अमरावती/दि.4- साबू परिवार व्दारा आयोजित श्रीमद भागवत कथा सप्ताह में पूज्य कथा प्रवक्ता क्षमाराम महाराज ने कहा कि, संसार के पदार्थो का बहुत अधिक संग्रह नहीं करना चाहिए. जिस तरह अमीरी संतों के हृदय में होती है, वैसी ही प्रत्येक मनुष्य के अंदर होनी चाहिए. वह सहहृदयता हमें संतों से ग्रहण तथा आत्मसात करनी चाहिए.
सतीधाम मंदिर में आयोजित भागवत कथा के पांचवे दिन महाराजश्री ने देहूती, उत्तानपाद, नरसिंह अतवातर, भक्त प्रल्हाद, समुद्र मंथन, मोहिनी अवतार, कृष्ण जन्म कथा का सुंदर विवेचन किया. उपस्थितों को कृष्ण जन्म का वर्णन बहुत भाया ऐसे ही कृष्ण जन्म प्रसंग पर उपस्थित स्त्री-पुरुष श्रद्धालु थिरक उठे थे.
उन्होेंने कहा कि, भगवान की प्रत्येक लीला कुछ कारण और संदेश लिए होती है. भगवान की लीलाओं के दिव्य प्रसंग संतों तथा भक्तों को बहुत आनंद प्रदान करते है. इन लीलाओं से भी सीख लेकर हम जीवन में मनचाही सफलता और वस्तु प्राप्त कर सकते हैं. अनेक कथाओं और उपकथाओं के जरिए भागवत का सार उन्होंने बतलाया. महाराजजी ने कहा कि, संसार में सबसे दुर्लभ सत्संग है. सत्संग से हमारे जीवन में सुधार आता है. हम दुख क्यों पाते है क्योंकि हमारे अंदर की संसार के पदार्थो से तृष्णा शांत नहीं होती. जबकि हम थोडा भीतर जाए तो आनंद ही आनंद है. जिस तरह हिरण को अपनी नाभि की कस्तुरी का ज्ञान नहीं होता है और वह भटकता रहता है, ऐसा ही मनुष्य के साथ होता है, वह भी हिरण समान कस्तुरी को घास में खोजता हैं. आनंद की कस्तुरी हमारे भीतर मौजूद है.
पूज्य क्षमाराम जी ने कहा कि, हमें सदैव अच्छे कर्म करना चाहिए. गृहस्थ को अपने कर्म भगवान के अर्पण कर देने से वे कर्म बढ जाते है. अच्छा प्रतिफल देते है. सत्संग करने से अपने परिवार, धन से मोह छूट जाता है. इस समय विनोद साबू, दिलीप साबू, संजय लखोटिया, घनश्यायम मालानी, संजय अग्रवाल, जय जोशी, अमरचंद मंत्री, लीलाधर राठी, गोपाल भट्टड, रामस्वरुप हेडा, पूनम साबू, चंदन मंत्री, किशोर सोनी, श्रीनिवास सोनी, शशि मुुंधडा, शशि मोहता, शांता कासट, लीला लढ्ढा, भारती भट्टड, मोहनी खंडेलवाल, सुनीता भट्टड, राजा साबू, सुरेखा साबू, पार्वती साबू सहित बडी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे.