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अमरावती बनी हॉट सीट

विधानसभा चुनाव में बदली राजनीतिक परिस्थिति

* सहयोगी दलों की बढी परेशानी
अमरावती/दि.8 – सियासी परिस्थितियां बदलने से विदर्भ के अनेक विधानसभा क्षेत्र चर्चित हो गये हैं. उनमें अमरावती, चंद्रपुर, साकोली, सावनेर सबसे अधिक चर्चा में है. अमरावती संभाग मुख्यालय होने के साथ यहां हाल के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की विजय ने पुन: परिस्थितियों को बदल देने का दावा राजनीतिक जानकार कर रहे हैं. जिससे यहां विधानसभा में किसके बीच टक्कर होगी, इस ओर अभी से निगाहे लगी है और चर्चा भी हो रही है.
* अमरावती की चर्चा क्यों?
अमरावती में भाजपा, कांग्रेस के साथ ही उनके सहयोगी दलों की भी ताकत होने से यह क्षेत्र काफी चर्चा में है. वर्तमान विधायक सुलभा खोडके की कांग्रेस में अलग कारणों से चर्चा चल रही है. पार्टी में अनेक इच्छुक सामने आ रहे हैं. कभी राष्ट्रपति के सुपुत्र यहां से राज्य विधानसभा के सदस्य बने थे. इसलिए भी अमरावती पर देश की निगाहे टिकी थी. अब सियासी समीकरण के उलटफेर अमरावती को सर्वत्र गुंजायमान किये हुए हैं. भाजपा और कांग्रेस की यहा पहले रोचक टक्कर अनेक चुनावों में हो चुकी है. इस बार भी उस टक्कर के रिपीट होने की संभावना के बीच नये समीकरणों पर बात की जा रही है.
* सभी दल लगे तैयारी में
विधानसभा चुनाव की तारीखें अगले माह घोषित होने की प्रबल संभावना देखते हुए महाविकास आघाडी और महायुति दोनों के 6 घटक दलों के साथ-साथ छोटे दलों ने भी तैयारी छेड रखी है. जिले में 8 क्षेत्र है. जिससे विधानसभा चुनाव हेतु सीटों के तालमेल पर सर्वाधिक महत्व दिया जा रहा है. उसमें भी प्रॉपर अमरावती की सीट प्रतिष्ठा की बन गई है. दिलचस्प बात यह है कि, प्रमुख दलों को अमरावती की सीट को लेकर सौदेबाजी करने की नौबन का दावा जानकार कर रहे हैं.
* विदर्भ की अन्य सीटें जिनकी बडी चर्चा
विदर्भ की अन्य सीटें जिनकी बडी चर्चा है, उनमें नागपुर की कामठी, सावनेर, उमरेड, गोंदिया, चंद्रपुर, साकोली की है. उमरेड से कांग्रेस विधायक राजू पारवे ऐन समय पर त्यागपत्र देकर शिवसेना शिंदे गट से लोकसभा का चुनाव लड चुके है. उसी प्रकार सावनेर के सुनील केदार की सदस्यता बैंक घोटाले में सजा सुनाये जाने के कारण रद्द हो गई है. कामठी से भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले के विधानसभा के रण में उतरने की चर्चा है. चंद्रपुर सीट प्रदेश के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के कारण हॉट सीट बनी है. वे लोकसभा चुनाव में परास्त हो चुके है. नागपुर की ही काटोल सीट भी चर्चित है. यहां डॉ. आशीष देशमुख और प्रदेश के राकांपा के बडे नेता अनिल देशमुख के बीच दोबारा रोमांचक टक्कर देखे जाने की संभावना है. एक कयास यह भी है कि, देशमुख अपने पुत्र सलील को मैदान में उतार सकते हैं.

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