचिव विवेक संगई एवं सदस्य अजय संगई व आशीष संगई सहित मनोहर मुरकुटे, प्रवीण बोके, अशोक पिंजरकर, जयंत गाडगे, सुरेश सावले, रविंद्र वानखडे, उमेश काकड, सागर साबले, महेंद्र भगत, सचिन अब्रुक, सुजित काठोले, सुनील माकोडे व अनिल जिनपुरकर आदि उपस्थित थे.

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