अमरावती

शहर में अमरावती उत्सव मेला खुलने के आसार कम

उत्सव मेला में काम करने वाले कामगारों पर भूखमरी की नौबत

प्रतिनिधि/ दि.२२
अमरावती– मनोरंजन का साधन रहने वाले उत्सव मेला और सर्कस पर भी कोरोना का ग्रहण देखने को मिल रहा है. कोरोना महामारी के चलते घोषित किए गए लॉकडाउन की वजह से जहंा व्यापारिक क्षेत्र पर परिणाम हुआ है. उसी तरह आम जनजीवन भी प्रभावित हुआ है. वहीं कोरोना महामारी ने लोगों का मनोरंजन करने के लिए शहर के अलग-अलग हिस्सों सहित बाहरी जिलों में लगने वाले उत्सव मेले और सर्कस को भी अपनी चपेट में ले लिया है. बीते तीन माह से लॉकडाउन घोषित रहने से और अब धीरे-धीरे लॉकडाउन अनलॉक होने पर भी मेला और सर्कस लगाने वालों की मुसीबतें कम नहीं हो रही है. मेला व सर्कस का व्यवसाय पूरी तरह से ठप्प रहने से यहां पर काम करने वालों कामगारों पर भूखमरी की नौबत आन पडी है. लेकिन प्रशासन और सरकार की ओर से मेला व सर्कस चलाने वालों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. यहां बता दे कि, अमरावती जिला ही नहीं बल्कि पूरा राज्य कोरोना संक्रमण की चपेट में है. कोरोना महामारी ने आर्थिक रुप से हर क्षेत्र की कमर तोडने का काम किया है. सबसे बुरा हाल तो उत्सव मेला लगाने वालो का है. बीते ३० वर्षो से अमरावती उत्सव मेला का आयोजन करने वाले रहिम खान हाजी युसूफ खान ने बताया कि, अमरावती शहर सहित जिले के बहिरम, कौडण्यपुर, सालबर्डी, सांवगा विठोबा के अलावा राज्य के नागपुर, चंद्रपुर, पढंरपुर जैसे अनेक शहरों में उत्सव मेला का आयोजन किया जाता है. खासतौर पर विशेष त्यौहारो के दौरान ही यह उत्सव मेला आयोजित होता है. लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते उत्सव मेला के आयोजन पर भी पानी फिर गया है. उत्सव मेला का आयोजन करें तो कैसे करे यह भी अब समझ नहीं आ रहा है. इस बार तो उत्सव मेला आयोजित होगा या नहीं इस पर भी सवालिया निशान है. अमरावती शहर सहित जिलें में तेजी से बढ रहे कोरोना संक्रमितों के आंकडों को देखते हुए इस बार उत्सव मेले का आयोजन होने के आसार जरा भी नजर नहीं आ रहे है. उत्सव मेले का समान घर में बने कमरों में धूल खाते हुए पडा हुआ है. आज हालात यह है कि, ६५ कामगारों सहित घर के २७ सदस्यों को मिलाकर ९२ लोगों को भूखमरी की नौबत आन पडी है. इसलिए प्रशासन और सरकार ने हमारे बारे में भी सोचना चाहिए. अन्यथा हमारी मुसीबते बढ सकती है.

ग्रीन जोन में दे शुरु करने की अनुमति
कोरोना महामारी का प्रकोप धीरे-धीरे बढ रहा है. ऐसे में जिन क्षेत्रों में कोरोना का प्रकोप नहीं है और वह क्षेत्र ग्रीन जोन में आता है वहां पर उत्सव मेला शुरु करने की अनुमति प्रशासन ने देनी चाहिए. प्रशासन की गाइडलाइन व नियमों का पूरी तरह से पालन किया जाएगा. लेकिन हमारे बारे में प्रशासन की ओर से कोई भी सोच विचार नहीं किया जा रहा है. जिसके चलते हमारी दिक्कते बढ गई है.

आर्थिक मदद की दरकार
उत्सव मेला को शुरु करने की अनुमति मिलने के आसार प्रशासन से काफी कम नजर आ रहे है. इस विपदा की घडी में उत्सव मेले में काम करने वाले कामगारों पर भूखमरी की नौबत आन पडी है. जैसे तैसे हम सभी अपना गुजर बसर कर रहे है. इसलिए सरकार ने कोरोना की स्थिति पर जब तक नियंत्रण नहीं पाया जाता तब तक हमें राहत देने के लिए आर्थिक मदद की जानी चाहिए.

आकाश झूलों सहित अन्य मनोरंजक खेलों का मजा कोरोना ने किया किरकिरा
वर्तमान दौर में मनोरंजन का जरीया रहने वाला उत्सव मेला भी इस बार कोरोना की भेंट चढ गया है. आकाश झूलों सहित अन्य मनोरंजक खेलों का लुफ्त उठाने का मौका शहरवासियोंं को इस बार नहीं मिल पाएगा. अक्सर त्यौहारों के दिनों में उत्सव मेले का आयोजन शहर के सायंसकौर मैदान पर होता है. लेकिन इस बार भीड  न हो इसके लिए उत्सव मेले के आयोजन के आसार काफी कम नजर आ रहे है. चांद तारा, नया झूला, क्रॉस व्हिल, ऑक्टोपस झूला, ड्रेगन ट्रेन, डे्रगन झूला, मौत का कुंआ सहित खान-पान व खरीदी व मनोरंजन का जो मजा मेले में आता है वह इस बार देखने को नहीं मिलेगा.

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