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राणा और कडू की अगली भूमिका पर सभी की निगाहें

चुनाव बाद एक दूसरे को देख लेने की धमकी

अमरावती/ दि. 26- इलेक्शन बोलने के बाद तनातनी होेती है. पास पडोस के लोग भी भिड जाते हैं. अमरावती लोकसभा क्षेत्र में पुराने बैरी विधायक बच्चू कडू और विधायक रवि राणा ने एक दूसरे पर न केवल तीखा हमला किया. बल्कि एक दूसरे के लगभग कपडे फाडने वाले अंदाज में वार किए. आज लोकसभा का मतदान संपन्न हो जायेगा. ऐसे में अमरावती जिले की जनता की नजरें अब राणा और कडू की अगली भूमिका पर टिकी रहने की संभावना जानकारों ने व्यक्त की है. दिलचस्प बात है कि दोनों महायुति के समर्थक है. फिर भी राणा की पत्नी नवनीत को चुनाव में परास्त करने का प्रण लेकर बच्चू कडू ने खुल्लमखुल्ला विरोध किया. अपने पक्ष से दिनेश बूब को मैदान में उतार दिया. बूब का खुद प्राणपन से प्रचार किया. सभाएं की, रात दिन एक किया. जिससे वे राणा के बारे में और राणा उनके बारे में आगे क्या रूख अपनाते हैं, इस पर दिलचस्पी देखी जा रही है.
* एक दूसरे पर कपडा फाड हमले
विधायक रवि राणा एवं बच्चू कडू ने चुनाव दौरान पहले दिन से एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप किए. उनके आरोप कई बार स्तर से नीचे हो जाने का दावा भी जानकारों ने किया. कडू ने राणा की और राणा ने कडू की प्रॉपर्टी से लेकर केसेस और घपले, घोटाले का जिक्र किया. आगे भी एक दूसरे को देख लेने की भाषा जमकर हुई.
* उम्मीदवार भी चपेट में
विधायक राणा ने जहां कडू पर व्यक्तिगत हमले किए. वहीं ही कडू द्बारा उतारे गये प्रत्याशी दिनेश बूब की शराब और पत्तों का भी उल्लेख कर स्तर बतला दिया. कडू ने राणा के मुंबई के शेट्टी और दिनेश सेठिया जैसे लोगों से सांठगांठ सहित नाना प्रकार के आरोप खुल्लमखुल्ला और जोर की आवाज में लगाए. इतना ही नहीं तो चुनाव के बाद राणा का और कच्चा चिठ्ठा पब्लिक के सामने लाने की चेतावनी दी है.
* अब खासोआम को इंतजार
लोकसभा चुनाव का वोटिंग आज हो रहा है. जिससे अमरावती के लोगों को कडू और राणा के बीच जोरदार शाब्दिक युध्द देखने मिला है. राणा के प्रचारार्थ सभा हेतु अमित शाह के नाम पर साइंसकोर ग्राउंड भी कडू से हथिया लिया गया था. इस वजह से भी जिले के दोनों वरिष्ठ विधायकों में रार- तकरार बढती रही. अब दोनों एक दूसरे पर और क्या हमले करते हैं. इस बात का अमरावती के बाशिंदे इंतजार कर रहे हैं. बता दे कि कडू और राणा महायुति में रहने के बावजूद किसी भी बडे शिवसेना अथवा भाजपा नेता ने दोनों के बीच मांडवली अर्थात मध्यस्थता का कोई प्रयत्न नहीं किया. इलेक्शन हो गए हैं. राणा को पार्टी की उम्मीदवारी मिलने पर भी भाजपा नेता तुषार भारतीय और उनके समर्थक प्रचार वगैरह से दूर रहे थे. राणा -भारतीय में भी भूतकाल में खटके उडे थे. उस विवाद का भी अंजाम आगे क्या होता है, यह देखनेवाली बात होगी.

 

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