भगवान बालाजी के जयकारों से गूंजायमान हुई अंबानगरी
जलविहार यात्रा में बडी संख्या में शामिल हुए भक्तगण
* व्यंकटेश बालाजी मंदिर में दिनभर चले धार्मिक अनुष्ठान
अमरावती/दि.22– शहर के हृदयस्थल स्थित श्री व्यंकटेश बालाजी भगवान के मंदिर में बुधवार तडके सुप्रभात मंगला आरती से ब्रह्मोत्सव की शुरुआत हुई. मंदिर में भक्तों की भीड उमडी थी. वेंकटेश बालाजी के जयकारों से संपूर्ण परिसर गूंजायमान हुआ. तडके 5 बजे सुप्रभात मंगला आरती से धार्मिक समारोह की शुरुआत हुई. शाम 7 बजे भगवान बालाजी का जलविहार निकला जो नगर भ्रमण पश्चात रात 10 बजे मंदिर पहुंचा. जलविहार यात्रा में भारी संख्या में भक्तों ने हिस्सा लिया.
यहां बता दे कि, विगत शनिवार से रोज मंदिर में धार्मिक आयोजन शुरू है. गुरुवार 22 फरवरी तक चलने वाले इस ब्रह्मोत्सव में दक्षिण भारत से यहां पहुंचे आचार्यो के मंत्रोच्चार तथा वाद्ययंत्रों से शुरु हुए धार्मिक अनुष्ठान में सुबह से ही भक्तों ने अपनी उपस्थिति दर्शाई थी. भाविकों ने पुष्पअर्चना के साथ भगवान के अभिषेक में हिस्सा लिया. बुधवार की सुबह सुप्रभात मंगल आरती से कार्यक्रम की शुरुआत हुई. पश्चात नित्य आराधना वेदपाठ, हवन के पश्चात पालकी निकली जो परिसर में परिक्रमा करने के पश्चात मंदिर में पहुंची. सुबह हवन, पूजन के बाद निकली पालकी के बाद भगवान का अभिषेक हुआ. पूजा-अर्चना तथा आरती के पश्चात गोष्टीप्रसाद का आयोजन किया गया.
6 दिवसीय इस धार्मिक समारोह की शुरुआत तडके 5 बजे से हुई, जो सुबह 11.30 बजे तक चलने पश्चात दोपहर 4.30 बजे से हवन तथा वेदपाठ कर पुन: शुरुआत हुई. इस अवसर पर भक्तों की भारी संख्या में उपस्थिति थी.
भगवान श्री वेंकटेश बालाजी का ब्रह्मोत्सव श्री रामानुज स्वामीजी के सानिध्य में तिरुपति एवं दक्षिण भारत के सुप्रसिद्ध विद्वतजनों के आचार्यतत्व में हो रहा है. दोपहर 4.30 बजे से हवन, पूजा, वेदपाठ, आरती के पश्चात पालकी यात्रा मंदिर से होते हुए रवि स्वीट कॉर्नर, खत्री कम्पाउंड, प्रिया टॉकीज, जयस्तंभ चौक, सरोज चौक, बापट चौक, प्रभात टॉकीज मार्ग से होते हुए साबनपुरा चौकी, धनराज लेन, सक्करसाथ, जवाहर गेट से होते हुए पुन: सरोज चौक, चित्रा चौक, जुना कॉटन मार्केट चौक होते हुए बालाजी मंदिर पहुंची. इस अवसर पर जगह-जगह भक्तों ने रथ में विराजे भगवान बालाजी की पूजा-अर्चना की. जगह-जगह भक्तों को प्रसाद, शीतपेय, दूध का वितरण किया गया. मंदिर पहुंचने के बाद मंत्रोच्चार के साथ देवताओं का आवाहन किया गया. नित्य आरती के पश्चात रात दस बजे तक चले धार्मिक समारोह के पश्चात शयन आरती की गई.