अमरावतीमहाराष्ट्र

चुनावी धामधूम के बीच 66 किसानों ने लगाया मौत को लगे

120 दिनों 118 किसान आत्महत्याएं

अमरावती/दि.15– विगत मार्च माह से अमरावती जिले में लोकसभा चुनाव की धामधूम शुरु हुई और चुनाव प्रचार में प्रत्येक राजनीतिक दल व प्रत्याशी द्वारा पानी की तरह पैसा बहाया गया. वहीं दूसरी ओर मार्च व अप्रैल माह के 61 दिनों के दौरान अमरावती जिले में करीब 66 किसानों ने फसलों की बर्बादी और सिर पर बढते कर्ज के बोझ की वजह से उपजी आर्थिक तंगी से परेशान होकर अपने ही हाथों मौत को लगे लगा लिया. लेकिन दुनिया का अन्नदाता कहे जाते किसानों की आत्महत्याओं की ओर सरकार, प्रशासन व राजनीतिज्ञों का कोई ध्यान नहीं है. साथ ही इस गंभीर समस्या को लेकर कहीं कोई चर्चा तक नहीं हुई. यह अपने आप में बेहद गंभीर स्थिति है.

यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि, जनवरी से अप्रैल माह के दौरान 120 दिनों में अमरावती जिले में 118 किसानों द्वारा मौत को गले लगा लिया गया है. प्राकृतिक आपदा, अकाल, फसलों की बर्बादी, साहूकारों सहित बैंकों के कर्ज, कर्ज वसूली के तगादे, बच्चों की पढाई-लिखाई व विवाह के खर्च तथा बीमारी पर होने वाले खर्च जैसी विभिन्न वजहों से तंग आकर किसानों द्वारा आत्महत्या की जा रही है. विशेष उल्लेखनीय यह है कि, अमरावती जिले में मार्च माह के दौरान ही करीब 40 किसानों द्वारा आत्महत्याएं की गई. यह एक माह के दौरान होने वाली किसान आत्महत्याओं की सर्वाधिक संख्या रही, जो अमरावती जिले के माथे पर बदनुमा दाग की तरह है. वहीं दूसरी ओर मार्च माह के दौरान जिला प्रशासन चुनाव की तैयारी में तथा जनप्रतिनिधि व राजनीतिक दल अपनी-अपनी राजनीति में व्यस्त रहे. जिसके चलते दुनिया का अन्नदाता कहे जाते किसानों की ओर किसी का भी ध्यान नहीं गया.

राज्य में सर्वाधिक किसान आत्महत्याएं अमरावती विभाग में हो रही है. साथ ही अमरावती विभाग में सर्वाधिक किसान आत्महत्याएं अमरावती जिले में हो रही है. सरकार द्वारा किसान आत्महत्याओं को रोकने हेतु कई तरह की योजनाएं चलाई जाती है, लेकिन ऐसी योजनाओं का लाभ गरीब एवं जरुरतमंद किसानों को मिलने की बजाय ‘धनबलियों’ को मिलता है. वहीं दूसरी ओर कृषि उपज को गारंटी मूल्य भी नहीं मिलने की वजह से किसानों के हाथ में लागत मूल्य भी नहीं आता. जिसके चलते किसानों के संघर्ष पर निराशा हावी हो जाती है और जिले के किसान आसमानी व सुल्तानी संकट का शिकार होते है.

* जिले में अब तक 5294 किसान आत्महत्या
स्थानीय जिलाधीश कार्यालय में वर्ष 2001 से किसान आत्महत्याओं की जानकारी दर्ज करनी शुरु की गई. तब से लेकर अप्रैल 2024 तक करीब 5294 किसानों ने अपने ही हाथों मौत को गले लगाते हुए आत्महत्या कर ली. इसमें से 2737 किसान आत्महत्याएं सरकारी मदद के लिए पात्र रही. वहीं 2422 किसान आत्महत्याओं को सहायता व अनुदान के लिए अपात्र ठहराया गया. इसके अलावा 135 मामले अब भी जांच के लिए प्रलंबित है, ऐसी जानकारी स्थानीय जिलाधीश कार्यालय द्वारा दी गई है.

* वर्ष 2024 में हुई किसान आत्महत्याएं
जनवरी                24
फरवरी               28
मार्च                   40
अप्रैल                 26
कुल                 118

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