अमरावती

हम सबकी जिवनशैली ऐसी हो की तोड निभ जाये

संत डॉ. संतोषकुमार के आशिर्वचन

पुज्य शिवधारा आश्रम में शिवधारा झूलेलाल चालिहा
अमरावती -दि.24 हम सब की जिवनशैली ऐसी हो कि, तोड नीभ जाये, ऐसे आशिर्वचन संत डॉ. संतोष महाराज ने स्थानीय सिंधु नगर स्थित पूज्य शिवधारा आश्रम में चल रहे शिवधारा झूलेलाल चालिहा के 39वें दिन मंगलवार को उपस्थित भाविकों को दिये. गुरुजी ने कहा कि, अपने गुरु से, परिवार वालों से, मित्रों से जिवन जिने का अंदाज ऐसा हो कि, पूर्णता की ओर हमारी यात्रा होनी चाहिए, क्योंकि ऐसा अक्सर देखा जाता है. आयु बढने के साथ पद, पैसा बढने के साथ पढाई और परिवार के बढने के साथ आत्मिक संतुष्टी कम होती जाती है. जबकि हमने उतार-चढाव कई देखे है. हकीकत क्या है यह भी समझ चुके है. फिर भी पता नहीं क्यों बहुतसे लोग जीवन के हकिकत को नहीं स्विकारते. समझकर भी ना समझ बने रहते है. आयु गुजरने के साथ निराश, खताश, दुखी रहते है. जबकि जीवन के अनुभव बढने के साथ दुनिया वालों की सिमा समझकर संसार में वितरण करना चाहिए और धीरे-धीरे अंतर मुक्ता बढाकर सत्यशास्त्र एवं गुरु वचनों को अपने जीवन का आधार बनाकर जीवन जिना चाहिए.
धीरे-धीरे त्याग बढाकर लक्ष्य आसक्ति रहित जीवन होना चाहिए. किसी भी व्यक्ति या वस्तु को मोह बाकी नहीं रहें कि, जैसे शरीर के अंतिम घडियों में हृदय में संतुष्टी हो, श्वास मेें भगवत का नाम हो, सृष्टि में गुरुदेव, इष्टदेव की मुरत हो, किसी का श्राफ सिर पर ना हो, किसी का कर्ज ना हो, खुद के साथ भजन, धन आशिर्वाद धन, पुण्यकर्म धर्म लेकर जैसे संस्कार से बिदाई लें. जीवन जिने का ढंग कुछ ऐसा हो, उदाहरणार्थ महर्षी वाल्मिकीजी के पहले के जीवन की अपेक्षा बाद का जीवन एक आदर्श जीवन था. शबरी भिलनीजी का जीवन भले ही दुखत था. लेकिन शरीर का अंत सुखद हुआ.
1008 सद्गुरु स्वामी शिवभजनजी की माता पुज्यनीय जेठी बखईजी की इच्छा होती थी एवं गुरुदेव जो उनके वैसे तो सुपूत्र थे. वचन भी लिया था कि मेरे शरीर के प्राण आपके गोद में निकले जबकि उस समय बाबाजी वहां नहीं थे. लेकिन उनकी इच्छा अनुसार उस समय वे वहां पहुंंच गये और उनके मुख में गंगाजल डाला और उनकी गोद में ही उनके माताजी ने प्राण त्यागे थे. ऐसे ही हम सबकी भावना एवं कर्म इस प्रकार के हो कि, जीवन तो धीरे-धीरे आनंदमय संतोषजनक होता जाये, लेकिन शरीर का अंत निभ जाने वाला हो, ऐसे आशिर्वचन शिवधारा आश्रम मेें चले रहे, शिवधारा झूलेलाल चालिहा के 39वें दिन संत श्री डॉ. संतोष महाराज ने दिये. शिवधारा झूलेलाल चालिहा शिवधारा आश्रम में चल रहा है. श्री रामायण, श्रीमद् भागवत महापुराण, श्रीगुरु ग्रंथ साहिब, श्री शिवधारा अमृत ग्रंथपाठ साहब का समापन आज हुआ.

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