कल से भूतपूर्व हो जायेंगे मनपा के सभी पार्षद
पदाधिकारी हो जायेंगे ‘बे-कार’ व कक्षविहीन
* मनपा के गलियारे में अगले चुनाव तक फैला रहेगा सन्नाटा
* कल मौजूदा सदन व पार्षदों के कार्यकाल का रहेगा अंतिम दिन
* परसों से शुरू होगा प्रशासक राज, आयुक्त आष्टीकर होंगे ‘बिग बॉस’
अमरावती/दि.7– महानगर पालिका के सभी पार्षदों के कार्यकाल का कल अंतिम दिन रहेगा. इसके साथ ही अब परसों से मनपा के सभी मौजूदा पार्षद भूतपूर्व कहलायेंगे. साथ ही महापौर, उपमहापौर, स्थायी सभापति, पक्ष नेता, नेता प्रतिपक्ष व झोन सभापतियों सहित विषय समिती सभापतियों को दी गई कार व कैबिन की सुविधा मनपा प्रशासन द्वारा कल ही वापिस ले ली जायेगी. ऐसे में भूतपूर्व होने के साथ-साथ मनपा के सभी पदाधिकारी कल से ‘बे-कार’ और कक्षहीन हो जायेंगे. वहीं परसों से अमरावती मनपा में प्रशासक राज शुरू हो जायेगा और प्रशासक के तौर पर मनपा आयुक्त प्रवीण आष्टीकर मनपा के सर्व शक्तिमान ‘बिग बॉस’ बन जायेंगे. यह स्थिति मनपा का आगामी चुनावी होकर नया सदन गठित होने तक बनी रहेगी.
* मनपा आयुक्त का कार्यालय जायेगा प्रमुख इमारत की तीसरी मंजिल पर
बता दें कि, इस समय मनपा आयुक्त का कार्यालय मनपा के मुख्य प्रवेश द्वार के पास स्थित प्रशासकीय इमारत में है. जिसके आगामी कुछ दिनों में मनपा की मुख्य इमारत की तीसरी मंजील पर स्थलांतरित होने की संभावना है. जिसके लिए आगामी प्रशासकीय बजट में प्रावधान किया जायेगा. वहीं जिस कार्यालय में फिलहाल मनपा आयुक्त का कक्ष है, वह कार्यालय अतिरिक्त आयुक्त को सौंपे जाने की पूरी संभावना है. बता दें कि, इस समय मनपा मुख्यालय में नूतनीकरण व सजावट का काम प्राथमिक चरण में है. जिसमें कुछ नये कक्ष भी तैयार किये जायेंगे. जिनमें महापौर, उपमहापौर कक्ष के साथ ही पत्रकारों व अधिकारियों के लिए भी कक्ष तैयार किये जायेंगे. यह पूरा निर्माण कार्य करीब पौने चार हजार स्क्वेअर फीट का होगा.
* अब अधिकारी व अधिकार खुलेंगे
– सन 1992 के बाद मनपा में पहली बार प्रशासक राज
– प्रशासक को होते है अमर्यादित सर्वाधिकार
बता देें कि, वर्ष 1983 में अमरावती नगर पालिका को महानगरपालिका का दर्जा दिया गया था. किंतु मनपा का पहला चुनाव 1992 में हुआ था. इस समय तक मनपा में करीब 9 साल प्रशासक राज रहा. वहीं वर्ष 1992 में हुए चुनाव के बाद मनपा पदाधिकारियों व पार्षदों यानी आमसभा, स्थायी समिती व विषय समिती के अधिकार से मनपा का कामकाज चलता रहा. किंतु अब मौजूदा पदाधिकारियों व सदस्यों का पंचवार्षिक कार्यकाल कल 8 मार्च की शाम 5 बजे खत्म हो रहा है. इसके साथ ही मनपा का मौजूदा सदन विसर्जित हो जायेगा. इस स्थिति के मद्देनजर सरकार द्वारा पहले से जारी आदेश के चलते मनपा आयुक्त डॉ. प्रवीण आष्टीकर को प्रशासक नियुक्त करने का फैसला किया जा चुका है. ऐसे में परसों 9 मार्च से प्रशासक के तौर पर आयुक्त डॉ. प्रवीण आष्टीकर के पास मनपा के सभी अधिकार केंद्रीत हो जायेंगे. जिसके चलते अब तक विभिन्न पदाधिकारियों व राजनीतिक दलों के दबाव में रहनेवाले अधिकारी पहली बार ‘पावर डोज’ प्राप्त हो जाने के चलते खुलकर अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए पूरी ताकत के साथ काम करते दिखाई देंगे.
* आर्थिक विषयों से लेकर घोटालों तक का हो सकता है निपटारा
चूंकि अब परसों बुधवार 9 मार्च से मनपा के अधिकारियों पर कि भी तरह का कोई राजनीतिक दबाव नहीं रहेगा. ऐसे में प्रशासक राज के दौरान मनपा प्रशासन द्वारा कई महत्वपूर्ण व प्रलंबित मामलों को हल करने की दिशा में कदम भी उठाये जा सकते है. जिसके तहत मनपा की आय बढाने से संबंधित मनपा के व्यापारिक संकुलों के किराये को बढाने का मामला प्रशासक राज के दौरान हल हो सकता है. यह विषय विगत कई वर्षों से प्रलंबित पडा हुआ है. जिसके चलते मनपा को सालाना करोडों रूपयों के नुकसान का सामना करना पड रहा है. इसके अलावा फाईबर टॉयलेट घोटाला, शौचालय घोटाला, 39 आर घोटाला, शेतकरी जिनिंग की जमीन का घोटाला, संयुक्त संचालक नगर रचना में फर्जी हस्ताक्षरों का मामला, मल्टीयुटिलीटी वाहन खरीदी घोटाला तथा बायोमायनिंग प्रकल्प जैसे विभिन्न मामलों की अब प्रशासक के तौर पर आयुक्त आष्टीकर द्वारा चिरफाड किये जाने की पूरी संभावना है. इसके साथ ही लंबे समय से प्रलंबित हॉकर्स झोन व नवाथे मल्टीप्लेक्स जैसे मामलों को भी प्रशासक राज के दौरान हल किया जा सकता है.