अमरावतीमहाराष्ट्र

अंबाबरवा अभयारण्य में 15 बाघों सहित 22 तेंदुओं का अधिवास

संग्रामपुर/दि.30– बाघों की आबादी को नियंत्रित और संरक्षित करने के लिए 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के रुप में मनाया गया है. आदिवासी बहुल संग्रामपुर तहसील के लिए यह दिन खास है, क्योंकि इस तहसील के सातपुडा पर्वत के तलहटी में बैठे अंबाबरवा अभयारण्य को 21 अप्रैल 1997 को जलगांव जामोद क्षेत्रीय डिवीजन से मेलघाट टाइगर रिजर्व में शामिल किया गया था.
वर्तमान में यह अभयारण्य 15 बाघों का घर है. बाघ को जंगल का राजा कहा जाता हैं. दुनिया भर में बाघों की संख्या दिन ब दिन कम होती जा रही है. इसलिए इस जानवर का उचित संरक्षण और इसकी आबादी बढाना आवश्यक है. अंबाबरवा अभयारण्य महाराष्ट्र सहित देशभर से पर्यटकों को आकर्षित करता है.

इस अभयारण्य में ट्रैप कैमरों के माध्यम से विभिन्न जंगली जानवरों को रिकॉर्ड किया गया है. बताया गया है कि, अंबाबरवा अभयारण्य में ट्रैप कैमरों ने 22 तेंदूओं को कैद किया है. यहां तेंदूआ, भालू, गावा, सांभर, भेलकी, लंगूर, सियाल, भैंस, नीलगाय, जंगली सूअर, बंदर, जंगली मुर्गी, चीतल, जंगली खरगोश, मोर, खरगोश, खर, सियार, भेडिया सहित विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों से गुलजार है. इसलिए प्रकृति से घिरे इस क्षेत्र में वन पर्यटन को काफी संभावनाएं मिल रही है.

* 53 हजार 713 पर्यटकों का भ्रमण
– वर्ष 2019-20 से मई 2024 की अवधि में 52 हजार 713 पर्यटकों ने जंगल सफारी एवं वन पार्क का भ्रमण किया है. पिछले 6 वर्षों में पर्यटकों से 14 लाख 92 हजार 547 रुपए का राजस्व एकत्र किया गया है. बाघ के साथ-साथ घाटी में 22 तेंदूओं का निवासस्थान प्रकृति का काव्य है. सातपुडा पर्वत अपनी महिमा के आलोक में खडा है.
– इस पर्वत श्रृंखला में अंबाबरवा अभयारण्य में जंगली जानवरों के साथ-साथ पक्षियों की चहचहाहट पर्यटकों का ध्यान आकर्षित कर रही है.

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