अमरावती

शहरों का सर्वांगिन विकास अधिक पारदर्शी व सूक्ष्म पध्दति

जीआयएस पर आधारित प्रस्ताव को मिली मंजूरी

अमरावती/दि.31 – शहरों का सर्वांगिन विकास हेतू पारित किये गए प्रस्ताव की अंमलबजावणी अब अधिक पारदर्शी व सूक्ष्म पध्दति से की जाएगी तथा अंमलबजावणी के प्रत्येक स्तर पर विकास प्रस्ताव की जानकारी उपलब्ध होगी. जिसके लिए राज्य व्दारा शहरों के लिए तैयार किये गये विकास प्रस्ताव यह भौगोलिक जानकारी (जीआयएस) प्रणाली पर आधारित किये जाएंगे. नगरविकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है. नगर विकास विभाग ने जीआयएस पर आधारित प्रस्ताव के लिए तज्ञ व पात्र संस्थाओं की नियुक्ति कर उनके चयन के सूची को अंतिम टच देकर प्रसिध्द किया है. इस प्रकार का निर्णय लेने वाला महाराष्ट्र यह देश का पहला राज्य ठहरा है.
महाराष्ट्र प्रादेशिक नियोजन तथा नगर रचना अधिनियम 1966 के अनुसार नगरपंचायत, नगर परिषद व कोई भी नियोजन प्राधिकरण की स्थापना के दिन से तीन वर्ष के भीतर उनके क्षेत्र के विकास हेतू विकास प्रारुप तैयार कर वह प्रस्ताव सरकार की ओर मंजूरी के लिए भेजना बंधनकारक रहता है. आज तक यह डीपी पारंपारिक पध्दति से नक्शे पर आधारित बनाये जाते थे. इसलिए उनको अंमलबजावणी का जायजा लेने में कई प्रकार की मर्यादाएं होती थी. जिसके चलते अत्याधुनिक तंत्रज्ञान का उपयोग कर जीआयएस आधारित डीपी तैयार करने का निर्णय राज्य सरकार ने जनवरी 2019 में लिया था. जीआयएस आधारित रहने वाले विकास प्रस्ताव की अंमलबजावणी की हरबार उचित जानकारी रखना संभव नहीं होगा. इस तरह की डीपी के कारण केवल जमीन ही नहीं तो प्रत्यक्ष आधारभूत स्तर की प्रणाली तैयार होेगी, इसके चलते अंमलबजावणी का जायजा लेना सरकार तथा स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं को अधिक सरल और सहज संभव होने वाला है, ऐसा एकनाथ शिंदे ने बताया. विश्व के विकास का व्यवस्थापन, प्रकल्प व्यवस्थापन, नागरी व्यवस्थापन इतना ही नहीं तो जलापूर्ति, नालियां, रोड जैसे मूलभूत सुविधाओं का प्रस्ताव तेैयार करना भी सुविधाजनक होगा.

समय व खर्च की बचत

अधिनियम की तरतुद के अनुसार विकास योजना तैयार करने का काम पूर्ण करने के लिए साधारणत: साडेतीन वर्ष का समयावधि लगता है. लेकिन इस योजना के अनुसार यह काम दो वर्ष की समयावधि में पूर्ण करने का नियोजन होेने के कारण समय व खर्च की बचत ही होगी, ऐसा शिंदे ने कहा. राज्य में बीते तीन-चार वर्ष में नए रुप से स्थापन हुए नगर परिषद, नगरपंचायत ऐसे कुल 96 शहरों का विकास योजना प्रस्ताव अब जीआयएस आधारित तैयार किया जाएगा.

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