फिनले मिल को शुरू करने सभी जनप्रतिनिधियों को एकजुट होकर प्रयास करने की जरूरत

1 हजार करोड का फायदा फिर भी बंद

* 400 मिल मजदूर न्याय मिलने के इंतजार में
* चार वर्ष में 16 मिल मजदूरों ने मौत को लगाया गले
अचलपुर/दि.3विदर्भ की प्रमुख कपडा मिल अचलपुर स्थित प्रसिद्ध फिनले मिल कोरोना काल से बंद है. 1,000 करोड़ रुपये का वार्षिक लाभ कमाने वाली इस मिल के बंद होने से यहां हजारों श्रमिक बेरोजगार हो गए है. सरकारी मिल बंद होने के बाद 16 श्रमिकों ने आत्महत्या कर ली है जबकि करीब 400 मिल मजदूर भी इस इंतजार में है कि क्या उन्हें न्याय मिलेगा.
उल्लेखनीय है कि आज नहीं तो कल फिनले मिल शुरू होगी, इस उम्मीद में फिनले मिल मजदूर सरकार से आस लगाए बैठे हैं लेकिन केंद्र सरकार है कि कुंभकर्णी में सोयी हुई है. इसके चलते मिल मजदूरों ने आंदोलन का हथियार उठाते हुए दो दिन तक चिमनी पर चढ़कर आंदोलन भी किया. इस आंदोलन के चलते मिल प्रशासन में खलबली मच गई. इस आंदोलन का संज्ञान लेते हुए विधायक प्रवीण तायडे ने अधिकारियों की कानखिंचाई की, तब जाकर अधिकारियों ने तीन महिने के भीतर वेतन देने का आश्वासन दिया. हालांकि, यह मिल कब शुरू होगी, यह किसी को नहीं पता है. इस मिल को शुरू करने के लिए जिले के सभी जनप्रतिनिधियों को एकजुट होकर प्रयास करने को जरूरत है.
* श्रेय के विवाद में उलझे हैं जनप्रतिनिधि
वर्ष 2009 में शुरू हुई फिनले मिल में प्रत्यक्ष रूप में वर्ष 2011 में कपड़े का निर्माण शुरू हुआ. यहां पर 1 हजार से अधिक मिल मजदूर कार्यरत थे और अप्रत्यक्ष तरीके से 2 से 3 हजार श्रमिकों को काम मिल रहा था. 4 से 5 वर्षों से काम बंद होने से बीच के समय में मिल मजदूरों का आधा वेतन ही मिल रहा था. शेष आधा वेतन बाद में देने का आश्वासन दिया गया था. लेकिन अभी तक बकाया आधा वेतन मिला नहीं है. यह मिल बंद होने के कारण कुछ मजदूरों ने आत्महत्या कर ली है. मिल मजदूरों का कहना है कि ऐसे संवेदनशील मुद्दों को लेकर प्रशासन और जनप्रतिनिधयों को योग्य विचार करना पड़ेगा. श्रेय लेने के विवाद में उलझने की जगह मानवता दिखाते हुए इस गंभीर समस्या के निराकरण पर ध्यान देना होगा.
* इन मिल मजदूरों ने की आत्महत्या
2020 से फिनले मिल के बंद होने से आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना मुश्किल हो गया. इसके चलते 16 मिल मजदूरों ने आत्महत्या कर ली. आत्महत्या करने वाले मिल मजदूरों में अंकुश निरगुले, किरण भुजाडे, सुनील कावरे, अंकित कामविसदार, आदित्य मोहोड, प्रशांत ठाकुर, नीलेश राऊत, निखिल हडोले, सुनील कोल्हापुरे, दिनेश जामुनकर, राहुल दरवणे, पीयूष वाहुलकर, विजय दाभाडे, अमित डेरे, प्रवीण लकड़े और सैयद कलीम का समावेश है.
* मजदूरों के हाथ में सिर्फ निराशा
अधिकारियों की तरफ से पहले कितने ही वर्षों से कहा जा रहा है कि मिल जल्द ही शुरू होगी और मिल मजदूरों का बकाया पैसा मिलने के साथ-साथ बोनस भी मिलेगा. परंतु वास्तविकता यहीं है कि मिल मजदूरों के हाथ में सिर्फ निराशा ही आ रही है. ऐसे में आश्वासन नहीं निर्णय की मांग को लेकर चिमनी पर चढ़कर आंदोलन किया गया. मिल मजदूर संगठन के सदस्य राजा ठाकुर ने बताया है कि इस बार पहली बार दिल्ली से पत्र भेजा गया, जिसके अनुसार तीन महीने का बकाया वेतन व बोनस दिया जाएगा.
* पूर्व राष्ट्रपति के कारण शुरू हुई थी मिल
अचलपुर में कपड़ा निर्माण उद्योग की शुरुआत 1925 में विदर्भ फिल्म लिमिटेड कंपनी के माध्यम से हुई थी. उस समय मिल में कुल 2,000 श्रमिक काम कर रहे थे. यह मिल पहली बार 1959 में बंद हुई थी. 1972 में राज्य वस्त्र निगम द्वारा मिल का अधिग्रहण करने के बाद 1974 में मिल का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया था. इसके बाद 2003 में मिल बंद हो गई. अमरावती की प्रतिभाताई पाटिल के देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनने के बाद 2008 में फिनले मिल की आधारशिला रखी गई थी. यह नई मिल करीब 326 करोड़ रुपये की लागत से बनी है.

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