अमरावती/ दि. 20– अक्षय तृतीया यह साढे तीन मुहूर्त में से एक मुहूर्त के रूप में हिन्दू धर्म में मान्यता है. इसी अक्षय तृतीया के दिन महात्मा बसवेश्वर का जन्म हुआ था. कर्नाटक के विजापुर जिले में 1105 में महात्मा बसवेश्वर का जन्म हुआ. उस समय समाज-समाज में बडी दरारे पडी हुई थी. महिलाओं को घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं थी. पर्दा प्रथा समाज में शुरू थी.ऐसी विपरित परिस्थिति में महात्मा बसवेश्वर अपनी आयु के 12 वें वर्ष में वीरशैव लिंगायत धर्म का आचार-विचार समाज में फैलाना शुरू किया.
समाज की अनिष्ठ प्रथा, जाति भेद, लिंग भेद, अंधश्रध्दा के खिलाफ संघर्ष छेडा. समाज में जागृति निर्माण की. इसके लिए सभी महिला, पुरूष, जाति भेद भूलकर एकजुट होकर निर्णय लेना चाहिए. इस हेतु उन्होंने अनुपम मंडपम कल्पना रखी. उन्होंने वीरशैव लिंगायत धर्म का विचार और प्रचार किया. यह काफी पुरातन धर्म है. इस धर्म के भारत में 5 शक्तिपीठ है. ऐसे इन पुरातन समाज की ओर से जगत ज्योत महात्मा बसवेश्वर की जयंती हर वर्ष अक्षय तृतीया के दिन मनाई जाती है. इस वर्ष शनिवार 22 अप्रैल को उनका प्रकट दिवस मनाया जा रहा है. अमरावती के सभी समाज के महिला पुरूषों ने इस उत्सव में भाग लेना चाहिए. ऐसा निवेदन शिवसेना के पूर्व सांसद अनंत गुढे ने किया है.