सभी बिजली कर्मी तीन दिवसीय हडताल पर
महावितरण के कार्यालयों में सन्नाटा, अनेक इलाकों की बिजली होने लगी गुल
* शहर के विद्युत भवन सामने कर्मचारियों का धरना
अमरावती/ दि. 4- महावितरण को निजीकरण करने के प्रयास के विरोध में बिजली कंपनियों के कर्मचारियों ने 72 घंटे की हडताल शुरू कर दी हैं. बुधवार को सुबह 10 बजे से शहर के विद्युत भवन के सामने बिजली कर्मियों की सभी संगठनाओं के पदाधिकारी व कर्मचारियों ने धरना देकर अपना रोष जताना शुरू किया है. जिले के करीबन 2 हजार कर्मचारी हडताल पर जाने से महावितरण के सभी कार्यालयों में सन्नाटा छाया हुआ है. ऐसे में अनेक इलाकों की बिजली गुल होने के कारण नागरिकों को परेशानी का सामना करना पड रहा है.
इस हडताल में तकनीकी और गैर तकनीकी कर्मचारी भी शामिल हुए है. साथ ही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से लेकर अतिरिक्त कार्यकारी अधिकारी अभियंता स्तर के अधिकारी भी शामिल हुए है. इस कारण दोपहर 12 बजे से जिले के अनेक इलाकों की बिजली गुल होने के बाद उपभोक्ताओं की शिकायत लेने से लेकर उसका निराकरण करने तक कामकाज ठप्प हो गया है.
महाराष्ट्र राज्य बिजली कर्मचारी, अधिकारी, अभियंता संघर्ष समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि हाल में अदानी इलेक्ट्रिक कंपनी ने राज्य के राजस्व की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहे ठाणे, नई मुंबई, उरण, पनवेल, तलोजा विभाग के लिए महाराष्ट्र राज्य विद्युत नियामक आयोग के पास समांतर अनुमति के लिए आवेदन किया है. इस तरह का यह पहला ही प्रयोग देश में हो रहा है. यदि ऐसी अनुमति दी गई तो राज्य के बिजली उद्योग पर इसका विपरित परिणाम होगा. बिजली के ग्राहक यदि महावितरण कंपनी की तरफ से निजी कंपनी की तरफ गए तो बिजली ग्राहकों को बिजली दरवृध्दि की मार बैठ सकती है. जिससे राज्य की जनता पर आर्थिक बोझ बढेगा. महावितरण कंपनी को मिलनेवाला राजस्व इस तरह निजी उद्योजको के पास गया तो राज्य की आम जनता पर बुरा असर हो सकता है. राज्य में इसके पूर्व नागपुर, जलगांव, भिवंडी, औरंगाबाद, मालेगांव, दीवा, मुंब्रा आदि स्थानों पर महावितरण ने निजीकरण का प्रयोग किया है. लेकिन यह सभी प्रयोग निरर्थक और विफल साबित हुए है. साथ ही महापारेषण कंपनी के विविध विभाग में महापारेषण के जाल का इस्तेमाल कर निजी निवेशकों द्बारा निजी मालकी की लाइन बिछाने का काम राज्य में जारी है. साथ ही महानिर्मिति के कंपनी के खुद के मालकी के रहे जल विद्युत प्रकल्प निजी तत्व पर चलाने का प्रयास शासनस्तर पर चालू है. इन सभी बातों का विचार करते हुए बिजली उद्योग में काम करनेवाले सभी संगठनाओं ने इस निजीकरण का विरोध कर यह हडताल शुरू की है.
नागपुर के शीतकालीन अधिवेशन पर मोर्चा ले जाने के बाद आज से 72 घंटे की बिजली कर्मियों ने हडताल शुरू की है. जिले के बिजली विभाग की विविध संगठनाओंं के पदाधिकारी व कर्मचारियों ने सुबह 10 बजे पंचवटी चौक से गर्ल्स हाईस्कूल रोड स्थित विद्युत भवन कार्यालय के सामने पहुंचकर धरना शुरू किया है. इसमें उपकार्यकारी अभियंता, विद्युत सहायक, उपसहायक, यंत्र चालक, टेक्नीशियन, कार्यालयीन कर्मचारी, सुरक्षा कर्मी और बाह्यस्त्रोत कर्मियों का समावेश है.
* जिले के 23 उपविभागीय कार्यालय में सन्नाटा
अमरावती जिले में बिजली विभाग के चार विभागीय कार्यालय और एक सर्कल तथा एक जोन कार्यालय आते है. अमरावती शहर, ग्रामीण, अचलपुर और मोर्शी विभागीय कार्यालय अंतर्गत 23 उपविभागीय कार्यालय आते है. इसके अंतर्गत कुल 100 ग्राहक शिकायत निवारण केंद्र और 150 के करीब उपकेंद्र हैं. इन सभी कार्यालयों में करीबन 2 हजार कर्मचारी कार्यरत है. इनमें से 97 फीसदी कर्मचारी हडताल पर रहने से बिजली विभाग के इन सभी कार्यालयों में सन्नाटा छाया हुआ है. इस कारण यदि किसी इलाके में बिजली गुल हुई तो उसे सुधारने के लिए महावितरण के पास पर्यायी व्यवस्था नहीं है.
* हडताल में 30 संगठनाओं का समावेश
बिजली कर्मियों की इस तीन दिवसीय हडताल में महावितरण, महापारेषण और महानिर्मिती कंपनी की कुल 30 संगठनाओं के कर्मचारी, अभियंता और अधिकारी शामिल हुए है. अमरावती परिमंडल के अमरावती और यवतमाल जिले में बिजली आपूर्ति नियमित रखने के लिए बाह्यस्त्रोत कर्मचारियों के माध्यम से पर्यायी व्यवस्था किए जाने की जानकारी भले ही विद्युत विभाग द्बारा दी गई हो. लेकिन इस हडताल ने बाह्यस्त्रोत कर्मचारी भी शामिल होने का दावा हडताल पर गए बिजली कर्मियों ने किया है.
* बिजली विभाग के पास पर्यायी व्यवस्था
जिले के अधिकांश बिजली कर्मचारी हडताल पर गए है. ऐसे में कुछ स्थानो ंपर बारिश होने के कारण तकनीकी समस्या आयी है. ब्रेक डाउन होने से कुछ इलाकों की बिजली आपूर्ति भी खंडित हुई है. उसे शुरू करने उपलब्ध कर्मियों की सहायता से प्रयास कर बिजली आपूर्ति सुचारू की जा रही है. थोडी परेशानी है लेकिन नागरिको को अंधेरे में रहना नहीं पडेगा.
ज्ञानेश कुलकर्णी, मुख्य अभियंता, अमरावती