अमरावती से पासिंग किये गये तमाम ट्रक अरुणाचल के
चोरी के ट्रकों के पासिंग मामले की जडें फैली हैं काफी दूर तक
* फर्जी नामों पर तैयार किये गये ट्रकों के जाली दस्तावेज
* नायब तहसीलदार व सेतू कार्यालय से कराये गये एफिडेविट
अमरावती/दि.4 – दो दिन पूर्व स्थानीय आरटीओ कार्यालय में इस समय अच्छा खासा हडकंप मच गया था, जब दूसरे राज्यों से चोरी करके लाये गये ट्रकों की अमरावती आरटीओ कार्यालय के जरिए नियमबाह्य तरीके से पासिंग किये जाने का मामला सामने आया था. साथ ही यह भी पता चला था कि, इस मामले में नवी मुंबई के एटीएस ने अमरावती आरटीओ के तीन अधिकारियों को गिरफ्तार किया था. जिनमें उपप्रादेशिक परिवहन अधिकारी सिद्धार्थ ढोके, सहायक परिवहन निरीक्षक गणेश वरुठे व सहायक मोटर वाहन निरीक्षक भाग्यश्री देशमुख का समावेश था. इसके साथ ही यह जानकारी भी सामने आयी थी कि, चोरी के ट्रकों की फर्जी तरीके से पासिंग कराने वाले गिरोह ने इन आरटीओ अधिकारियों के साथ मिलीभगत करते हुए कई ट्रकों की अमरावती सहित नागपुर के आरटीओ कार्यालय से रजिस्ट्रेशन व पासिंग करवाई थी. ऐसे में अब नवी मुंबई पुलिस का दल इस बात की पडताल कर रहा है कि, अमरावती आरटीओ कार्यालय से जिन 6 ट्रकों की फर्जी तरीके से रजिस्ट्रेशन व पासिंग की प्रक्रिया पूर्ण कराई गई. उनका मूल नंबर क्या था और उन ट्रकों के मूल मालिक कौन थे. साथ ही उन ट्रकों को कहां से चुराकर अमरावती लाया गया था.
इस संदर्भ में दैनिक अमरावती मंडल ने भी स्थानीय आरटीओ कार्यालय के अधिकारियों तथा आरटीओ में डेरा जमाये बैठे नवी मुंबई पुलिस के दल से संपर्क करते हुए इस मामले से जुडी तमाम जानकारियों को हासिल किया. जिसके जरिए पता चला कि, अमरावती आरटीओ कार्यालय से चोरी के कुल 7 ट्रकों की फर्जी दस्तावेजों के जरिए पासिंग की गई थी और इन ट्रकों का नये सिरे से रजिस्ट्रेशन करते हुए उनके जाली दस्तावेज अमरावती आरटीओ कार्यालय से बनाये गये थे. इसके तहत पता चला कि, एआर-05/ए-497 यह मूल क्रमांक रहने वाले ट्रक को अमरावती लाकर उसकी एमएच-27/बीएस-8720 इस नये नंबर के साथ रजिस्ट्रेशन व पासिंग किया गया. इस ट्रक के मालिक के तौर पर आलोक सुरेश राजपुत (मसानगंज) का नाम दर्शाया गया. साथ ही इस ट्रक की पासिंग के लिए मो. इकबाल मो. फारुख (अमरावती) ने विगत 20 अगस्त को हबीब नगर स्थित सेतू कार्यालय से एफिडेवीट बनवाया था. इसके साथ ही एआर-16/ए-2391 क्रमांक रहने वाले ट्रक की पासिंग एमएच-27/बीएक्स-9047 क्रमांक के साथ की गई. पहले इस ट्रक की फिटनेस व पासिंग का सर्टीफिकेट अरुणाचल प्रदेश के अजय हरिओम (माधेपुर, हरियाणा) के नाम पर थी. जिसे अमरावती से पासिंग करवाने के लिए 5 दिसंबर को सै. फहीम सै. साबिर (गुलिस्ता नगर) के नाम पर नायब तहसीलदार घोडेस्वार के कार्यालय से एफिडेवीट हासिल किया गया था.
इसी तरह अरुणाचल प्रदेश से पासिंग व रजिस्ट्रेशन रहने वाले ट्रक क्रमांक एचपी-38/जी-8781 को अमरावती से एमएच-27/बीएक्स-8357 इस नये रजिस्ट्रेशन क्रमांक के साथ पासिंग की गई. यह ट्रक इससे पहले हिमाचल प्रदेश में रहने वाले एक व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड था. जिसे अमरावती में अंकुश केशव गोडखे (जनुना, पथ्रोट) के नाम पर रजिस्टर्ड दिखाया गया. इस व्यक्ति के पते को देखकर ही गडबडी का अंदाजा हो जाता है. क्योंकि जनुना और पथ्रोट 2 अलग-अलग गांव है तथा दोनों गांवों का एक-दूसरे से कोई वास्ता नहीं है. इस ट्रक की पासिंग के लिए शेख अकरम शेख रहेमान (जाकीर कालोनी) नामक व्यक्ति के नाम पर 27 जून 2023 को सेतू कार्यालय से एफिडेवीट हासिल किया गया था.
इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मुजफ्फर नगर से चुराये गये ट्रक क्रमांक एआर-34/7029 को अमरावती लाकर एमएच-27/बीएक्स-8966 इस नये नंबर के साथ रजिस्टे्रशन व पासिंग दी गई. यह ट्रक अरुणाचल प्रदेश में रहने वाली किसी अंसार अरमा इदरीस अरमा (पक्के केसांग, जि. लेंबी) के नाम पर पंजीकृत था. जिसके लिए इस नाम का कोई व्यक्ति अमरावती या विदर्भ में कभी आया ही नहीं. लेकिन इसके बावजूद इसी व्यक्ति के नाम पर नायब तहसीलदार घोडेस्वार के कार्यालय से 11 अक्तूबर 202 एफिडेवीट जारी हो गया.
इसी तरह अरुणाचल प्रदेश के किसी अशोक दूबे के नाम पर रहने वाले दो ट्रकों को अमरावती आरटीओ से शिवाजी आसाराम गिरी (पथ्रोट जनुना) के नाम पर नये रजिस्ट्रेशन क्रमांक दिये गये. जिसके तहत एआर-20/ए-1302 को एमएच-27/बीएक्स-1703 तथा एआर-24/0495 को एमएच-27/बीएक्स-8701 क्रमांक के साथ रजिस्ट्रेशन व पासिंग दी गई. इसके साथ ही जोधपुर में रहने वाले किसी गोपालराम मुकनाराम के नाम पर रहने वाले ट्रक की पासिंग पहले अरुणाचल प्रदेश में एआर-20/इ-5900 क्रमांक के साथ की गई थी और फिर उसे अमरावती आरटीओ से एमएच-27/बीएक्स-8943 क्रमांक के साथ नया रजिस्ट्रेशन व पासिंग फिटनेस शिवाजी आसाराम गिरी के नाम पर जारी किया गया. इन तीनों ट्रकों को अपने नाम पर कराने हेतु तथाकथित शिवाजी आसाराम गिरी 11 अक्तूबर व 24 नवंबर को कथित रुप से अमरावती आया था और उसने जयवंत देशमुख नामक मुद्रांक विके्रता से स्टैम्प पेपर खरीदते हुए सेतू कार्यालय के जरिए इन ट्रकों को अपने नाम पर करवाने हेतु एफिडेवीट करवाये थे.
इन तमाम मामलों को देखते हुए कहा जा सकता है कि, अलग-अलग राज्यों से चुराकर लाये गये ट्रकों को अमरावती आरटीओ कार्यालय लाकर उनके फर्जी दस्तावेज बनवाने एवं फिर इन दस्तावेजों के आधार पर इन ट्रकों की परभारे विक्री कर देने के इस मामले की जडे काफी दूर तक फैली हुई है. साथ ही इसमें आरटीओ अधिकारियों के साथ-साथ अन्य कुछ महकमों के अधिकारियों या कर्मचारियों की मिलीभगत से इंकार भी नहीं किया जा सकता. हालांकि फिलहाल नवी मुंबई की पुलिस ने अमरावती आरटीओ के तीन अधिकारियों सहित चोरी के ट्रकों को इधर से उधर रहने वाले गिरोह के मुख्य सरगना और उसके कुछ सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया है. साथ ही स्थानीय आरटीओ कार्यालय में एजेंट यानि दलाल के तौर पर काम करने वाले कई लोग भी इस समय पुलिस के रडार पर है. ऐसे में उम्मीद जतायी जा सकती है कि, बहुत जल्द इस मामले में गिरफ्तार होने वाले आरोपियों की संख्या बढ भी सकती है.
* फर्जी दस्तावेजों के आधार पर फाइनांस भी उठाया गया
इस बीच यह जानकारी भी सामने आयी कि, चोरी के ट्रकों को नये रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ पासिंग देते हुए उन्हें दूसरे शहरों में बेचकर पैसा कमाने के साथ-साथ इन ट्रकों के फर्जी दस्तावेजों को दिखाकर निजी फाइनांस कंपनियों से जमकर फाइनांस भी उठाया गया. उल्लेखनीय है कि, निजी फाइनांस कंपनियां केवल दस्तावेजों को ही देखती है और दस्तावेजों की पडताल करने के साथ ही उनकी वैधता को जांचने के बाद ही किसी भी वाहन पर फाइनांस देती है. ऐसे में चोरी के ट्रकों का फर्जी तरीके से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करते हुए इससे संबंधित दस्तावेज दिखाकर निजी फाइनांस कंपनियों से फाइनांस उठाया गया. जिसके लिए फाइनांस कंपनी के संबंधित ब्रोकरों को भी अच्छा खासा कमिशन दिया गया.
* फर्जी नाम व पतो का लिया गया सहारा
पता चल है कि, अमरावती आरटीओ से ट्रकों की पासिंग करवाने हेतु शिवाजी गिरी, आसाराम गिरी, अंकुश गोडखे, मो. इकबाल मो फारुख, सै. फहीम सै. साबिर, शेख अकरम शेख रहेमान जैसे नामों का सहारा लेकर एफिडेवीट दाखिल किये गये. जिसमें से गिरी व गोडखे के नाम पर बने एफिडेवीट हेतु मुद्रांक विक्रेता जयवंत देशमुख से स्टैम्प पेपर खरीदकर नायब तहसीलदार घोडेस्वार के नाम के हस्ताक्षर व मुहर लगाये गये. वहीं मो. इकबाल व सै. साबिर के नाम पर बने एफिडेवीट शहर के हबीब नगर परिसर स्थित सेतू केंद्र से बनवाये गये. लेकिन इन लोगों के जो पते दर्शाये गये है, जब उन पतों पर जांच दल द्वारा जाकर जांच पडताल की गई, तो पता चला कि, उन पतों पर इन नामों वाला कोई व्यक्ति नहीं रहता. जिससे स्पष्ट होता है कि, चोरी के ट्रकों की फर्जी तरीके से पासिंग करवाते हुए उन ट्रकों के जाली दस्तावेज तैयार करवाने हेतु जिन नामों व पतों का सहारा लिया गया, वे भी पूरी तरह से फर्जी थे और इन फर्जी नाम व पतों को दर्शाने के लिए फर्जी तरीके से उनके आधार कार्ड भी बनवाये गये थे.
* आरटीओ कार्यालय में रहस्यमय चुप्पी
इस पूरे गोरखधंधे के उजागर होने और इस मामले में आरटीओ के तीन अधिकारियों को मुंबई पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये जाने के चलते स्थानीय आरटीओ कार्यालय में अच्छा खासा हडकंप मचा हुआ है. हालांकि कोई भी इस बारे में किसी भी तरह की बात नहीं कर रहा, बल्कि हर कोई इस पर बात करने से बचना चाह रहा है. ऐसे में आरटीओ कार्यालय में कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों के बीच चलने वाली खुसुर-फुसुर के साथ आरटीओ कार्यालय मेें रहस्यमय चुप्पी फैली दिखाई दे रही है. साथ ही गत रोज आरटीओ कार्यालय की पहली मंजिल पर स्थित विशालकाय कॉरिडोअर में लगभग पूरी तरह से सन्नाटा फैला हुआ था. जबकि वहां पर हमेशा ही आरटीओ में कार्यरत दलालों व एजेंटों की अच्छी खासी भीडभाड रहती है. इसके अलावा इस कॉरिडोअर में बनी 33 खिडकियों के भीतर भी इक्का दुक्का स्थानों पर ही कर्मचारी काम करते नजर आये और शेष खिडकियों पर ‘बंद’ के बोर्ड लटक रहे थे.