बारिश के दिनों में अंबा नाले का पानी नागरिकों के घरों में
मनपा की साफ-सफाई का कोई मतलब ही नहीं - प्रदीप बाजड़
अमरावती/प्रतिनिधि दि.21 – शहर के हृदय स्थल का अंबा नाला प्रति वर्षानुसार इस वर्ष भी नागरिकों के लिये सिर दर्द बना है. महानगरपालिका की ओर से अब तक नाले की साफ सफाई पर करोड़ों रुपए खर्च किये गये है फिर भी स्थिति जस की तस बनी हुई है. सफाई का मार्ग पूरी तरह से सुकर न होने से साफ सफाई करने में मनपा असक्षम होते दिखाई दे रही है. अंबादेवी मंदिर के पास बनाये गये नाले के स्लॅप के असंख्य खड़े किये गये पिल्लर से अटककर पानी समीप की बस्ती में व आवाजाही के रास्ते पर आने के कारण नागरिकों के लिये सिरदर्द बना हुआ है. इसका मनपा व्दारा तुरंत नियोजन कर नागरिकों की परेशानी को दूर की जाये, अन्यथा अतिवृष्टि के दौरान मनपा व्दारा की गई साफसफाई को कोई महत्व नहीं होगा, ऐसे स्पष्ट विचार शिवसेना के सहसंपर्क प्रमुख प्रदीप बाजड़ ने व्यक्त किये.
उन्होंने कहा कि बारिश के दिनों में शहर परिसर में बारिश होने पर समीपस्थ वडाली तालाब पूरी तरह से भर जाता है और तालाब भर जाने के बाद बहने वाला पानी शहर का बारिश का पानी अंबानाला से बहने के कारण नाला लबालब हो जाता है. लेकिन ऐसे समय पानी का कचरा, किचड़ पूरी तरह से न बहते हुए अंबा नाले पर हुए निर्माण कार्य के पिल्लरों पर अटकता है, अतिवृष्टि के समय नाले से होने वाला पानी का प्रवाह नाले के दोनों ओर से होने के कारण बहने वाला पानी नागरिकों की बस्ती व आवाजाही के मार्ग पर बहते दिखाई देता है. जब तक नाले के बाढ़ का पानी कम नहीं होता, तब तक वह पानी जमा होने से नागरिकों की भारी समस्या का सामना करना पड़ता है.
अंबा नाले के पिल्लर के कारण नागरिकों का सिरदर्द कम होने व धोखादायक समस्याएं हल करने के लिये शिवसेना के पूर्व नगरसेवक प्रदीप बाजड ने 21 अप्रैल 2014 को मनपा में शिकायत दाखल की थी. जिसकी दखल मनपा व्दारा न लिये जाने से बाजड ने फिर से 20 जून 2015 को स्मरण पत्र दिया था. लेकिन अब तक प्रशासन व्दारा इस मामले की ओर कोई ध्यान नहीं दिया. बारिश के दिनों में अचानक हुई अतिवृष्टि से काफी नुकसान होने या जीवित हानि होने की संभावना होती है.मनपा व्दारा इस गंभीर परिस्थिति का गंभीरता से विचार कर समस्या का निवारण करने की मांग प्रदीप बाजड़ ने निवेदन सौंपकर की है.