अमरावती

प्रत्येक मनुष्य में चारों वर्ण स्थित हैं : मां कनकेश्वरी देवी

श्री रामकथा श्रवण का भक्तों ने लिया लाभ

* ‘गौशाला’ में गौसेवा हेतु गुड़ दान
* कोंडेश्वर श्रीक्षेत्र में रूद्राक्ष अभिषेक
अमरावती /दि. ३ मां कनकेश्वरी देवी जनकल्याण ट्रस्ट अंतर्गत गठित मां अंबा सत्संग समिति द्वारा बडनेरा झिरी स्थित श्री सदगुरु गणेश शाश्वत धाम में प.पू. मां के जन्मदिन, अवतरण दिवस पर श्री रामकथा का आयोजन किया है. इस अवसर पर मां कनकेश्वरी देवी ने कहा कि प्रत्येक मानव में चारों वर्ण स्थित हैं. ज्ञानदान पूजापाठ में ब्राह्मण बनो, समाज रक्षा धर्मरक्षा में क्षत्रिय बनो, आर्थिक व्यवहार में वेश्य बनो और बड़ों की सेवा में शुद्ध बनो. रामकथा में असीमित आनंद उत्साह के साथ पूरे भारत देश से पधारे हजारों भक्तों के बीच मां ने अपने जन्मदिवस पर श्री रामचरित मानस कथा गंगा के छठे दिन के सत्र में सेवक संचालक बाबा राऊतजी ने मां के बारे में कहा कि देश में रामराज्य यही मां का स्वप्न है. अपने अवतरण दिवस मां कनकेश्वर देवी जी ने डॉ. मुरके द्वारा संचालित गोकुलम ‘गौशाला’ में गौसेवा हेतु गुड़ दान किया. कोंडेश्वर श्रीक्षेत्र में भावपूर्ण रूद्राक्ष अभिषेक संपन्न हुआ. वरिष्ठ भाजपा नेता कैलाशजी विजयवर्गीय (भोपाल) भी माँ के साथ थे. गोकुलम गौशाला को इस अवसर पर कैलाश विजयवर्गीय एवं आनंद परिवार, बडनेरा की ओर से भावपूर्ण आर्थिक भेंट अर्पित की गई. सभा मंडप में अमरावती पुलिस बैंड की भी विशेष सेवा रही. व्यासपीठ पर सावनेर के वामनजी महाराज उपस्थित थे. कोंडेश्वर में रुद्राक्ष अभिषेक के प्रेरणा स्त्रोत परमहंस श्री परमेश्वरानंदजी महाराज उपस्थित थे. इस अवसर पर मनोहर देशपांडे, अशोकजी, फरसुभाई गोकलानी, भगुभाई, प्रागजीभाई पटेल, निपितभाई गोकलानी, भीखाभाई पटेल, नितीन पटेल डॉ. दिलीप रायपुर, साईराज चिनके, डॉ.हर्षद मुंबई, सचिन रासने, मुख्य यजमान श्रीमती सरलादेवी नारायणदास सिकची परिवार के आनंद, प्रज्ञा, अनूप ने माँ का आशीर्वाद लिया.
अपनी श्रेष्ठता का अहसास होना बहुत बड़ी विशेषता
रामकथा में मां कनकेश्वरी ने कथा विवेचन में यज्ञ की रक्षा के साथ ही सीताजी संग ब्याह प्रसंग कहते हुए मां ने कहा कि विश्वामित्र सदगुरू स्वरूप हैं. रामरूपी शिष्य के हाथों सत्कार्य संपन्न करवाते हैं. महान शिष्य को अपनी खूबी पता नहीं रहती वह तो सद्गुरु की कृपा चाहता है. अपनी श्रेष्ठता का अहसास ना होना बहुत बड़ी विशेषता है. हर विशेषता में गुरु की कृपा का भाव होना सौभाग्य स्वरूप है. निष्पक्ष दर्शन केवल गुरू में संभव है, यह प्रतिपादित करते हुए मां ने कहा अवतार आते हैं तब समूचा अस्तित्व गवाही देता है. इसके पूर्व माँ ने शब्दशक्ति का प्रभाव बताते हुए कहा कि शब्द को ती से जोड़ना ही रामावतार है. रामकथा सुनने का महान तरीका बताते हुए माँ ने कहा कि, हर कथा को अपने जीवन की सबसे पहली कथा मानना चाहिये या अपने जीवन की आखिरी कथा मानना चाहिये तभी परम लाभ होगा. शब्द राम हैं सुरती सीता है दोनों का जब मिलन होता है तभी शब्दब्रहम से परब्रह्म की महायात्रा संपन्न होती है. मोह और अज्ञान छूटने पर ही अनासक्ति होती है और मनुष्य यथार्थ परमार्थ में लग जाता है. बहुत ज्यादा कथाएँ सुनकर अपने आप को अनि ज्ञानी समझने वालों पर कटाक्ष करते हुए उन्हें ‘कथाप्रुफ’ कहा. कुछ भी सुनेंगे तो कोई भी असर नहीं होता. गुरु के वचन में विश्वास होगा तभी शब्द और सुरती का मेल होता है. गुरु की महिमा अनंत है के अनंत कोटि ब्रह्मांडों के नायक को गोद में बैठा देते हैं. स्वयं की विशेषता से भी सावधान रहना चाहिये क्योंकि अहंकार की संभावना रहती है. अपना अनुभव अपना होता है. विश्वामित्रजी जब राम लक्ष्मण को लेकर गए तब रामजी सीताराम बन पाये, यहीं गुरुकृपा है.

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