अमरावतीमहाराष्ट्र

अमरावती और अकोला विदर्भ में सबसे प्रदूषित शहर

दिवाली के पटाखों से बढा सूचकांक

* अमरावती 237, अकोला का एक्यूआई 201 पर
अमरावती/दि.6-खुशी, नई उमंग और प्रकाश का उत्सव दीपोत्सव सर्वत्र बडे ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस अवसर पर पटाखे फोडने की पारंपरिक प्रथा है. इस साल भी कई शहरों में जमकर आतिशबाजी की गई. इससे प्रदूषण सूचकांक में बढोतरी हुई है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक पटाखों के कारण विदर्भ में अमरावती और अकोला सबसे प्रदूषित शहर हैं. इसमें अमरावती शहर का एक्युआई 237 और अकोला का एक्यूआई 201 तक पहुंच गया है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रिकॉर्ड के मुताबिक विदर्भ के अमरावती, यवतमाल, नागपुर, अकोला, भंडारा, गोंदिया, चंद्रपुर, वर्षा शहर प्रदूषित शहर के तौर पर जाने जाते हैं. इस शहर का प्रदूषण सूचकांक अस्थिर है. यह कम या ज्यादा बढता है, लेकिन दिवाली के दौरान इन शहरों का प्रदूषण सूचकांक सामान्य से अधिक बढ जाता है. 1 से 2 नवंबर को सेटेलाइट द्वारा विदर्भ के सबसे प्रदूषित शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स मापा गया. इसमें अमरावती और अकोला जिले का प्रदूषण सूचकांक सबसे ज्यादा है, ऐसा दर्ज किया गया. जबकि यवतमाल जिले का सूचकांक सबसे कम बताया गया है. प्रदूषण सूचकांक माप श्रेणी के अनुसार 0 से 50 तक का एक्युआई अच्छा माना जाता है. तो 51 से 100 तक यह संतोषजनक है. लेकिन अगर यही एक्युआई 101 से 200 तक चला जाए तो इसे मध्यम माना जाता है. 201 से 300 का एक्युआई खराब है, जबकि 301 से 10 का एक्युआई बहुत खराब है. 400 और 500 के बीच एक्युआई को गंभीर माना जाता है. साथ ही 500 से ऊपर एक्युआई को बेहद गंभीर माना जाता है. यवतमाल शहर का एक्यूआई 146, नागपुर 193, चंद्रपुर में 182, अमरावती में 237, अकोला में 201, वर्धा में 150, भंडारा में 180 और गोंदिया में 170 तक दर्ज किया गया है.
* पिछले दस वर्षों की तुलना में कम प्रदूषण
नागरिकों में जागरूकता निर्माण की गई है कि बडी मात्रा में प्रदूषण के कारण विभिन्न बीमारियां होती हैं. पहले पांच दिन तक पटाखे फोडे जाते थे, किंतु इन दिनों इसे केवल लक्ष्मी पूजा के दिन ही आतिषबाजी की जाती है. इको फ्रेंडली पटाखों का भी कुछ असर होता है. इस वर्ष कम प्रदूषण का मुख्य कारण वातावरण में बदलाव, आर्द्रता, वायु प्रवाह है. जिससे एयर क्वालिटी इंडेक्स कम हुआ है. इसलिए कहा जा रहा है कि ये प्रदूषण पिछले दस सालों की तुलना में कम है.

 

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