अमरावती

जिले में सभी ओपीडी व आयपीडी हुए शुरू

अस्पताल चलाने संबंधी नियमों को शिथिल करने की मांग

अमरावती/दि.4- अस्पताल चलाते समय सरकार के कडे नियमों व प्रतिबंधों तथा आयपीडी के लिए आवश्यक सुविधाओं पर होनेवाले बेतहाशा खर्च की वजह से जिले के कई निजी अस्पतालों ने अपनी आयपीडी को बंद रखते हुए केवल ओपीडी को ही शुरू किया है. ऐसा माना जा रहा था. लेकिन हकीकत यह है कि, जिले के निजी अस्पतालों द्वारा ऐसा कोई भी निर्णय नहीं लिया गया और सभी निजी अस्पतालों में ओपीडी के साथ ही आयपीडी भी शुरू है. परंतू डॉक्टरों द्वारा अस्पताल चलाने हेतु बनाये गये नियमों व शर्तों को थोडा शिथिल करने की मांग जरूर की गई है.
उल्लेखनीय है कि, भले ही पैसा कुछ अधिक खर्च हो, लेकिन इलाज सही होना चाहिए. इस बात के मद्देनजर लोगबाग निजी अस्पतालों में इलाज के लिए भरती होना पसंद करते है. परंतू मरीजों को भरती करने हेतु चलाये जानेवाले आंतररूग्ण विभाग यानी आयपीडी पर होनेवाला खर्च काफी अधिक रहने और इससे संबंधित नियम व शर्ते काफी कठोर रहने की वजह से कई निजी अस्पतालों द्वारा आयपीडी को बंद करते हुए केवल ओपीडी को ही चलाने की मानसिकता बना ली गई है और कई जिलों में इस पर अमल भी किया जा रहा है. जिसे लेकर स्वास्थ्य क्षेत्र में काफी हद तक चिंता भी जताई जा रही है. किंतु गनिमत यह भी है कि, अमरावती जिले में अब तक किसी भी निजी अस्पताल द्वारा इन वजहों के चलते अपनी आयपीडी को बंद नहीं किया गया है. जिसकी वजह से मरीजों को योग्य व समूचित उपचार मिल रहा है.

* ग्रुप प्रैक्टिस को दी जा रही प्राथमिकता
इन दिनों अलग-अलग क्लिनीक या अस्पताल चलाने की बजाय 4 से 5 डॉक्टरों द्वारा एकसाथ आकर ग्रुप बनाते हुए ग्रुप प्रैक्टिस किये जाने का प्रमाण बढ गया है. जिससे मरीजों को एक ही छत के नीचे विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होती है. वहीं संबंधित डॉक्टरों पर भी क्लिनीक या अस्पताल चलाने का पूरा खर्च एकसाथ नहीं पडता, बल्कि इस खर्च का भी विभाजन हो जाता है.
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* आयपीडी बंद करने की वजहें
ओपीडी में ही मरीजों की संख्या काफी अधिक बढ रही है. वहीं आयपीडी हेतु आवश्यक रहनेवाली सुविधाओं पर काफी अधिक खर्च करना पडता है. इसके अलावा अस्पताल चलाते समय नियमों की पूर्तता करने में कई तरह की तकलीफें व दिक्कते भी होती है. जिसकेे चलते डॉक्टर अब आयपीडी को बंद करने की मानसिकता में है.
इसी तरह आयपीडी में भरती होनेवाले मरीजोें की बढती संख्या और मरीजोें द्वारा डॉक्टरों के साथ किये जानेवाले वाद-विवाद की वजह से भी कई निजी अस्पतालों के संचालक डॉक्टरों ने आयपीडी को बंद करने का विचार किया है.

* नियमों की है सबसे बडी तकलीफ
सरकार ने अस्पताल चलाने हेतु कई नियम व शर्तें बनायी है, जो हमें भी मान्य है. किंतु नियम व शर्ते बेहद कडे व कठोर है. जिनमें कुछ हद तक शिथिलता दी जानी चाहिए. हमने अपनी समस्याओं व दिक्कतों को लेकर मनपा आयुक्त के साथ चर्चा की है.
– डॉ. मनीष राठी
अध्यक्ष, अमरावती आयएमए

* नियमों को शिथिल करना जरूरी
यदि कोई नया अस्पताल शुरू हो रहा है, तो नियमों का पालन करवाना अनिवार्य किया जाये, लेकिन पहले से चले आ रहे अस्पतालोें के लिए नये नियमों की पूर्तता करना काफी मुश्किल होता है. ऐसे में पुराने अस्पतालों के लिए नये नियमों में थोडी शिथिलता दी जानी जरूरी है.
– डॉ. संदीप दानखेडे
पूर्व सचिव, आयएमए

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