सामान्यों के साथ ही 12 एचआईवी संक्रमितों ने भी किया रक्तदान
ब्लड बैंक में एक वर्ष दौरान 126 युनिट रक्त पाया गया दूषित
अमरावती /दि.15– गंभीर स्थिति में रहनेवाले मरीज की जान बचाने के लिए रक्तदान बेहद महत्वपूर्ण होता है. परंतु मरीज को रक्त चढाने से पहले वह रक्त सुरक्षित है अथवा नहीं इसकी जांच करना बेहद जरूरी होता है. जिले की सरकारी ब्लड बैंक में विगत एक वर्ष के दौरान 10 हजार 155 यूनिट रक्त संकलित हुआ. जिसमें से 126 यूनिट रक्त दूषित पाया गया. विशेष उल्लेखनीय यह भी रहा कि 12 एचआयवीग्रस्तों द्बारा भी रक्तदान किए जाने की जानकारी सामने आयी. हालांकि इन सभी दूषित रक्त यूनिट को अस्पताल प्रशासन द्बारा तांत्रिक तरीके से नष्ट कर दिया गया.
बता दे कि कई मरीजों को इलाज के दौरान रक्त की जरूरत पडती है. ऐसे मरीजों को समय पर रक्त उपलब्ध करवाने हेतु जिले में सरकारी ब्लडबैंक के साथ ही कुछ निजी ब्लड बैंक भी कार्यरत है. इर्विन अस्पताल की ब्लड बैंक जिले की एकमात्र सरकारी ब्लड बैंक है. इर्विन अस्पताल में भी बडे पैमाने पर हादसाग्रस्त व सिकलसेल ग्रस्त मरीज भर्ती होते है. ऐसे में इन मरीजों को तत्काल रक्त उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी इर्विन अस्पताल पर ही होती है. ऐसे में रक्तदान करने के बाद रक्त सुरक्षित है अथवा नहीं इसकी जांच सबसे पहले की जाती है.
* 10155 में से 126 यूनिट रक्त निकला दूषित
जिला सामान्य अस्पताल की ब्लड बैंक यह जिले की एकमात्र सरकारी ब्लड बैंक है. जहां पर एक साल की कालावधि के दौरान 10 हजार 155 यूनिट रक्त संकलित किया गया. इस संकलित रक्त का परिक्षण करने पर 126 यूनिट ट्रक दूषित पाया गया.
* यह रही दूषित रक्त की वजह
सरकारी ब्लड बैंक में विगत एक वर्ष के दौरान संकलित रक्त की जांच में 12 रक्तदाताओं का रक्त एचआईवी पॉजिटीव पाया गया. वहीं 20 यूनिट रक्त में हेपेटाईटीस-बी व 94 यूनिट रक्त में हेपेटाईटीस-सी का विषाणु पाया गया. जिसके चलते इन रक्त यूनिट को दूषित करार देते हुए नष्ट कर दिया गया.
* रक्तदान करते समय सतर्कता जरुरी
रक्तदान से पहले रक्तदाता निरोगी है अथवा नहीं, इसकी जांच करना बेहद जरुरी होता है. रक्तदाता बीमार रहने पर रक्तदान करना टालना चाहिए. वहीं रक्त सुरक्षित है अथवा नहीं इसकी जांच करने के बाद ही वह रक्त संबंधित मरीजों को चढाने हेतु देना चाहिए.
रक्तदान करते समय दिया जा रहा रक्त दूषित तो नहीं इसकी पडताल करना बेहद आवश्यक होता है. इर्विन में रक्त संकलन करने के बाद उस रक्त की एचआईवी, मलेरिया, हेपेटाईटीस-बी व सी जैसे विषाणुओं के संदर्भ में जांच की जाती है. साथ ही दूषित रक्त को नष्ट करते हुए सुरक्षित रक्त ही मरीजों को दिया जाता है.
– डॉ. आशीष वाघमारे,
ब्लड बैंक प्रमुख, इर्विन अस्पताल.